भारतीय कंपनियां रूस से सस्ता तेल खरीदने के लिए दिरहम में कर रही भुगतान
कंपनियों ने प्रतिबंधों से बचने के लिए खोजा गजब तरीका
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार स्पेसिफिक ट्रेडर्स की मांग के आधार पर पेमेंट्स कार्गो टू कार्गो बदल रहा है। हालांकि, रिलायंस, बीपीसीएल और नायरा ने इस पर तक्काल कोई टिप्पणी नहीं की है।
नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस का तेल निर्यात रोकने के लिए पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए। लेकिन भारत ने इसके कई रास्ते निकाल लिए। रुपी-रूबल ट्रेड को एक नया आयाम मिला। भारत किसी से नहीं डरा और इसने रूस से जमकर कच्चा तेल खरीदा। अब रूसी तेल खरीदने के लिए भारतीय कंपनियों ने एक नया रास्ता निकाला है। यह संयुक्त अरब अमीरात से होकर जाता है। यानी वहां की करेंसी दिरहम यूज होती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपीसीएल और नायरा एनर्जी रूसी तेल खरीदने के लिए दिरहम का उपयोग कर रही हैं। इस तरह वे पश्चिमी प्रतिबंधों से बच रही हैं। मामले से जुड़े लोगों के अनुसार खरीदारों ने कुछ लेनदन इस करेंसी में किया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार स्पेसिफिक ट्रेडर्स की मांग के आधार पर पेमेंट्स कार्गो टू कार्गो बदल रहा है। हालांकि, रिलायंस, बीपीसीएल और नायरा ने इस पर तक्काल कोई टिप्पणी नहीं की है।
भारत यूएई का दूसरा बड़ा ट्रेड पार्टनर
यूएई दिरहम भारतीय खरीदारों और रूसी सेलर्स को ग्रीनबैक के संभावित प्रतिबंधों की जटिलताओं के बिना अपेक्षाकृत अनुमानित करेंसी प्रदान करता है। भारत यूएई का दूसरा बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अधिकारी दिरहम और रुपए के बीच व्यापार बढ़ाने के मैकेनिज्म पर काम कर रहे हैं।
अधिकतर डील्स अभी भी डॉलर में
अधिकतर आयल डील्स अभी भी डॉलर में की जाती हैं। भारत के तेल मंत्री ने कहा कि उन्हें तेल खरीद में दिरहम के इस्तेमाल की जानकारी नहीं थी। हरदीप सिंह पुरी ने बेंगलुरु में एक इंटरव्यू में कहा कि यदि आप मुझसे आधिकारिक तौर पर पूछ रहे हैं कि क्या मैं इन भुगतान चैनलों के बारे में जानता हूं तो नहीं, मैं नहीं जानता हूं। अगर जरूरत पड़ी तो हम बात करेंगे।
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