
महंगाई में गिरावट
बिजली की कीमतें बढ़ रही है
थोड़ी गिरावट देखने को मिली है। मई में जहां खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसद थी जून में नाम मात्र की गिरावट से 7.01 फीसद पर आ गई है।
खुदरा और थोक महंगाई के जो आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जारी किए है। उसके अनुसार थोड़ी गिरावट देखने को मिली है। मई में जहां खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसद थी जून में नाम मात्र की गिरावट से 7.01 फीसद पर आ गई है। ऐसे ही जून में थोक महंगाई दर 15.18 फीसद रही, जो मई में 30 साल के सर्वाधिक स्तर 15.88 फीसद पर पहुंच गई थी। महंगाई दर कुछ कम हुई है, लेकिन इसका असर आम आदमी पर पड़ता कहीं दिखाई नहीं दे रहा है, जिस तेजी से गैस सिलेंडर और बिजली की कीमतें बढ़ रही है, उससे तो आम आदमी की चिंताएं बढ़ रही हैं। जून में जो खुदरा महंगाई की दर नीचे आई है, उसका सबसे बड़ा कारण सब्जियों के दामों में आई खासी गिरावट बताई जा रही है। दालों की कीमतें भी कुछ हद तक कम हुई है, लेकिन इसके बरबस अनाज के दाम साढ़े पांच फीसद और फल तीन फीसद बढ़ गए हैं।
महंगाई में यह कमी इसलिए भी दिख रही है कि खुदरा महंगाई दर में साठ फीसद हिस्सा खाने-पीने की चीजों का होता है। लेकिन ईंधन व बिजली की कीमतें 10 फीसद से अधिक बढ़ गए, निश्चित ही इससे आम आदमी की जेब पर बोझ और बढ़ेगा। अब देखना यह भी है कि जुलाई माह में महंगाई की दर कितनी घटती है या फिर नहीं? हालांकि खुदरा महंगाई की दर अभी रिजर्व बैंक के निर्धारित दो से छह फीसद के दायरे से ऊपर ही बनी हुई है। वैसे भी रिजर्व पहले से ही कहता चला आ रहा है कि यह साल तो महंगाई के बीच ही गुजरेगा। खुदरा महंगाई दर के अभी नीचे आने के आसार नहीं है, जो ही कोई असर देखने को मिलेगा। फिर 18 जुलाई से कई वस्तुओं पर बढ़ा हुआ जीएसटी लागू हो जाएगा। सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है कई आम जरूरत की पैकेट में आने वाले सामानों की कीमतें 5 फीसदी तक बढ़ जाएगी। इससे तो जुलाई में कोई राहत देखने को नहीं मिलेगी। कुल मिलाकर हालात चिंताजनक ही है।
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