ब्याज दरें यथावत

ब्याज दरें यथावत

भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई और अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधार न आने पर चिंता जताते हुए लगातार दसवीं बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई और अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधार न आने पर चिंता जताते हुए लगातार दसवीं बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यानी लोन ईएमआई पर राहत के लिए ग्र्राहकों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। रेपो रेट में कटौती के बाद बैंकों पर ब्याज दर में कटौती करते हैं तो ईएमआई भी कम हो जाती है। आरबीआई गर्वनर शक्ति कांत दास ने कहा कि मार्च तक महंगाई के और बढ़ने की संभावना है और सितंबर के बाद धीरे-धीरे राहत की उम्मीद की जा सकती है। बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव न करके साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता विकास को रफ्तार देना है। जबकि इस बार बाजार से लेकर उद्योग जगत तक को नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी। फिर, कुछ समय से आरबीआई भी इस तरह के संकेत देते रहा है कि अब अर्थव्यवस्था उबरने लगी है और हालात सामान्य की ओर हैं, ऐसे में नीतिगत दरों को लंबे समय तक न्यूनतम स्तर पर बनाए रखना  न संभव है, न उचित। इस बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था अभी अनिश्चितता के माहौल से निकल नहीं पाई है। इसलिए 2022-23 के प्रस्तावित बजट में भी सरकार का जोर उन उपायों पर ही रहा है, जिनसे बुनियादी क्षेत्र में तेजी का माहौल बन सकें और रोजगार के मौके बन सकें। जाहिर है ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दरें बढ़ाकर जोखिम मोल लेने की स्थिति में था नहीं। नीतिगत दरों में बदलाव न करने का पीछे का कारण यही रहा है कि वाणिज्यिक बैंक दरें न बढ़ा सकें और कर्ज सस्ता बना रहे। सरकार का जो पहले से ही यही रहा है कि बैंक कर्ज देने में उदार बनें रहें ताकि आर्थिक गतिविधियों में तेजी बनी रहे। लेकिन समस्या तो यह है कि जो लोग या उद्योग अब तक कर्ज लेने से बचते रहे, वे अब इसे प्राथमिकता क्यों देंगे? हालांकि जिसको जरूरत होगी, वह तो मजबूरी में कर्ज लेगा ही। रिजर्व बैंक ने हालांकि कर्ज को सस्ता बनाए रखने का प्रयास तो किया है, लेकिन यह मान लेना कि इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, सही और व्यावहारिक प्रतीत नहीं होता। निजी निवेश गति नहीं पकड़ रहा है, उत्पादन घट रहा है, क्योंकि बाजार में मांग की कमी है। बेरोजगारी की दर का दायरा काफी बड़ा है। लोगों के पास खर्च करने को पैसा नहीं है। बाजार में मांग बढ़ाना आसान नहीं है, फिर महंगाई ने सब कुछ चौपट कर रखा है।

Post Comment

Comment List

Latest News

रोडवेज में लापरवाही बरतने 10 मुख्य प्रबंधकों को नोटिस जारी रोडवेज में लापरवाही बरतने 10 मुख्य प्रबंधकों को नोटिस जारी
रोडवेज चेयरमैन श्रेया गुहा ने कार्यकारी प्रबंधक (प्रशासन) और कार्यकारी प्रबंधक (यातायात) को नियमित मॉनिटरिंग और कार्रवाई के निर्देश दिए...
कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक बोले- सफाई भर्ती पर केवल वाल्मीकि समाज का पहला हक, दूसरे समाजों का कोई हक नहीं
सीएमएचओ कार्यालय की कटी बिजली, आवश्यक सेवाएं बाधित
आयुष्मान खुराना ने Paris Olympics में टीम इंडिया के लिए समर्थन की अपील की!
खड़गे-राहुल ने करगिल शहीदों को श्रद्धांजलि की अर्पित
जयपुर रत्न व रत्नाभूषण उद्योग की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श
Women Asia Cup : भारत, बंगलादेश को 10 विकेट से रौंद कर फाइनल में