ओडीएफ पंचायत के तमाम दावे सिर्फ कागजों में सिमटे

अनदेखी : हकीकत में खुले में शौच जा रहे सैंकड़ों परिवार

 ओडीएफ पंचायत के तमाम दावे सिर्फ कागजों में सिमटे

गुडली ग्राम पंचायत को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त करने के प्रशासन के तमाम दावे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। जबकि हकीकत यह है कि जिन ग्राम पंचायतों को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है, वहां सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण खुले में आज भी शौच करने के लिए जा रहे हैं।

गामछ। गुडली ग्राम पंचायत को ओडीएफ  यानी खुले में शौच मुक्त करने के प्रशासन के तमाम दावे सिर्फ  कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। जबकि हकीकत यह है कि जिन ग्राम पंचायतों को प्रशासन ने ओडीएफ  घोषित कर दिया है, वहां सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण खुले में आज भी शौच करने के लिए जा रहे हैं। दर्जनों परिवारों को अभी तक शौचालय नही मिला और कई परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने खुद के  पैसों से शौचालय तो बना लिया लेकिन अभी तक पैसों का इंतजार है। प्रशासन स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगे अधिकारियों ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया गया और गांव को ओडीएफ  घोषित कर दिया।

केशवरायपाटन पंचायत समिति की कई ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बड़े.बड़े आयोजन कर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने ओपन डिफेक्शन फ्री (ओडीएफ ) घोषित किया था लेकिन हकीकत में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। आज भी संैकड़ों परिवार खुले में ही शौच करने को मजबूर हो रहे हैं। कई जगह कागजों में ही शौचालय बने हैं और ग्राम पंचायत के 3.3 लाख रुपए की लागत से हकीकत में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाया तो वो आमजन के लिए शोपीस बनकर साबित हो रहे हैं।

ग्राम पंचायत अमरपुरा के विशनपुरा चारणवास, तिगरिया, नागल कोजू, हाथनोदा में 3.3 लाख रुपए की लागत से बने सार्वजनिक शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण ताले लटके है। ग्रामीणों का आरोप है कि जरूरत से कम शौचालय बनवाए गए और जल्दबाजी में गांवों को ओडीएफ  घोषित कर दिया गया। खुले में शौच मुक्त करने के प्रशासन के तमाम दावे सिर्फ  कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। जबकि हकीकत यह है कि जिन ग्राम पंचायतों को प्रशासन ने ओडीएफ  घोषित कर दिया है, वहां ग्रामीण खुले में आज भी शौच करने के लिए जा रहे हैं।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन महत्वपूर्ण मानदंडभले ही प्लास्टिक उत्पाद लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए हैं, लेकिन विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती के रूप में उभरा है जिसके कारण गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित करने के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को एक महत्वपूर्ण मानदंड बनाया गया है। इसके तहत जब बड़ी मात्रा में प्लास्टिक जमा हो जाता है तो इसे प्लास्टिक वेस्ट रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर में ले जाया जाता है। जहां इसे काटा-छांटा जाता है या बेलिंग मशीन में डाल दिया जाता है।

संविदा कर्मी डीआरजी को हटाने के बाद लोगों को समझाने में आ रही है दिक्कत पहले सरकार के द्वारा ग्राम पंचायत में संविदा कर्मी डीआरजी हुआ करते थे जो लोगों को स्वच्छता के बारे में जानकारी देते थे। उपयोग कैसे करना है कहां से नया शौचालय के लिए अनुदान मिलेगा। इन सभी बातों की जानकारी दिया करते थे लेकिन सरकार ने उनको हटा दिया है यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है कि लोग खुले में शौच कर रहे है।

ओडीएफ प्लस गांव क्या है
ओडीएफ प्लस गांव यानी की ऐसा गांव जहां खुले में शौच पर पूर्ण पाबंदी हो और ग्राम पंचायत में कम से कम एक सामुदायिक शौचालय हो। इसके साथ ही गांव के सभी घरों के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर और आंगनवाड़ी केंद्र में शौचालय की सुविधा हो। ेवहीं सभी सार्वजनिक स्थानों और कम से कम 80 फ ीसदी घरों में अपने ठोस और तरल कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन हो। इतना ही नहीं, स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्र पर छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय उपलब्ध हो। किसी भी सामूहिक जगहों पर जैविक या अजैविक कूड़ा या नाले में पानी इकट्ठा न हो और गांव में कूड़ा निस्तारण के लिए कूड़ेदान या गड्ढे बने हो।

ग्रामीणों का कहना है
गुड़ली हेमंत नरोठा ने बताया कि आमजन को खुले में शौच से जाने से रोकने व ओडीएफ को सार्थक बनाने के लिए 3.3 लाख रुपए की लागत से बनाएं गए शौचालयों का उपयोग नहीं होने के कारण सरकार की कल्याणकारी स्वच्छ भारत मिशन योजना की राशि का दुरुपयोग हो रहा है। शौचालय के अभाव में ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर है।

बरवारी मेघवाल का कहना है कि ग्राम पंचायत गुडली जैसे अनेक पंचायतों में सार्वजनिक शौचालय बन तो गए हैं लेकिन सुविधा का अभाव है लोगों को सही जानकारी नहीं मिलने का व्यवस्था सही नहीं होने से लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

हमारी नजर में सब पंचायतें ओडीएफ  हो चुकी है खुले में शौच कोई भी नहीं जाता है फिर भी हम देखते हैं। जहां जहां भी यह लापरवाही चल रही है वहां पर नोटिस जारी करेंगे। पंचायत को और समस्या का जल्द से जल्द समाधान करवा दिया जाएगा।
- सीताराम मीणा,ब्लॉक समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण पंचायत समिति केशवरायपाटन

हमारे ग्राम पंचायत में खुले में शौच आज भी जाते हैं। हमें पता नहीं है फि र भी हम पता करके उन को समझाने की कोशिश करेंगे।
- हेमराज वर्मा सचिव ग्राम पंचायत गुडली

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