श्रीलंका के रास्ते भारत की मिलिट्री की जासूसी कर रहा चीन

रॉ चीफ एक्शन में, फेल होगी हर चाल

श्रीलंका के रास्ते भारत की मिलिट्री की जासूसी कर रहा चीन

रॉ चीफ ने श्रीलंका की सरकार से क्या बातचीत की, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन सूत्रों की मानें तो गोयल ने सुरक्षा से जुड़े मसलों को राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के सामने उठाया था जिसमें से एक युआन वांग 5 का मसला भी शामिल था। युआन वांग अंतरिक्ष पर नजर रखने वाला जहाज जो किसी भी सैटेलाइट, रॉकेट और इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्चर को ट्रैक कर सकता है।

कोलंबो। चीन के जासूसी जहाज के श्रीलंका पहुंचने के बाद से ही भारत अलर्ट है। जहां हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की चौकसी बढ़ गई है तो वहीं भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ भी घटनाक्रम पर बराबर नजर रखे है। रॉ के मुखिया समंत कुमार गोयल पिछले दिनों कोलंबो पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सागला रत्नायके से भी मुलाकात की। श्रीलंका की वेबसाइट टाइम्स आॅनलाइन की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई है। चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5 16 से 22 अगस्त तक त्रिनकोमाली बंदरगाह पर था। इस जहाज को चीन का सबसे खतरनाक जासूसी जहाज करार दिया जाता है। जहां यह जहाज रुका वहां से चीन की सेना बहुत आसानी से भारत की तरफ से होने वाले किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल टेस्ट का पता लगा सकता था। भारत की तरफ से इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताई गई थी।

जासूसी करता चीन
रॉ चीफ ने श्रीलंका की सरकार से क्या बातचीत की, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन सूत्रों की मानें तो गोयल ने सुरक्षा से जुड़े मसलों को राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के सामने उठाया था जिसमें से एक युआन वांग 5 का मसला भी शामिल था। युआन वांग अंतरिक्ष पर नजर रखने वाला जहाज जो किसी भी सैटेलाइट, रॉकेट और इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्चर को ट्रैक कर सकता है। 11 अगस्त को श्रीलंका ने इस जहाज को त्रिनकोमाली बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी दी थी। लेकिन भारत के विरोध के बाद उसे एंट्री नहीं मिली।

दोनों देशों के बीच तनाव
भारत की तरफ से श्रीलंका की सरकार को कई ऐसे दस्तावेज मुहैया कराए गए थे जिसमें यह साफ-साफ बताया गया था कि चीनी जहाज भारत की सेनाओं की जासूसी करने के मकसद से आ रहा है। भारत के विरोध के बावजूद श्रीलंका ने 16 अगस्त को इस जहाज को एंट्री की मंजूरी दे दी थी।चीनी जहाज की वजह से भारत और श्रीलंका के रिश्तों में खासा तनाव आ गया था।

भारत ने जताई थी चिंता
भारत ने हिंद महासागर में इस जहाज की मौजूदगी पर चिंता जताई जा चुकी है। ये जहाज सैटेलाइट्स को ट्रैक कर सकता है और साथ ही इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल का पता भी लगा सकता है। ये ज हाज युआनवांग क्लास का जहाज है। इसका वजन करीब 23,000 टन है और इस पर 400 नौसैनिकों का क्रू आसानी से आ सकता है। इस जहाज पर कई तरह के सेंसर्स लगे हुए हैं। भारत ने इसी वजह से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई है। ये जहाज ओडिशा से होने वाले किसी भी मिसाइल के टेस्ट का पता लगा सकता है। इसकी मदद से चीन उस खास मिसाइल की परफॉर्मेंस और उसकी सटीक रेंज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर सकेगा।

चीन ने दिया उलटा जवाब
भारत ने हमेशा से ही श्रीलंका में चीन की मौजूदगी पर आशंका जाहिर की है। भारत की आपत्ति पर चीन ने पलटकर जवाब दिया था। चीन ने भारत का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि कुछ खास देश चीन की वैज्ञानिक खोज को सफल होते नहीं देखना चाहते हैं और सामान्य संपर्क में बाधा डाल रहे हैं। साथ ही वो चीन और श्रीलंका के बीच आपसी सहयोग को भी प्रभावित कर रहे हैं।

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