लाखों के रिक्शा ठेले हुए कबाड़, अब हाथ ठेले खरीदने की तैयारी

घर-घर कचरा संग्रहण के लिए खरीदे थे 120 रिक्शा ठेले

लाखों के रिक्शा ठेले हुए कबाड़, अब हाथ ठेले खरीदने की तैयारी

काफी संख्या में रिक्शा ठेले बिना उपयोग के ही कबाड़ हो गए हैं। जिससे लाखों रुपए कबाड़ में धूल खा रहे हैं।

कोटा। नगर निगम की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हर संभव प्रयास तो किए जा रहे हैं। लेकिन उसके साथ ही संसाधनों की दुर्दशा भी हो रही है। ऐसा ही मामला है पूर्व में खरीदे गए लाखों के रिक् शा ठेलों का। रिक् शा ठेले तो कबाड़ हो रहे हैं अब निगम हाथ ठेले खरीदने की तैयारी कर रहा है। नगर निगम का मुख्य काम शहर को स्वच्छ रखना है। इसके लिए मेन रोड से लेकर गलियों तक की सफाई तो निगम करवा ही रहा है। साथ ही घरों से कचरा भी एकत्र किया जा रहा है। पूर्व में जहां लोग सड़क किनारे कहीं भी कचरा डाल देते थे। उसे समाप्त कर दिया है। इसके लिए नगर निगम द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है। टिपरों के माध्यम से यह सुविधा चलाई गई है। नगर निगम कोटा की ओर से तत्कालीन आयुक्त डा. विक्रम जिंदल के समय में करीब 21 लाख की लागत से 120 रिक्शा ठेले खरीदे गए थे। इन ठेलों का उपयोग तंग गलियों व संकरे वार्डों में घरों से कचरा एकत्र करने के लिए किया जाना था। हालांकि कई ठेले तो काम में आ गए लेकिन अब उनका भी पता नहीं है। जबकि काफी संख्या में रिक्शा ठेले बिना उपयोग के ही कबाड़ हो गए हैं। 

इन क्षेत्रों में उपयोग के लिए लिया था
निगम सूत्रों के अनुसार नगर निगम के तत्कालीन बोर्ड में पुराने शहर की तंग गलियों में घरों से कचरा एकत्र करने के लिए खरीदा गया था। घंटाघर, चंद्रघटा, मकबरा, विज्ञान नगर व पाटनपोल समेत कई इलाके ऐसे हैं जहां टिपर नहीं जा सकते। वहां नि रिक्शा ठेलों के माध्यम से घरों से कचरा एकत्र किया जाना था। सूत्रों का कहना है कि इन रिक्शा ठेलों को चलाने वाले ही निगम के पास नहीं होने से अधिकािरयों ने भी इन पर ध्यान नहीं दिया। जिससे लाखों रुपए के रिक्शा ठेले बरसों से धूल खा रहे हैं। हालत यह है कि किसी के टायर खराब हो गए तो किसी की बॉडी ही खराब हो गई। खुले में पड़े रहने से अधिकतर के तो सामान ही चोरी हो गए। 

टिपर की तरह सुविधा, लेकिन धूल का रहे
नगर निगम ने जिन रिक्शा ठेलों का उपयोग नहीं किया उन्हें चम्बल गार्डन स्थित स्टोर में रखवा दिया था। स्टोर में जगह नहीं होने से उन्हें पुरानी कैंटीन हॉल के सामने खुले में रख दिया। जहां पिछले कई सालों से पड़े-पड़े उन रिक्शा ठेलों की दुर्दशा होती रही। धूप व बरसात में पड़े रहने से लाखों के रिक्शा ठेले कबाड़ हो गए हैं।  इन ठेलों में टिपरों की तरह गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने की सुविधा दी गई है। लेकिन इनका उपयोग ही नहीं हुआ। जिससे लाखों रुपए कबाड़ में धूल खा रहे हैं।

वार्ड बढ़े तो टिपरों की संख्या बढ़ी
कोटा में पहले एक ही नगर निगम थी। जिसमें 65 वार्ड थे। उस समय हर वार्ड में दो-दो टिपरों से घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा था। परिसीमन के बाद दो नगर निगम बने तो वार्डों की संख्या भी बढ़कर 150 हो गई। कोटा उत्तर में 70 व कोटा दक्षिण निगम में 80 वार्ड शामिल किए गए। नगर निगम की ओर से कोटा उत्तर के हर वार्ड में 3-3 और कोटा दक्षिण के हर वार्ड में 2-2 टिपरों से कचरा संग्रहण किया जा रहा है। 

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निगम खरीदेगा हाथ ठेले
नगर निगम कोटा दक्षिण की गैराज समिति के अध्यक्ष कपिल शर्मा ने बताया कि नगर निगम द्वारा शीघ्र ही हाथ ठेले खरीदने की योजना है। जिससे तंग गलियों में उनका उपयोग किया जा सकेगा। शर्मा ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को सुझाव दिया है कि पूर्व में खरीदे गए रिक्शा ठेलों का उपयोग कई वार्डों में किया जा सकता है। अब उनका निर्णय अधिकारियों को ही करना है। इधर कार्यवाहक आयुक्त राजेश डागा का कहना है कि नए हाथ ठेले गैराज के माध्यम से खरीदने की योजना है। रिक् शा ठेलों के उपयोग के संबंध में बोर्ड में चर्चा करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। 

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नए हाथ ठेले खरीदने की तैयारी
नगर निगम द्वारा नए हाथ ठेले खरीदने की तैयारी की जा रही है। जिससे तंग गलियों व पुराने इलाकों में एक ही सफाई कर्मचारी उन हाथ ठेलों को चलाएगा। वह कचरा उठाकर उसमें डाल लेगा। इसके लिए अतिरिक्त सफाई कर्मचारी की भी जरूरत नहीं होगी। 

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