घर का पूत कुंवारा डोले, पाड़ौसी का फेरा

नगर निगम के कंडम वाहन बरसों से नहीं हुए नीलाम

घर का पूत कुंवारा डोले, पाड़ौसी का फेरा

लोकसभा चुनाव के बाद उनकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

कोटा। घर का पूत कवारा डोले, पडौसी का फेरा...। यह कहावत सभी ने सुनी है और वर्तमान में यह नगर निगम पर सही साबित भी हो रही है। नीलामी समिति में नगर निगम के अधिकारी शामिल होने के बावजूद वे दूसरे विभागों के कंडम व कबाड़ वाहनों की तो नीलामी करवा रहे हैं जबकि निगम के कंडम वाहन व कबाड़ की बरसों से नीलामी नहीं हुई है। नगर निगम के गैराज में बड़ी संख्या में ऐसे वहन हैं जो निर्धारित किमी. से अधिक चल चुके हैं और उनकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। ऐसे में वे अब न तो चलने की स्थिति में हैं और न ही उनका उपयोग हो रहा है। ऐसे वाहन कंडम वाहन की श्रेणी में आते हैं। साथ ही कई वाहन तो इतने अधिक क्षतिग्रस्त हो गए हैं कि वे कबाड़ बन गए हैं। नगर निगम में ऐसे वाहनों में टिपर से लेकर चल शौचालय तक, हाथ गाड़ी से लेकर कचरा पात्र तक, सफाई वाहनों से लेकर डम्पर तक शामिल है। इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि ऐसे कंडम व कबाड़ वाहनों को गैराज में रखने की जगह तक नहीं है। ऐसे में उन वाहनों को दशहरा मैदान के पुराने पशु मेला स्थल में पीछे की तरफ रखा हुआ है। बरसों से उन वाहनों की नीलामी नहीं हुई है। 

नीलामी समिति में निगम के अधिकारी शामिल
सरकारी विभागों में नकारा व कंडम वाहन और कबाड़ को नीलाम करने के लिए गठित समिति में नगर निगम के अधिकारी भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार निगम के ये मैकेनिकल साइड से है और उन्हें वाहनों की टैक्नीकल जानकारी भी है। ये अधिकारी अन्य विभागों के कंडम व नकारा वाहनों की तो समय-समय पर नीलामी करवा रहे हैं। जबकि  नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में लाखों रुपए के कबाड़ वाहन पड़े हुए हैं जिनकी नीलामी के लिए निगम के स्तर पर कोई प्रयास ही नहीं किए जा रहे। 

8 साल से अधिक समय हुआ नीलामी को
निगम सूत्रों के अनुसार नगर निगम में कंडम व नकारा वाहनों की नीलामी हुए करीब 8 साल से अधिक का समय हो गया है। पूर्व के भाजपा बोर्ड में भी वाहनों कीे नीलामी नहीं हुई थी। वहीं कांग्रेस के वर्तमान बोर्ड को भी तीन साल से अधिक का समय हो गया है। इस बोर्ड में भी अभी तक नीलामी की फाइल ही आगे नहीं बढ़ी है। 

नए संसाधनों का उपयोग नहीं तो वे भी हो जाएंगे कंडम
नगर निगम सूत्रों के अनुसार पिछलीे कांग्रेस सरकार के समय में नगर निगम में सफाई संसाधनों से लेकर नई-नई मशीनें खरीदकर तो रख दी लेकिन उनमें से उपयोग बहुत कम का हो रहा है। दोनों नगर निगम में सीवरेज सफाई से लेकर जेटिंग मशीनें तक क्षमता से अधिक है। ट्रेक्टर काफी समय पहले आ गए थे तो वे ट्रॉलियों के इंतजाम में खड़े रहे। उनका उपयोग नहीं किया जा सका। अब ट्रेक्टर भी आ गए हैं तो पंजीयन की औपचारिता में अटके हैं। सूत्रों के अनुसार निगम के गैराज में सैकड़ों ऐसे संसाधन हैं जिनकी कीमत करोड़ों रुपए है। वे खरीदकर पटक दिया लेकिन उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में वे बिना उपयोग किए और खड़े-खड़े ही कंडम हो जाएंगे। 

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उत्तर -दक्षिण के फेर में अटकी नीलामी
सूत्रों के अनुसार पहले कोटा में एक ही नगर निगम थी। पिछली सरकार के समय में दो नगर निगम उत्तर व दक्षिण बना दी। ऐसे में जो वाहन कंडम व कबाड़ हो चुके हैं वह पुराने निगम के समय के है। ऐसे में अभी तक तो उन वाहनों का पूरी तरह से बटवारा ही नहीं हुआ। कौन सा वाहन किस निगम के अधिकार क्षेत्र में रहेगा। यह तय हुए बिना कंडम व कबाड़ की नीलामी संभव नहीं है।  हालांकि जानकारों का कहना है कि दोनों निगमों में बड़े-बड़े वाहनों को तो सूची तैयार कर अधिकारियों को उपलब्ध करवा दी गई है लेकिन अधिकारियों की इच्छा शक्ति नहीं होने से अभी तक नीलामी नहीं हो सकी है। 

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आए दिन हो रही चोरियां
नगर निगम कोटा दक्षिण की गैराज समिति के अध्यक्ष कपिल शर्मा का कहना है कि निगम के वाहनों की बसरों से नीलामी नहीं हुई है। पुराने व कंडम वाहन गैराज में रखने की जगह नहीं होने से उन्हें पुराने पशु मेला स्थल में पीछे की तरफ पटका हुआ है। वहां से वाहनों के पार्टस आए दिन चोरी हो रहे हैं। हालत यह है कि कई वाहन तो नीलाम होने लायक भी नहीं बचेंगे। शर्मा का कहना है कि इस संबंध में कई बार अधिकािरयों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन  किसी का ध्यान ही नहीं है। जबकि कंडम व कबाड़ को नीलाम करने से निगम को लाखोंÞ रुपए का राजस्व मिल सकता है। 

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टायर व बैटरी की फाइल तैयार
इधर कोटा उत्तर नगर निगम के अधिकारी का कहना है कि बड़े व वाहनों की तो जानकारी नहीं है। लेकिन पुरानी बैटरी व टायरों की नीलामी की फाइलें तैयार कर ली है। लोकसभा चुनाव के बाद उनकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वाहनों की नीलामी के लिए भी चनाव बाद अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। 

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