कई लोगों को रौंदते हुए झोंपड़ियों में घुसी बेकाबू ऑडी कार
शहर के चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड इलाकेमें एम्स अस्पताल की तरफ जा रही एक आॅडी कार मंगलवार की सुबह अनियंत्रित होकर झुग्गी झोंपड़ियों में जा घुसी।
जोधपुर। शहर के चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड इलाकेमें एम्स अस्पताल की तरफ जा रही एक ऑडी कार मंगलवार की सुबह अनियंत्रित होकर झुग्गी झोंपड़ियों में जा घुसी। हादसे में एक युवक की मौत होने के साथ ही 9 लोग घायल हो गए, जिनमें एक महिला और दो बालकों की हालत गंभीर बनी है। हादसे में पांच वाहन चपेट में आ गए। बाद में सूचना मिलने पर उसी समय जोधपुर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एम्स अस्पताल पहुंच घायलों से उनकी कुशलक्षेम पूछी और सहायता राशि की घोषणा की।
पलक झपकी और सब कुछ तबाह
थानाधिकारी लिखमाराम ने बताया कि अमित नागर नाम का व्यक्ति सुबह ऑडी कार लेकर मुख्य चौराहा पाल रोड से होते हुए एम्स अस्पताल की तरफ जा रहा था। तब गाड़ी को अचानक किसी को बचाने के चक्कर में उसका पैर ब्रेक और एक्सीलेटर के बीच फंस गया। इससे कार अनियंत्रित होकर आगे चल रही स्कूटी और बाइक समेत पांच गाड़ियों को रौंदते हुए निकट ही सड़क किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों में घुस गई। हादसे में उदयपुर के 16 वर्षीय अंबालाल पुत्र हीरालाल की मौत हो गई। कार से चपेट में आने पर नौ अन्य घायल हुए हैं। दो बालक कैलाश और नाथू के साथ एक महिला की हालत गंभीर बनी हुई है।
क्या है कानून
लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से हुई दुर्घटना से किसी व्यक्ति की जान चली जाती है जो कि भारतीय दंड सहिता में धारा 304 ए में अपराध है, परन्तु यह जमानतीय अपराध की श्रेणी में आता हैं।
- डॉ. विजय पटेल अधिवक्ता
-सड़क हादसे के मामले में अगर मौत हो जाए तो पुलिस आईपीसी की धारा 304 ए, लापरवाही से मौत और साथ ही लापरवाही से गाड़ी चलाने यानी आईपीसी की धारा-279 के तहत केस दर्ज करती है। धारा-279 का इस्तेमाल तब होता है जब ड्राइवर ने लापरवाही से गाड़ी चलाई हो और इससे हादसे का अंदेशा हो। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम 6 महीने कैद की सजा हो सकती है। हालांकि ये अपराध जमानती हैं। अगर लापरवाही से गाड़ी चलाने से किसी की मौत हो जाए तो धारा-304 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है, जिसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम दो साल तक कैद हो सकती है। इसमें भी जमानत मिल सकती है। अगर हादसे से कोई जख्मी हो जाए, तो पुलिस आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 337 जीवन को खतरे में डालने वाला जख्म और आईपीसी की धारा.338 जीवन को खतरे में डालने वाला गंभीर जख्म के तहत केस बनाती है। धारा-337 में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 6 महीने की कैद, जबकि धारा-338 के तहत अधिकतम 2 साल कैद की सजा का प्रावधान है। कानून में यह भी प्रावधान है कि सड़क हादसे में मौत के बाद जिम्मेदार गाड़ी का इंश्योरेंस कवर करने वाली कंपनी को मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा।
- श्रेयांश भंडारी अधिवक्ता
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