जरूरतमंद देशों को स्वच्छ तकनीक मुहैया कराना जरूरी: मोदी
पीएम ने जी-7 के सातवें कार्य सत्र को किया संबोधित
उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है और इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी।
हिरोशिमा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ऊर्जा के संदर्भ से परे देखने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि यदि हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरतमंद देशों को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और किफायती ऋण उपलब्ध नहीं करा सके तो इस संकट से निजात नहीं पा सकेंगे। मोदी ने जी-7 के सातवें कार्य सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। अनेक संकटों से ग्रस्त विश्व में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से हैं। इन बड़ी चुनौतियों का सामना करने में एक बाधा यह है कि हम जलवायु परिवर्तन को केवल ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य से देखते हैं। हमें अपनी चर्चा का दायरा बढ़ाना चाहिए।
हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी: उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है और इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी। उसके अनुरूप अपने आप को, अपने व्यवहार को बदलना होगा। इसी भावना से भारत ने पूरे विश्व के लिए मिशन लाइफ, अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़, आपदा निरोधक अवसंरचना गठबंधन, मिशन हाइड्रोजन, जैवईंधन गठजोड़, बिग कैट एलायंस जैसे संस्थागत समाधान खोजे हैं। उन्होंने कहा कि मैं गर्व से कहता हूं कि भारत के लोग पर्यावरण के प्रति सचेत है।
जेलेंस्की और मैक्रों से की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेन्स्की और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से द्विपक्षीय मुलाकात की। मोदी ने जेलेन्स्की के मुलाकात के बाद ट््वीट किया कि हमने आगे का रास्ता खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के लिए भारत के स्पष्ट समर्थन से अवगत कराया। हम यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देना जारी रखेंगे। मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की।
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