बांसवाड़ा और भीलवाड़ा सीट पर कांग्रेस आलाकमान के फैसले की परीक्षा

बांसवाड़ा और भीलवाड़ा सीट पर कांग्रेस आलाकमान के फैसले की परीक्षा

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे फेज की 13 सीटों पर मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है।

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे फेज की 13 सीटों पर मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं, दो सीट डूंगरपुर-बांसवाड़ा और भीलवाड़ा सीट पर कांग्रेस आलाकमान के फैसलों की भी परीक्षा होगी। दूसरे फेज में शुक्रवार को अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, पाली, जालोर-सिरोही, जोधपुर, बाड़मेर-जैसलमेर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, झालावाड-बारां, कोटा-बूंदी, टोंक-सवाईमाधोपुर, राजसमंद और उदयपुर सीटों पर मतदान हुआ। इन सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की सिफारिश से टिकट मिले थे, ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। अजमेर में रामचन्द्र चौधरी को पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, चित्तौड़गढ़ में उदयलाल आंजना को पूर्व सीएम अशोक गहलोत और डोटासरा, पाली में गहलोत, जालोर-सिरोही में गहलोत, जोधपुर में गहलोत और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, बाड़मेर-जैसलमेर में गोविन्द डोटासरा, झालावाड़-बारां में गहलोत और डोटासरा, कोटा-बूंदी में गहलोत और डोटासरा, टोंक-सवाईमाधोपुर में सचिन पायलट, राजसमंद और उदयपुर में गहलोत के नजदीकियों को टिकट मिला। इन सीटों पर परिणाम आएंगे तो इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। 

दो सीटों पर आलाकमान ने लिए फैसले
डूंगरपुर-बांसवाड़ा और भीलवाड़ा सीट पर टिकटों के फैसले कांग्रेस आलाकमान ने लिए थे। बांसवाड़ा सीट पर एनवक्त पर हुए गठबंधन का फैसला आलाकमान स्तर पर हुआ था। फैसले में वक्त लगने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर ने पर्चा वापस नहीं लिया तो कांग्रेस के लिए अजीब सी स्थिति बन गई। डामोर को पार्टी से निष्कासित करने के बाद भी वे सिंबल के चलते पार्टी प्रत्याशी बने रहे। कांग्रेस ने बीएपी प्रत्याशी राजकुमार रोत को मतदान की अपील की तो डामोर ने कांग्रेस के नाम पर वोट मांगे। इस सीट पर परिणाम इसीलिए रोचक हो गए। भीलवाड़ा सीट पर पहले दामोदर गुर्जर को और राजसमंद सीट पर सुदर्शन रावत को टिकट दिया। रावत के चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद गुर्जर को राजसमंद भेजा गया। भीलवाड़ा सीट पर पेच फंसा तो आलाकमान ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी को टिकट दिया। लिहाजा इन दोनों सीटों पर आलाकमान के फैसले की परीक्षा भी होगी।

दिग्गज नेताओं के गृह जिलों और राजनीतिक क्षेत्रों में प्रतिष्ठा दांव पर
जोधपुर अशोक गहलोत का गृह जिला है। जालोर-सिरोही से बेटे वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने के कारण यहां भी गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पाली, राजसमंद और उदयपुर में भी गहलोत ने अपने भरोसेमंद लोगों को टिकट की पैरवी की थी। डॉ.सीपी जोशी का भीलवाड़ा गृह जिला और टोंक-सवाईमाधोपुर में टोंक सचिन पायलट का विधानसभा क्षेत्र है। गोविन्द डोटासरा ने बाड़मेर, अजमेर में जाट प्रत्याशियों के लिए पैरवी की तो झालावाड़, कोटा और चित्तौड़गढ़ में गहलोत और डोटासरा दोनों ही पैरवी करने वालों में शामिल थे। 

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