गौशाला में हर महीने 100 गौवंश की हो रही मौत

बरसात में खुरपका समेत अन्य रोग होने से मृत्युदर बढ़ने की संभावना

गौशाला में हर महीने 100 गौवंश की हो रही मौत

शहर में एक तरफ निजी गौशलाओं में गायों की मृत्यु दर बहुत कम है। वहीं नगर निगम की सरकारी गौशाला में वर्तमान में ही हर महीने करीब 100 गौवंश की मौत हो रही है। जबकि बरसात का मौसम शुरु हो गया है। ऐसे में मृत्यु दर में बढ़ोतरी होने की संभावना है।

कोटा । शहर में एक तरफ निजी गौशलाओं में गायों की मृत्यु दर बहुत कम है। वहीं नगर निगम की सरकारी गौशाला में वर्तमान में ही हर महीने करीब 100 गौवंश की मौत हो रही है। जबकि बरसात का मौसम शुरु हो गया है। ऐसे में मृत्यु दर में बढ़ोतरी होने की संभावना है। नगर निगम द्वारा किशोरपुरा में तो कायन हाउस का संचालन किया जा रहा है। जहां निगम द्वारा पकड़कर लाई जाने वाली गाय-भैसों को रखा जा रहा है। उसके बाद यहां से एक दो दिन बाद उन्हें बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में शिफ्ट किया जाता है। निगम की गौशाला में वर्तमान में करूब 17 सौ से अधिक मवेशी हैं। इन मवेशियों में से गौशाला में रोजाना तीन से चार गायों की मौत हो रही है। इस हिसाब से रह महीने करीब 100 गौवंश अकााल मौत का शिकार हो रहे हैं।

बरसात में बढ़ जाती है संख्या
सामान्य दिनों में जहां रही महीने 100 गौवंश की मौत हो रही है। वह बरसात के समय में बढ़ जाती है। इसका कारण एक तो बीमार गायों का आना। दूसरा बरसात के समय में उनमें खुरपका समेत कई अन्य रोग लग जाते हैं। जिससे उनकी मौत अधिक होती है। इतना ही नहीं गौशाला में एक साथ इतनी अधिक संख्या मवेशियों की होने से वहां गोबर व बरसात में कीचड़ भी अधिक होता है। जिसमें फिसलने व उनमें अधिक समय तक पड़े रहने से भी मवेशियों की मौत अधिक होती है।

भूसे का भी संकट
गौशाला में बरसात के समय में भूसे व हरे चारे का भी संकट रहता है। जिससे मवेशियों को भरपेट भूसा व चारा नहीं मिल पाता। ऐसे में ुनके भूखे रहने पर भी मौत का खतरा अधिक मंडराता है। साथ ही बीेमार होने पर गायों को समय पर उपचार नहीं मिलना भी मौत का बड़ा कारण रहता है।

गौशाला में वर्तमान में औसत दो से तीन गौवंश की मौत हो रही है। बरसात में यह संख्या बढ़ने की संभावना रहती है। इसे देखते हुए पहले से ही इस बार व्यवस्था की गई जिससे मौत को कम किया जा सके। जेसीबी से गौशाला में सफाई करवाई गई है। सभी मवेशियों का टीकाकरण करवाया जा रहा है। बरसात से बचाने के लिए टीनशेड व तिरपाल भी लगाया गया है। जिससे बरसात के समय में होने वाले रोगों से उन्हें बचाया जा सके। भूसा भी 15 दिन का एडवांस रखा गया है। गौवंश की मौत का कारण उनका अधिकतर बीमार, पॉलिथीन खाए हुए आना रहता है।
- राजपाल सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण

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