अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलेगा डिब्बे वाला दूध
कोटा के 1 लाख 19 हजार 255 विद्यार्थी होंगे लाभान्वित, प्रदेश के 70 लाख बच्चों को मिलेगा मिड डे मील में दूध, सप्ताह में दो दिन मिलेगा पाउडर दूध
इस साल मुख्यमंत्री की ओर से बजट में घोषित सरकारी स्कूलों में दूध वितरण योजना डेढ़ महीने की देरी से शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने 1 जुलाई से सप्ताह में दो दिन पाउडर दूध वितरित करने की घोषणा की थी, लेकिन शिक्षा विभाग इसको 15 अगस्त से शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
कोटा । इस साल मुख्यमंत्री की ओर से बजट में घोषित सरकारी स्कूलों में दूध वितरण योजना डेढ़ महीने की देरी से शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने 1 जुलाई से सप्ताह में दो दिन पाउडर दूध वितरित करने की घोषणा की थी, लेकिन शिक्षा विभाग इसको 15 अगस्त से शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इस योजना में प्रदेश के पहली से आठवीं तक के करीब 70 लाख विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं कोटा जिले में 1 लाख 19 हजार 255 बच्चों को दूध मिलेगा। एक जुलाई को सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति पता करने को लेकर विभाग के सामने समस्या थी। इसलिए इस योजना का कियान्वयन 15 अगस्त से करने की विभाग तैयारी कर रहा है। 15 अगस्त से सरकारी स्कूल में बच्चों को अब सरकार की ओर से दूध भी दिया जाएगा। ऐसे में एक ओर सरकार इसे स्कूल की व्यवस्थाओं में सुधार के तौर पर देख रही है तो वहीं कई सामाजिक संगठनों की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। संगठनों का कहना है कि सरकार बच्चों को च्वाइस दे, आदेश न थोपे। प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए गहलोत सरकर की सारी कवायद के बाद भी कोई हालात में कोई खास सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत को सुधारने के लिए पहल की है। गुड़ और चना के बाद अब सरकार स्कूली बच्चों को मिड डे मील के साथ एक गिलास दूध भी मिला करेगा। 15 अगस्त से शुरू होने वाली इस योजना को लेकर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने वाले तमाम सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। हालांकि सामाजिक संगठनों का कहना है कि सरकार बच्चों पर आदेश न थोपे बल्कि उनसे और परिजनों से च्वॉइस ले।
476.44 करोड़ का किया प्रावधान
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा में मिड डे मील योजना के तहत कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को सप्ताह में दो दिन डिब्बे का दूध उपलब्ध कराने के लिए 476.44 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान किया था। इसे पिछले दिनों सीएम गहलोत ने वित्तीय मंजूरी दे दी है। जानकारी के अनुसार राजकीय विद्यालयों में मिड डे मील की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इसी वित्तीय वर्ष में आगामी एक जुलाई से सप्ताह में दो दिन पीने के लिए पाउडर वाला दूध उपलब्ध कराया जाएगा। राजस्थान को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन के जरिए विद्यालय स्तर पर दूध पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।
दूध की यह रहेगी मात्रा
सरकार की योजना के अनुसार कक्षा एक से 5 तक के बच्चों को दूध के 15 ग्राम के पाउच से इसे तैयार किया जाएगा। इससे बच्चों को 150 मिलीलीटर दूध पीने को मिला करेगा। इसी तरह कक्षा 5 से 8 तक के बच्चों को 20 ग्राम दूध के पाउडर से तैयार कर 200 मिलीलीटर दूध पीने को दिया जाएगा।
प्रदेश में कुपोषण का स्तर
डॉ. गोपी किशन शर्मा ने बताया कि प्रदेश में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार 31.8 प्रतिशत बच्चे ऐसे ही जिनकी उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ रही है। इसके साथ ही 16.8% वह बच्चे जिनका लंबाई के लिहाज से वजन कम है। 27.6 प्रतिशत उम्र के लिहाज से अंडर वेट हैं और 71.5 फीसदी बच्चों में खून की कमी है।
70 लाख बच्चों के हाथ होगा दूध का गिलास
प्रदेश के पहली से लेकर आठवीं तक मिड डे मील से नामांकित बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार ने सप्ताह में दो दिन पाउडर का दूध वितरण करने का निर्णय बजट घोषणा में लिया है। सरकारी स्कूलों में ज्यादातर आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के विद्यार्थी पढ़ते हैं। इनमें से कई घरों में भोजन तक का खर्च मुश्किल से निकलता है। ऐसे में इन बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है जिसकी वजह से प्रदेश में कुपोषित बच्चों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में अब बच्चों के स्वस्थ्य में सुधार के लिए राज्य सरकार मिड डे मील के साथ अब दूध का खर्च भी वहन करेगी। सीएम गहलोत की बजट घोषणा को वित्त विभाग की मंजूरी के बाद करीब 70 लाख स्कूली बच्चों को 1 जुलाई से सप्ताह में दो दिन डिब्बे वाला पौष्टिक दूध देने की घोषणा की थी लेकिन नामांकन स्थिति पता नहीं लगने से यह योजना अब 15 अगस्त से शुरू करने की विभाग योजना बना रहा है।
दूध के साथ अन्य विकल्प भी दे सरकार
सामाजिक कार्यकर्ता अंजू मेहरा ने बताया कि सरकार की ओर से बच्चों दूध वितरण करना अच्छा कदम है। दूध प्रोटीन और विटामिन का प्राकृतिक स्रोत है। इसलिए बच्चों को रोजाना की डाइट में मिड डे मील के साथ दूध देने की योजना अच्छी है। इससे बच्चों की मांसपेशियां मजबूत होंगी। दांतों और हड्डियों को कैल्शियम की जरूरत होती है। दूध पीने से बच्चों के दांत और हड्डियां मजबूत बनेंगी। दूध में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है लेकिन आपत्ति इस बात पर है कि आखिर सरकार सिर्फ दूध ही क्यों पिला रही है। बच्चों के लिए सरकार को दूसरे विकल्प भी देने चाहिए। किसी बच्चे को अगर अंडा या फल पसंद है तो उनकी पसंद की डाइट उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि वह से खा सके।
पिछली भाजपा सरकार की दूध वितरण योजना हुई थी फेल
सामाजिक कार्यकर्ता अंजू मेहतरा ने बताया कि ऐसा नहीं है कि बच्चों को दूध वितरण योजना पहली बार हो रही है। इससे पहले पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त भी बच्चों को स्कूलों में दूध उपलब्ध कराने की योजना आई, लेकिन कारगर नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि तब बच्चों को न तो दूध का स्वाद पसंद आया था और न उसकी गुणवत्ता अच्छी थी। ऐसे में मौजूदा सरकार को डिब्बे और पाउडर वाला दूध बच्चों को पिलाने की इस योजना को धरातल पर उतारने से पहले विशेष अध्ययन करने की जरूरत है। पूरे राजस्थान में लागू करने से पहले इसे कुछ स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करना चाहिए ताकि यह पता लग सके कि बच्चों को पाउडर का दूध पसंद आ भी रहा है या नहीं। प्रदेश के कई स्कूलों में साफ पेयजल की भी व्यवस्था तक नहीं। ऐसे में उसी पानी में दूध पाउडर मिलाकर दिया जा सकता है।
कोटा में मिड डे मील नामांकन की स्थिति | |||
सत्र | कक्षा 1 से 5 | कक्षा 6 से 8 | कुल नामांकन |
2018-19 | 17506 | 38969 | 110475 |
2019-20 | 67183 | 38301 | 105484 |
2020-21 | 68211 | 38617 | 106828 |
2021-22 | 76491 | 42764 | 119255 |
इनका कहना है
स्कूलों में सप्ताह में दो दिन दूध वितरण योजना शुरू करने के आदेश अभी नहीं आए है। उच्च स्तर पर इसको लेकर तैयारी चल रही है। आदेश आने के बाद ही दूध वितरण शुरू किया जाएगा। - के के शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी प्रा शिक्षा
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