प्रदेश में सत्ता में रहते कांग्रेस ने दस सालों में जीते सबसे ज्यादा उपचुनाव

विपक्ष में रहते राजस्थान कांग्रेस ने 6 उपचुनाव जीते

प्रदेश में सत्ता में रहते कांग्रेस ने दस सालों में जीते सबसे ज्यादा उपचुनाव

सत्ता में रहने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने 7 विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में से 5 में जीत दर्ज की है, जबकि 2013 से 2018 तक पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय भाजपा को 8 उप चुनाव में से 6 उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था।

जयपुर। प्रदेश में सत्ता और विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा उप चुनाव जीते हैं। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने 6 उप चुनाव जीते, जबकि सत्ता में रहते हुए पांच उप चुनाव जीते हैं। कांग्रेस ने सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र में होने जा रहे उप चुनाव को भी गुड गवर्नेंस के जरिए जीतने का दावा किया है। यह सीट कांग्रेस के दिग्गज विधायक रहे भंवर लाल शर्मा के निधन के चलते खाली हुई है। सत्ता में रहने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने 7 विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में से 5 में जीत दर्ज की है, जबकि 2013 से 2018 तक पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय भाजपा को 8 उप चुनाव में से 6 उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। सत्ता में रहने और विपक्ष में रहने के बावजूद भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे पक्ष में नहीं रहे।

4 साल में कांग्रेस ने जीते छह उपचुनाव
2013 में मोदी लहर के चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस सभी 25 लोकसभा सीटों पर हार गई थी, लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस के लिए राहत भरे रहे थे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से सांवरलाल जाट, सूरतगढ़ से संतोष अहलावत, वैर से बहादुर कोली और कोटा दक्षिण से चुनाव जीते ओम बिरला को 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट देकर लोकसभा चुनाव लड़ाया। सांवरलाल जाट अजमेर, संतोष अहलावत झुंझुनूं, बहादुर कोली भरतपुर और ओम बिरला कोटा से लोकसभा का चुनाव जीत गए। इसके पांच महीने बाद चारों विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को बड़ा झटका दिया और नसीराबाद, सूरजगढ़ और वैर में जीत दर्ज की। भाजपा को केवल कोटा दक्षिण में ही जीत मिली। 2013 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना कर चुकी कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन कर राजनीतिक पंडितों को भी हैरान कर दिया था। हालांकि 2017 में धौलपुर से बसपा विधायक रहे बीएल कुशवाह की विधायकी रद्द होने के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी को धौलपुर सीट पर भाजपा का टिकट देकर चुनाव लड़ाया और जीत गई।
  
लोकसभा के दो उपचुनाव जीती थी कांग्रेस
वर्ष 2018 की जनवरी की शुरुआत में सत्तारूढ़ भाजपा को उस वक्त बड़े झटके लगे थे, जब दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने अजमेर और अलवर लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की। वहीं मांडलगढ़ विधानसभा सीट भी जीती। अजमेर लोकसभा उपचुनाव में रघु शर्मा सांसद चुने गए थे तो अलवर सीट से कांग्रेस के करण सिंह यादव सांसद चुने गए। मांडलगढ़ उपचुनाव में विवेक धाकड़ ने चुनाव जीता था। आमतौर पर माना जाता है कि सत्तारूढ़ पार्टी की एंटी इनकंबेंसी का फायदा उपचुनावों में विपक्षी पार्टियों को मिलता है, लेकिन यहां भी भाजपा को अब तक हुए 7 उपचुनाव में से 5 में हार का सामना करना पड़ा है, जबकि धरियावद और मंडावा सीट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी पर इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस पार्टी ने जहां मंडावा, सुजानगढ़, सहाड़ा, वल्लभनगर, धरियावद सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं भाजपा केवल राजसमंद सीट पर ही कब्जा बरकरार रख पाई। खींवसर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने अपना कब्जा बनाए रखा। मंडावा से साल 2018 में विधायक बने नरेंद्र खीचड़ 2019 के लोकसभा चुनाव में सीकर से सांसद चुने गए। वहीं खींवसर से विधायक रहे हनुमान बेनीवाल भी गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर नागौर से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन गए थे। इन दोनों के सांसद बनने के बाद मंडावा और खींवसर सीट पर उपचुनाव हुआ था।

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