एम्स में आइवीयूएस व आईएफआर तकनीक से हुई पहली बार एंजियोग्राफी

एम्स में आइवीयूएस व आईएफआर तकनीक से हुई पहली बार एंजियोग्राफी

एम्स जोधपुर के हृदय रोग विभाग ने इस नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दो मरीजों का सफल इलाज किया। उत्तर भारत में इस तकनीक की सहायता से पहली बार इलाज किया गया। एम्स के निदेशक डॉक्टर संजीव मिश्रा ने बताया कि संस्थान के सभी विभागों में उच्चतम तकनीक से मरीजों का इलाज किया जाता है।

जोधपुर। एम्स जोधपुर के हृदय रोग विभाग ने इस नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दो मरीजों का सफल इलाज किया। उत्तर भारत में इस तकनीक की सहायता से पहली बार इलाज किया गया। एम्स के निदेशक डॉक्टर संजीव मिश्रा ने बताया कि संस्थान के सभी विभागों में उच्चतम तकनीक से मरीजों का इलाज किया जाता है। हृदय रोग विभाग में भी दो कैथलेब व आइवीयूएस और ओसीटी जैसी नई उच्च तकनीक वाली मशीने उपलब्ध है जिससे मरीजों का इलाज और बेहतर ढंग से करने में सहायता मिलती है। डीएन एकेडमिक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि इस तरह की नई तकनीकों से उच्च शिक्षा में अनुसंधान में भी सहायता मिलेगी, जो आगे चल कर इलाज की दिशा तय करते है।

हृदय रोग विभाग के सह आचार्य डॉ देवड़ा ने दी जानकारी
डॉक्टर सुरेंद्र देवड़ा ने बताया की यह नई तकनीक एंजियोप्लास्टी के दौरान यह बताती है की मरीज को स्टंट की वास्तव में जरूरत है या नहीं। आइवीयूएस तकनीक से हृदय की नसों में कैमरा डाल कर ब्लॉकेज का सही अध्ययन किया जाता है और आईएफ आर द्वारा ब्लॉकेज से होने वाली रक्त की कमी का अध्ययन किया जाता है। पहले 52 वर्षीय मरीज को सीने में दर्द की शिकायत के कारण एंजियोग्राफी की गई जिसमें हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज का ढीक से पता नहीं चल पाया। इसलिए आईवीयूएसए आईएफ आर विथ एंजियो को रजिस्ट्रेशन की सहायता ली गई तथा मरीज को स्टंट ना लगाकर दवाइयों से इलाज किया गया।

 

दूसरे 70 वर्षीय मरीज की 2018 में सीने में दर्द की लिए दो स्टंट लगाए गए थे। यह मरीज फिर से सीने में दर्द की शिकायत की लिए एम्स में भर्ती किया गया। हृदय की एंजियोग्राफी की गई व स्टंट में बॉर्डर लाइन ब्लॉकेज पाया गया। इस नई तकनीक से ब्लॉकेज को कंफर्म किया गया व एक स्टंट और लगा कर सफल इलाज किस गया। इस तकनीक से स्टंट की साइज व उसका हृदय की नसों में सही से इम्पलाटेशन हुआ कि नहीं पता किया जाता है। एम्स जोधपुर के हृदय रोग विभाग में अब जटिल केसेज नियमित रूप से किए जाने लग गए है और इन नई तकनीकों से सफल इलाज करने में भी सफलता मिल रही है। हृदय रोग विभाग की डॉक्टर राहुल, डॉक्टर अतुल, नर्सिंग ऑफिसर बाबूलाल, नन्दराम व तकनीशियन साजिद ने भी सहयोग किया।

Read More देर से सोना और देर तक सोना बीमारियों को बुलावा देना

Related Posts

Post Comment

Comment List

Latest News

राजस्थान में हुए अभूतपूर्व विकास कार्यों की पूरे देश में चर्चा- गहलोत राजस्थान में हुए अभूतपूर्व विकास कार्यों की पूरे देश में चर्चा- गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए समर्पित भाव से कार्य...
तेलंगाना, छत्तीसगढ़ में 34 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास, लोकार्पण करेंगे : मोदी
हॉकी में भारत ने बंगलादेश को 12-0 से हराकर सेमीफाइनल में किया प्रवेश
राजस्थान में सरकार नहीं गिरा पाने की पीड़ा आज तक दिल्ली भाजपा के नेताओं को- लोकेश शर्मा
Rahul Gandhi Visit Amritsar: स्वर्ण मंदिर में टेका मत्था
एजुकेशन सिस्टम में बहुत कुछ करना चाहता हूं
बकरियों पर कुत्तों के झुंड ने किया जानलेवा हमला, 9 बकरियों सहित एक भैस को उतारा मौत के घाट