व्यायाम और खेलों में जोश के साथ सावधानियां भी जरुरी

अपनाएं शॉर्टकट तरीके : चोटों के कारण जीवनभर दूर रहना पड़ सकता है खेल से

व्यायाम और खेलों में जोश के साथ सावधानियां भी जरुरी

विशेषज्ञों का कहना है कि एक खिलाड़ी का जीवन कांच की तरह होता है अगर थोड़ा भी तड़क जाए तो खिलाड़ी कर सम्पूर्ण जीवन खराब हो जाता है।

कोटा। खेल शारीरिक और मानसिक मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है और आज के इस दौर में तो इनका महत्व और भी बढ़ गया है लेकिन खिलाड़ियों को खेल के अभ्यास में प्रदर्शन के साथ-साथ उस दौरान होने वाली छोटी-बड़ी चोटों को लेकर भी काफी सावधानियां बतरनी चाहिए वरना कभी-कभी छोटी-छोटी चोटें भी एक खिलाड़ी के खेल जीवन को पूरा खत्म कर सकती है। यह कहना है कोटा शहर के प्रशिक्षकों, पूर्व खिालाड़ियों और अन्य संबंधित विशेषज्ञों का। विशेषज्ञों का कहना है कि खेलों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। अगर व्यक्ति को स्वस्थ रहना है तो उसे संतुलित खानपान के साथ शारीरिक गतिविधि करना पर भी आवश्यक हैं। जो कि खेलो व व्यायाम के माध्यम से की जा सकती है परन्तु खेलों और व्यायाम करने मे भी कुछ सावधानियां जरूरी हैं। क्योंकि कभी खेलते व व्यायाम करते समय चोट लग जाती है जो इतनी ज्यादा खतरनाक हो जाती है कि उस खिलाड़ी का सम्पूर्ण कैरियर भी खत्म हो सकता है। ऐसे कई खिलाड़ी है कि जिनका खेल कैरियर इन चोटों की वजह से खत्म हुआ है।  इन लोगों का मानना है कि यह बहुत जरुरी है कि किसी भी खेल का अभ्यास करते समय किसी कुशल प्रशिक्षक के साथ ही अभ्यास किया जाए नहीं तो चोट लगने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक खिलाड़ी का जीवन कांच की तरह होता है अगर थोड़ा भी तड़क जाए तो खिलाड़ी कर सम्पूर्ण जीवन खराब हो जाता है। प्रशिक्षकों का कहना हैं कि कई बार ऐसा देखा गया है कि जब किसी कंपेटेटिव प्रतियोगिता का फिजिकल टेस्ट होता है तो उसमे फिजिकल के लिए कुछ ही दिन दिए जाते है। जिसके परिणामस्वरूप बच्चे अपनी क्षमता से ज्यादा अभ्यास करते हैं। ओवरलोड और संसाधनों की कमी के कारण वो उक्त चोटों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे कई खिलाड़ी कोटा जिले और संभाग में भी हैं जो चोटों के कारण या तो खेलों से दूर हो गए या उनके प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। हमे भी इन चोटों के प्रति सजग होना चाहिए व इनसे संबंधित जानकारी साझा करनी चाहिए। 

ये कारण होते हैं खेलों में चोट के 
- उचित संसाधनों का प्रयोग नहीं करना।
- कुशल प्रशिक्षक के प्रशिक्षण का अभाव।
- संतुलित आहार की कमी।
- प्रदर्शन के लिए खिलाड़िओं द्वारा शार्टकट के रास्तें अपनाना।
- सप्लामेंट या गलत प्रयोग करना। 

इस प्रकार की हो सकती है चोट
- सॉफ्ट टिश्यु इंजरी। 
- बॉन इंजरी। 
- ज्वाइंट इंजरी। 

विशेषज्ञ कहते हैं कि अभिभावकों को चाहिए कि वह भी अपने बच्चों को खेलों में डालते समय उक्तबातों का ध्यान रखें। चोटों की यदि हम बात तो यह भी कई प्रकार की होती है। 

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कई बार खिलाड़ी सप्लीमेंट या गलत चीजें काम में लेते हैं वो नहीं लेनी चाहिए। जहां तक संभव हो देशी खुराख ही काम में लेनी चाहिए। चोट लगने के बाद चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही आगे कुछ करना चाहिए। किसी भी प्रकार की चोट का छोटा नहीं समझना चाहिए।
- खजान सिंह, नेशनल खिलाड़ी। 

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चोटों से बचाव करने के लिए साइंटिफिक तरीकें से ही प्रशिक्षण लेना चाहिए। किसी भी प्रकार से शोर्टकट का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। 
- राकेश शर्मा, सचिव, जिला एथलेटिक्स संघ। 

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खिलाड़ी को खेल और उसकी कार्यक्षमता के अनुकूल ही व्यायाम करना चाहिए। इससे चोट लगने की संभावना बहुत कम हो जाती है। अगर प्रैक्टिस के दौरान किसी भी प्रकार की चोट लग भी जाए तो उसे हल्के में ना लेकर उचित परामर्श लेना चाहिए। 
- अमर सिंह यादव, खेल अधिकारी, कोटा विवि

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