जयपुर: महात्मा गांधी अस्पताल में हुई दुर्लभ हार्ट सर्जरी

9 साल पहले लगे मैकेनिकल वॉल्व का बंद होना जानलेवा हो सकता था

जयपुर: महात्मा गांधी अस्पताल में हुई दुर्लभ हार्ट सर्जरी

ऊपर की महाधमनी और महाधमनी का अर्द्ध वृताकार हिस्सा एक गुब्बारे की तरह फैला हुआ था और कभी भी फट सकता था। इसलिए हमें एक नया वाल्व लगाना पड़ा।

जयपुर। महात्मा गांधी अस्पताल के कार्डियक सर्जन्स ने करौली निवासी अंजना सारस्वत का "री-डू" एओर्टिक रूट रिप्लेसमेंट और टोटल एओर्टिक आर्क रिप्लेसमेंट कर एक नया जीवन देने में सफलता हासिल की है। उल्लेखनीय है कि राज्य में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें इन दोनों बीमारियों के लिए एक साथ दो जटिल ऑपरेशन किए गए।

8 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में पहले से लगे मैकेनिकल एओर्टिक वॉल्व को हटा दिया गया जिसने क्लॉट के कारण काम करना बंद कर दिया था।। एक नया मैकेनिकल महाधमनी वाल्व लगाया गया और साथ ही ऊपर की महाधमनी को डैक्रॉन ग्राफ्ट से बदल दिया गया। इस ग्राफ्ट में हृदय की धमनियों को प्रत्यारोपित किया गया। जिसने रूट रिप्लेसमेंट (मॉडिफाइड बेंटल प्रोसीजर) को पूरा किया। उसके बाद महाधमनी के आर्च अर्थात मस्तिष्क और ऊपरी शरीर की तीन महाधमनियों को बदल दिया गया और मस्तिष्क की तीन धमनियों को फिर से जोड़ दिया गया। इस प्रकार टोटल एओर्टिक आर्क रिप्लेसमेंट को पूरा किया गया। कुल आठ नए कनेक्शन किए गए। इस तरह के ऑपरेशन देश के कुछ चुनिंदा केंद्रों पर ही किए जा रहे हैं।ऑपरेशन के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई।

अस्पताल के मुख्य कार्डियक सर्जन तथा हार्ट सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ एम ए चिश्ती ने कहा कि रोगी के महाधमनी वाल्व को 9 साल पहले लगे मैकेनिकल वॉल्व का बंद होना जानलेवा हो सकता था। इसके अलावा, ऊपर की महाधमनी और महाधमनी का अर्द्ध वृताकार हिस्सा एक गुब्बारे की तरह फैला हुआ था और कभी भी फट सकता था। इसलिए हमें एक नया वाल्व लगाना पड़ा। महाधमनी के ऊपरी हिस्से को बदला गया। हृदय की धमनियों को फिर से प्रत्यारोपित किया गया तथा फिर महाधमनी के आधे गोले के आकार वाले हिस्से से निकलने वाली तीन शाखाओं के साथ जोड़ा गया। ये तीनों मस्तिष्क और शरीर के दाएं और बाएं हिस्से में रक्त की आपूर्ति करती हैं।

ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था क्योंकि रोगी की पहले हो चुकी ओपन हार्ट सर्जरी के बाद दिल छाती की दीवार से चिपक गया था। ह्रदय को छाती से अलग करने में अति रक्तस्राव का खतरा था। विशेष रूप से तब जबकि ब्रेस्ट बोन के ठीक पीछे एओर्टा पर एन्यूरिज्म बना हो। इस तरह की महाधमनी के फटने पर  तत्काल मृत्यु हो जाती है। ऐसे ऑपरेशनों में मस्तिष्क की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है और हमने शरीर को 'सलेक्टिव ब्रेन परफ्यूजन' द्वारा 20 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया।

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रोगी अंजना ने कहा कि पिछले 3-4 सालों से उसे गंभीर लक्षण आ रहे थे उसने कई चिकित्सको से परामर्श किया लेकिन कोई भी इस जटिल ऑपरेशन को करने के लिए तैयार नहीं था। अंतत: हम  डॉ. चिश्ती के पास महात्मा गांधी अस्पताल आये। डॉ. एम ए चिश्ती के नेतृत्व में टीम में डॉ आशीष शर्मा, डॉ प्रशांत कोठारी, डॉ वरुण छाबड़ा, डॉ सौरभ गुप्ता, डॉ आशीष जैन, श्री पवन गुप्ता, राजीव मिश्रा, मोहर सिंह शामिल थे।

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