अब एक टेस्ट से लगेगा भविष्य में होने वाली बीमारियों का पता
कई बार मरीज को बचा पाना भी संभव नहीं होता
व्यक्ति एपीलेप्सी सहित अन्य बीमारियों से कब ग्रसित हो जाता है। इसका उसे पता ही नहीं चलता, जब पता चलता है, तब तक अक्सर बहुत देर हो जाती है और इलाज मुश्किल हो जाता है।
जयपुर। व्यक्ति एपीलेप्सी सहित अन्य बीमारियों से कब ग्रसित हो जाता है। इसका उसे पता ही नहीं चलता, जब पता चलता है, तब तक अक्सर बहुत देर हो जाती है और इलाज मुश्किल हो जाता है। कई बार मरीज को बचा पाना भी संभव नहीं होता है। अगर इन बीमारियों का भविष्य में होने या नहीं होने का पता पहले ही चल जाए तो हम बीमारी होने से पहले ही रोक सकते हैं या बचाव कर सकते हैं। नेक्स्ट जेन सिक्वेंसिंग जीनो टाइपिंग टेस्ट के जरिए अब यह संभव है। आठ हजार रुपए में होने वाले इस टेस्ट को प्रीजेनिक सल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी करवा रही है और इस टेस्ट के डेटा एनालिसिस से आमजन को भविष्य में होने वाली बीमारियों से आगाह भी कर रही है। इससे लोगों को कैंसर सहित अन्य बीमारियों से बचाव में मदद मिल रही है। एनआरआई निश्चित अग्रवाल ने अपने साथी बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग कर चुके सुशांत गोयल के साथ मिलकर फिलहाल जयपुर से यह स्टार्ट अप शुरू किया है। इसका उद्देश्य प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर है।
ऐसे मिली प्रेरणा
कंपनी के फाउंडर सुशांत ने बताया कि स्टार्ट अप को शुरू करने का आइडिया निश्चित अग्रवाल को आया था। उनकी मां की करीब 50 साल की उम्र में ही जेनेटिक डिजीज ब्रेन एन्यूरिज्म के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद निश्चित को जानने का जुनून हुआ कि उनको और उनकी बहन को यह बीमारी भविष्य में होने की कितनी संभावना है और अगर है, तो वे इसके लिए बचाव प्रक्रिया अपना सके। सुशांत ने बताया कि आमजन में जागरूकता की कमी से भारत में फिलहाल इस तरह के टेस्ट और जिनोम सिक्वेंसिंग के डेटा का एनालिसिस बहुत कम हो रहा है। इसलिए हम दोनों ने मिलकर यह स्टार्ट अप शुरू किया है। हमारे स्टार्ट अप को एनवीडिया इंसेप्शन प्रोग्राम और माइक्रोसॉफ्ट फॉर स्टार्ट अप प्रोग्राम में भी सलेक्ट किया है।
165 से ज्यादा बीमारियां कवर, छह हफ्तों में रिपोर्ट
सुशांत ने बताया कि फिलहाल हम इस टेस्ट के जरिए जीन के म्यूटेशन को देखते हैं। इसके जरिए 48 प्रकार के कैंसर, एपीलेप्सी, डिप्रेशन, पीसीओएस, पीसीओडी, ब्रेन एन्यूरिज्म सहित 165 से ज्यादा बीमारियों और उनके ट्रेंड्स को कवर कर रहे हैं। जयपुर में अभी तक हमने करीब 60 टेस्ट किए हैं। सुशांत ने बताया कि फिलहाल में खुद ही घर-घर जाकर टेस्ट भी कर रहा हूं और मैं और निश्चित मिलकर टेस्ट के डेटा एनालिसिस भी कर रहे हैं। टेस्ट की रिपोर्ट छह हफ्तों में आ जाती है और रिपोर्ट आने के बाद हम टेस्ट करवाने वाले की एक घंटे की काउंसलिंग भी करते हैं, जिसमें उन्हें टेस्ट रिजल्ट और बीमारियों के बारे में बताने के साथ ही बचाव के तरीके भी बताते हैं।
फिलहाल ऑनलाइन है टेस्ट की बुकिंग
सुशांत ने बताया कि कोई भी व्यक्ति प्रिजेनिक्स डॉट इन वेबसाइट पर जाकर इस टेस्ट के बारे में जानकारी ले सकता है। इस वेबसाइट से टेस्ट की बुकिंग भी कराई जा सकती है और बुकिंग होने के बाद मैं खुद घर जाकर टेस्ट किट से सैंपल लेता हूं। यह एक बहुत छोटा सा पॉकेट साइज टेस्ट किट है और इसमें एक ट्यूब होती है, जिसमें मरीज का थूक या सलाइवा लिया जाता है। फिर हम इसे टेस्ट प्रोसेसिंग में डाल देते हैं और इस टेस्ट का डेटा एनालिसिस करते हैं। इस प्रक्रिया में छह हफ्ते तक का समय लगता है। हमारी लोगों से अपील है कि 18 साल से ऊपर के व्यक्ति इस टेस्ट को जरूर करवाएं, जिससे उन्हें भविष्य में होने वाली जेनेटिक बीमारियों का पहले ही पता चल जाए और उससे बचाव संभव हो सके।
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