पहली बार बोन बैंक से जबड़े की हड्डी लेकर की सर्जरी
शौचालय में जाते समय जबड़े में आया था फ्रैक्चर, नि:शुल्क मिला उपचार
मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने बोन बैंक से जबडेÞ की हड्डी लेकर मरीज की सर्जरी की है। मरीज की मॉनिटरिंग की जा रही है। पूरी तरह से ठीक होने पर डिस्चार्ज किया जाएगा।
कोटा। मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने बोन बैंक से जबडे की हड्डी लेकर मरीज की सर्जरी की है। जानकारी के अनुसार रावतभाटा निवासी जगदीश नरवाला (36) शौच जाते समय गिर गया। ऐसे में जबड़ा चोटिल हो गया। ये पूरी तरह से फ्रैक्चर हो गया था। इस पर परिजन मरीज को लेकर निजी अस्पताल लेकर गए, लेकिन मरीज को राहत नहीं मिली। मरीज की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। ऐसे में मरीज को मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लेकर पहुंचे। यहां पर इसको भर्ती कर लिया गया। 26 फरवरी को मरीज का ऑपरेशन कर दिया गया है। मरीज अभी स्वस्थ है। चिकित्सकों ने इसको मॉनीटरिंग के लिए रखा है। पूरी तरह से ठीक होने पर डिस्चार्ज किया जाएगा। हालांकि, मरीज की हालत में काफी सुधार है। ये बात भी कर रहा है। फिर भी चिकित्सक इसमें अभी किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते है। यही वजह है कि मरीज की मॉनिटरिंग की जा रही है। पूरी तरह से ठीक होने पर इसको डिस्चार्ज किया जाएगा।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग का पहला मामला
प्लास्टिक सर्जरी विभाग का ऐसा पहला मामला है, जब बोन बैंक से जबड़े की हड्डी ली गई है। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल गुप्ता का कहना है कि सभी विभागों के साथ कम्युनिकेशन स्थापित कर सर्जरी की गई। अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष और बोन बैंक प्रभारी डॉ. राजेश गोयल का काफी योगदान रहा। इसके साथ ही एनेस्थिया के चिकित्सकों के सहयोग अभाव में ऐसा संभव नहीं था। इससे पूर्व अस्थि रोग विभाग द्वारा पहला बोन ट्रांसप्लांट किया गया था। ये 7 फरवरी को हुआ था। इसके उपरांत ऐसा प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा किया गया है।
19 दिसंबर को हुआ था बोन बैंक शुरू
मेडिकल कॉलेज में बोन बैंक की शुरुआत 19 दिसंबर को हुई थी। स्वयं मुख्यमंत्री वचुर्अल माध्यम से जुडेÞ थे। ऐसे में इसको शुरू हुए दो माह से अधिक समय हो गया है। इस दौरान मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने दो बड़ी सर्जरी कर दी है। ऐसा बोन बैंक से संभव हुआ है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि बोन बैंक की शुरूआत होने से मरीजों को काफी राहत मिली है। ये मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां पहले से सभी प्रकार की बोन उपलब्ध है। मेडिकल कॉलेज के विभाग सामंजस्य स्थापित कर यहां से प्राप्त कर सकते है।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा बोन लेकर ऑपरेशन किया गया है। बोन उपलब्ध थी। इसलिए उपलब्ध करवा दी गई।
- डॉ. आरपी मीना, विभागाध्यक्ष, अस्थि रोग विभाग, मेडिकल कॉलेज
प्लास्टिक सर्जरी विभाग को बोन दी गई थी। उनके द्वारा ऑपरेशन किया गया था, लेकिन इसके परिणाम आने बाकी है।
- डॉ राजेश गोयल, प्रभारी, बोन बैंक, मेडिकल कॉलेज
बोन लेकर मरीज की सर्जरी की थी। मरीज अभी यहीं पर भर्ती है। उसकी मॉनीटरिंग की थी। इसमें सभी विभागों का सहयोग लिया गया है। हालांकि, मरीज पूरी तरह से ठीक होने पर स्थिति साफ होगी।
- डॉ. निर्मल गुप्ता, विभागाध्यक्ष, प्लास्टिक सर्जरी विभाग, मेडिकल कॉलेज
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