उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वैंकया नायडू विदाई के मौके पर हुए भावुक
दस अगस्त को पूरा होगा कार्यकाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैंकया नायडू के संघर्षशील व्यक्तित्व और रचनात्मक एवं सकारात्मक कृतित्व की भूरी-भूरी प्रशंसा की
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वैंकया नायडू सोमवार को भावुक हो गए। वह सभापीठ पर आंसू पौंछते नजर आए। मौका था उनकी सभापति के रुप में सदन में विदाई का। वैंकया नायडू का कार्यकाल आगामी दस अगस्त को पूरा हो रहा है। टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने जब उनके कठिन दौर से गुजरे बचपन को बयां किया और मात्र एक साल की आयु में मां के देहांत का वाकया सुनाया। तो वैंकया नायडू रुमाल से आंसू पौंछने लगे। बाद में उन्होंने खुद को संभाला।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैंकया नायडू के संघर्षशील व्यक्तित्व और रचनात्मक एवं सकारात्मक कृतित्व की भूरी-भूरी प्रशंसा की। पीएम मोदी ने उनके बेहतर स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की कामना करते हुए कहा कि इस बार हम ऐसा 15 अगस्त मना रहे हैं। जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री सभी वह लोग हैं। जो स्वतंत्र भारत में पैदा जन्मे और सभी बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने बड़े निकट से आपको अलग-अलग भूमिकाओं में देखा है। कई भूमिकाएं ऐसी भी रहीं। जिसमें आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का भी मुझे सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति के रूप में आपकी गरिमा और निष्ठा के साथ मैंने आपको अलग-अलग जिम्मेदारियों में बहुत लगन से काम करते हुए देखा है।
इसके बाद सदन में लगभग सभी दलों के नेताओं ने वैंकया नायडू के प्रति उनका मार्गदर्शन करने, उनका हौंसला बढ़ाने, सदन में मातृभाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आभार प्रकट किया।
अंत में गले में असमिया पटका पहने वैंकया नायडू ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। उच्च सदन में होने के नाते हमारी जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी है। ऐसे में हमें चर्चा, बहस एवं संवाद के दौरान उच्च सदन की गरिमा, सम्मान और पहचान का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। नायडू ने कहा कि सभापति के रुप में उन्होंने हमेशा संतुलन बनाए रखने की कोशिश की। नायडू ने कहा कि पांच साल पहले जब उन्हें उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बनाए जाने की सूचना पार्टी की ओर से दी गई। तो वह बेहद भावुक हो गए थे। क्योंकि मुझे संवैधानिक बाध्यता के चलते भाजपा छोड़नी थी। जिसके लिए पूरा जीवन काम किया।
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