पर्यावरण की सुरक्षा
एक बार इस्तेमाल करने के लिए निर्मित प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू
पर्यावरण और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक यानी सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के लिए निर्मित प्लास्टिक के 19 उत्पादकों पर प्रतिबंध लागू कर दिया है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक यानी सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के लिए निर्मित प्लास्टिक के 19 उत्पादकों पर प्रतिबंध लागू कर दिया है। यानी अब थर्मोकोल से बनी प्लेट, कप, ग्लास, कटलरी, ट्रे, प्लास्टिक के झण्डे और आइस्क्रीम पर लगाने वाली स्टिक आदि का उत्पादन, बिक्री और उपयोग अब दण्डनीय अपराध है। 75 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक इस्तेमाल पर देश में पहले से ही प्रतिबंध है और सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के प्रयासों के तहत प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम 120 माइक्रोन का होगा। प्लास्टिक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है। हर कोई मानता है और डॉक्टर भी कहते हैं कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदूषित माहौल में व्यायाम व टहलना का भी शरीर को कोई लाभ नहीं मिलता। पदूपद व्यायाम के फायदों को शरीर तक पहुंचने से रोक देता है। प्लास्टिक में व्याप्त रसायन तो कैंसर, मोटापा, डायबिटीज आदि की समस्या उत्पन्न करते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वेक्षण के अनुमान देश में रोजाना 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से सिर्फ 60 प्रतिशत का ही निस्तारण हो पाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए ज्यादा खतरनाक इसलिए है, क्योंकि न इसका निस्तारण संभव है, न इसे जलाया जा सकता है। इसके हवा में उड़ते टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं। फिर इसका कचरा वर्षा के पानी को जमीन में जाने से रोकने का काम करता है। इसी वजह से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। कामयाबी तभी मिल पाएगी, जब पाबंदी पर सख्ती से कार्य हो। वैसे इस तरह के प्लास्टिक के सामान पर प्रतिबंध लगाने की कवायद तो काफी समय से चल रही है। अब सरकार ने दृढ़ संकल्प और सख्ती के साथ पाबंदी लगाई है, तो उम्मीद की जानी चाहिए पाबंदी सफल रहेगी और हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह पाएगा।
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