टीकाकरण सुस्त : इसी माह सबको पहली डोज भी मुश्किल, 41.86 लाख दूसरी डोज लेने ही नहीं आए, यह भी बनी चुनौती
33% को अभी दूसरी डोज लगना बाकी
जयपुर। चिकित्सा विभाग ने 31 जनवरी तक सौ फीसदी टीकाकरण का टारगेट तय किया है, लेकिन वर्तमान टीकाकरण की सुस्त रफ्तार से यह मुश्किल लग रहा है। टीकाकरण के अब तक के आंकड़ों और वैक्सीनेशन की गति के हिसाब से आगामी सवा माह में ही पहली डोज लग पाएगी। वहीं दूसरी डोज लगाने में तो अभी भी कम से कम ढाई से तीन माह और लग जाएंगे। ऐसे में फरवरी के अंत तक ही सबको पहली और अप्रैल के अंत तक दूसरी डोज लगने की उम्मीद है।
प्रदेश में अभी 18 प्लस उम्र पार के 5.15 करोड़ लोग हैं। करीब 27 लाख 48 हजार 537 लोगों को पहली डोज लगना बाकी है। वर्तमान में रोजाना करीब 66,000 ही डोज लग रही है। इस हिसाब से कम से कम 35-40 दिन और सौ फीसदी पहली डोज में लगना तय है। वहीं 84 दिन बाद दूसरी डोज लगने के राइडर के चलते अप्रैल तक ही संभव होगा, क्योंकि अभी तक प्रदेश में 1 करोड़ 32 लाख 66 हजार के करीब लोगों को दूसरी डोज लगना बाकी है। दूसरी डोज लेने नहीं आ रहे लोग भी अभियान को और लंबा कर रहे हैं। क्योंकि अभी तक 41 लाख 86 हजार लोग ऐसे हैं जो समयावधि पूरी होने के बाद भी दूसरी डोज लेने के लिए नहीं आए हैं। उनकी डोज ड्यू चल रही है। अगर समय पर सभी दूसरी डोज लेते तो अब तक 4 करोड़ 24 लाख के करीब दूसरी डोज लेने वालों की संख्या पहुंच चुकी होती।
33% को अभी दूसरी डोज लगना बाकी
प्रदेश में अभी दूसरी डोज लेने वालों की संख्या 3,82,33,416 करोड़ यानी 67.13 फीसदी है। करीब 33 फीसदी यानी 1.33 करोड़ को दूसरी डोज लगना बाकी है। डोज ड्यू रखने वाले लाखों लोग अलग से फुल वैक्सीनेशन में चुनौती बने हुए हैं। प्रदेश में अब तक 4 लाख 87 हजार 51 हजार लोगों को पहली डोज लगी है जो कुल आबादी का 94.66 फीसदी है।
15-17 साल का वैक्सीनेशन शुरुआती स्पीड में पिछड़े
प्रदेश में 3 जनवरी से 15-17 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत काफी बेहतर थी। 3-4 लाख बच्चों को एक दिन में डोज लग रही थी। इस हिसाब से जनवरी में ही सबको डोज लग जाती, लेकिन इसकी स्पीड भी पिछड़ गई है। अभी तक 53.15 लाख बच्चों में से आधे यानी 27.12 लाख को ही पहली डोज लग पाई है। अब रोजाना 20-25 हजार बच्चें ही वैक्सीन लगाने आ रहे हैं। इसलिए फरवरी के अंत ही इनका पहले चरण का अभियान पूरा हो पाएगा।
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