ऐसे गिरी जिला कलक्टर पर दीवार की गाज

यूआईटी सचिव ने मंत्री को दी गलत जानकारी, टैंडर स्वीकृति से पहले कर दिया काम शुरू, वह भी 50 फीसदी अधिक दर पर

ऐसे गिरी जिला कलक्टर पर दीवार की गाज

नगर विकास न्यास द्वारा करीब आठ सौ करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे चम्बल रिवर फ्रंट और रामपुरा मुक्तिधाम के बीच की एक छोटी सी दीवार की गाज तत्कालीन जिला कलक्टर पर ऐसी गिरी की उनका कोटा से जयपुर तबादला हो गया।

कोटा। नगर विकास न्यास द्वारा करीब आठ सौ करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे चम्बल रिवर फ्रंट और रामपुरा मुक्तिधाम के बीच की एक छोटी सी दीवार की गाज तत्कालीन  जिला कलक्टर पर ऐसी गिरी की उनका कोटा से जयपुर तबादला हो गया। आखिर इस दीवार के पीछे की कहानी क्या है। पता चला कि इस दीवार के निर्माण का टैंडर जारी होने से पहले ही इसका काम शुरू कर दिया गया गया था। इतना ही नहीं। कोटा में चल रहे सभी कार्य टैंडर अनुमानित लागत से कम पर चल रहे हैं जब कि इस दीवार का टैंडर अनुमानित लागत से भी 50 फीसदी ज्यादा  पर लिया गया है। यूआईटी के अधिकारी इसे आनन फानन में स्वीकृत कराना चाहते थे।  अधिकारियों का मंतव्य पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने तत्कालीन जिला कलक्टर के बारे में यूडीएच मंत्री को गलत फीड बैक दिया कि फाइल एक माह से जिला कलक्टर के यहां अटकी है। जब कि वास्तविकता यह है कि जिला कलक्टर के पास फाइल शुक्रवार को अधिकारी स्वयं लेकर पहुंचे और दस मिनट में ही उन्होंने इसका निस्तारण कर फाइल अधिकारियों को वापस लौटा दी। यूआईटी के अधिकारी 50 फीसदी अधिक पर टैंडर क्यों स्वीकृत कराना चाहते हैं। यह  सवाल जाने बिना ही उनका स्थानांतरण केवल पांच घंटे में कोटा से जयपुर कर दिया गया। 

इंजीनियर एक दूसरे पर टालते रहे, अधिकारी बचते रहे
जिला कलक्टर का ट्रांसफर करवाने वाली दीवार के बारे में जब न्यास के मुख्य अभियंता ओ.पी. वर्मा से जानकारी  चाही तो उनका कहना था कि यह उनसे संबंधित नहींÞ है। रिवर फ्रंट का काम मुख्य अभियंता मनोज सोनी के पास है। जब सोनी से जानकारी चाही तो उनका कहना था उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। संबंधित एक्सईएन से पूछो। वे एक दूसरे पर टालते रहे। 

फाइल में यह कहा था कलक्टर ने
रिवर फ्रंट व रामपुरा मुक्तिधाम के बीच बन रही सुरक्षा दीवार का टैंडर 50फीसदी अधिक राशि में लेने का मामला सामने आया तो जिला कलक्टर ने इसे सार्वजनिक निर्माण विभाग अथवा सिंचाई विभाग से जस्टीफाई कराने को लिखा।

नवज्योति ने जुटाई जानकारी तो सामने आया मामला
इस मामले में जब दैनिक नवज्योति ने जानकारी  जुटाई तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। पता चला कि  हकीकत में फाइल कलक्टर के पास थी ही नहीं। न्यास के मुख्य अभियंता ओ.पी. वर्मा, तथा मुख्य लेखाधिकारी टीपी मीणा 1 जुलाई  शुक्रवार को उस फाइल को लेकर तत्कालीन  कलक्टर हरीमोहन मीणा के पास गए थे। कलक्टर ने उसी समय फाइल वापस वर्मा को लौटा दी थी।  साथ ही सोमवार को वापस फाइल लाने को कहा था।

सभी टेंडर बिलो रेट में, यही आउट क्यों ?
नगर विकास न्यास व स्मार्ट  सिटी के तहत शहर में करीब 5 हजार करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जितने भी काम चल रहे हैं उनमें से अधिकतर काम 10 से 20 फीसदी बिलो रेट में हो रहे हैं। फिर रामपुरा मुक्तिधाम की दीवार के उस काम में ऐसा क्या है जिसका टेंडर 50 फीसदी अधिक  दर पर दिया जा रहा है।

न्यास सचिव ने नहीं किया फोन रिसीव
इस संबंध में जिम्मेदार नगर विकास न्यास के सचिव राजेश जोशी से बात करने को कई फोन किए, वाट्सअप पर मैसेज भी किया।  लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

यूं चार घंटे में हटाया कलक्टर को
स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल 4 जुलाई को परकोटा क्षेत्र में विकास कार्यों का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने रिवर फ्रंट व रामपुरा मुक्ति धाम के बीच चल रहे विकास कार्य में देरी होने पर नाराजगी जाहिर की। मंत्री ने इस संबंध में जब यूआईटी सचिव राजेश जोशी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने इस काम की फाइल एक माह से जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा के पास  होना बताया। यह सुनकर मंत्री धारीवाल ऐसे नाराज हुए कि सचिव को तो फटकार लगाई ही साथ ही सचिव की बात की पुष्टि किए बिना ही शाम को जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा का जयपुर ट्रांसफर करवा दिया।   जबकि जानकारी करने पर पता चला कि कलक्ट्री में कोई भी फाइल यूआईटी के नाम से रूकती ही नहीं है। हर फाइल न्यास के आला अधिकारी साथ लेकर आते हैं और साथ ही लेकर जाते हैं। वह भी एक दिन में तीन-तीन बार और रोजाना करीब 20-20 फाइलेंं कलकटर के पास  जाती हैं।

इनका कहना है
रिवर फ्रंट व रामपुरा मुक्तिधाम के जिस काम की फाइल न्यास सचिव मेरे पास एक महीने से रूकी होना बता रहे हैं। वह गलत जानकारी उन्होंने मंत्री जी को दी। मेरे पास कोई फाइल नहीं थी। शुक्रवार को न्यास के मुख्य अभियंता ओ.पी. वर्मा स्वयं फाइल लेकर आए थे। जिसमें टेंडर 50 फीसदी अधिक राशि का था। मैने उस पर सिर्फ इतना सा नोट लगाया था कि इसे सार्वजनिक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग के इंजीनियर या इंजीनियर्स की कमेटी से जस्टीफाई करवाकर सोमवार को वापस फाइल ले आना। इतना सा लिखकर फाइल वापस लौटा दी  थी। न्यास सचिव द्वारा दी गई जानकारी के बाद मंत्री महोदय ने मुझसे कोई जानकारी नहीं की। 
- हरिमोहन मीणा, तत्कालीन जिला कलक्टर व न्यास अध्यक्ष

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