सरसों की खेती से तिलहन की फसल का उत्पादन बढ़ने के दावे किए जा रहे है दावे
बीज पर किसान का अधिकार नहीं रह जाएगा
अभी तक किसान रबी और खरीफ की फसल के बीज के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं रहता है। उसके खेत में होने वाले उत्पादन में से ही उपज का थोड़ा भाग बीज के लिए रख लेता है, लेकिन जीएम सरसों के लागू होने से किसान अपना परम्परागत बीज का उपयोग नहीं कर पाएगा।
जयपुर। जीएम सरसों की खेती से देश में तिलहन की फसल का उत्पादन बढ़ने के दावे किए जा रहे है, लेकिन आशंका है कि जीएम सरसों के लागू होने से बीज पर किसान का अधिकार नहीं रह जाएगा। अभी तक किसान रबी और खरीफ की फसल के बीज के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं रहता है। उसके खेत में होने वाले उत्पादन में से ही उपज का थोड़ा भाग बीज के लिए रख लेता है, लेकिन जीएम सरसों के लागू होने से किसान अपना परम्परागत बीज का उपयोग नहीं कर पाएगा। राजस्थान सरसों उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है पर किसान संगठनों और कृषि वैज्ञनिकों के अनुसार जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईसी) ने जीएम सरसों को अनुमति दी है, लेकिन अभी अंतिम मोहर केन्द्र का पर्यावरण मंत्रालय लगाएगा। ऐसे में पर्यावरण मंत्रालय को बिना व्यवस्थित अध्ययन के अनुमति नहीं देनी चाहिए।
राजस्थान में क्या रहेगा असर
राजस्थान में देशभर की सबसे अधिक सरसों होती है। किसानों को आशंका है कि इससे फसल को नुकसान होने के साथ ही तेल के रूप में मनुष्य को भी नुकसान हो सकता है।
जीएम सरसों से किसान के बीज पर कंपनी का अधिकार हो जाएगा। किसान को प्रतिवर्ष बाजार से बीज खरीदना पड़ेगा। ऐसे में सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए।
- रामपाल जाट, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान महापंचायत, जयपुर
जीएम सरसों को लेकर आशंकाएं हैं। उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन यह देखा जाना चाहिए कि इससे मनुष्य पर नकारात्मक असर तो नहीं पड़ेगा। इससे बनी खल के सेवन से जानवरों पर प्रभाव का अध्ययन हो। अमेरिका में जीएम मक्का में लागू की जो बड़ी परेशानी बनी।
- धर्मेंद्र दुबे, राष्ट्रीय सह प्रचार प्रमुख, स्वदेशी जागरण मंच, जोधपुर
पहले सरकार उसका ढंग से परीक्षण कराए। विरोध सिर्फ इतना है कि प्रयोग के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए।
- अमराराम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा, जयपुर
Comment List