महंगाई और आकड़े
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में महंगाई में थोड़ी गिरावट जरूर दिखाई गई है, लेकिन आम आदमी के लिए यह किसी भी प्रकार से राहत की बात नहीं है।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में महंगाई में थोड़ी गिरावट जरूर दिखाई गई है, लेकिन आम आदमी के लिए यह किसी भी प्रकार से राहत की बात नहीं है। आंकड़ों में थोक महंगाई अभी भी दो अंकों वाली बनी हुई है। बस संतोष की बात इतनी ही है कि जहां अगस्त माह में यह दर 11.39 फीसदी थी, वहीं यह सितंबर में 10.66 फीसदी दर्ज हुई है। इस एक फीसदी तक घटी महंगाई का कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में कमी आना बताया गया है, लेकिन हकीकत में यह सच नहीं है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस लेकर फल, सब्जियां, दूध, अण्डा सहित सभी तरह की खाद्य सामग्र्रियों के दाम तो आसमान छूते दिखाई दे रहे हैं। आम आदमी रोज ही इस हकीकत का सामना कर रहा है। बढ़ती महंगाई ने तो इन दिनों ही नहीं, बल्कि लंबे समय से आम आदमी का जीना मुश्किल कर रखा है। महंगाई के आंकड़े नीचे आते बताए तो जाते हैं, जबकि इनकी जमीनी हकीकत सच से काफी परे होती है। सरकार के लिए आंकड़ों में थोक महंगाई में गिरावट राहत की बात इसलिए हो सकती है कि मई में यह 13.11 फीसदी के स्तर पर थी, उसमें अब कमी आ गई है। अगर महंगाई में कमी की बात की जाती है तो आम आदमी को इसका एहसास भी होना चाहिए, जो होता नहीं दिखाई दे रहा है। खाद्य सामग्र्रियों के बढ़ते दामों के बीच इन दिनों तो पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दिन-प्रतिदिन बढ़ते दामों ने काफी चिंतित कर रखा है। कई शहरों में पेट्रोल दाम 110 से 115 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है तो डीजल की एक सौ से अधिक हो गया है। गैस सिलेण्डर 905 से 915 तक हो गया है, जो अब आम आदमी की रसोई से दूर होने की कगार पर पहुंच गया है। गरीब आदमी तो सिलेण्डर खरीदने का साहस भी नहीं कर पा रहा है। इन दिनों खाद्य वस्तुओं व फल-सब्जियों के बढ़ते दामों की मुख्य वजह पेट्रोल-डीजल का महंगा होना ही है, जिसका असर आम आदमी भोग रहा है। कहने को थोक महंगाई का आंकड़ा एक फीसदी गिरा है लेकिन महंगाई नहीं घटी है। लगता है इससे अब जल्द राहत मिलने वाली भी नहीं दिखती है।
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