एफआरबीएम की सीमा के तहत ही लिया जा सकता है राज्यों का कर्ज : गहलोत
सरकार केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के बाहर कर्ज नहीं ले सकती है
विपक्षी लोग बार-बार राज्य सरकार पर कर्ज की बात करते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कई ऐसे लोगों को अर्थव्यवस्था की समझ नहीं है।
जयपुर। विपक्षी लोग बार-बार राज्य सरकार पर कर्ज की बात करते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कई ऐसे लोगों को अर्थव्यवस्था की समझ नहीं है। कोई भी प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के बाहर कर्ज नहीं ले सकती है। राज्यों का कर्ज संविधान के अनुच्छेद 293 व एफआरबीएम की सीमा के तहत ही लिया जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि कर्ज लेना भी अर्थव्यवस्था के लिए बनाए गए कानूनों के संगत है।
प्रदेश पर जीएसडीपी का 23.98% यानी 1,29,910 करोड़ कर्ज था। भाजपा सरकार के दौरान जीएसडीपी के 35% से भी अधिक यानी 3,11,371 करोड़ रुपये हो गया। भाजपा सरकार ने अपने पांच सालों में दोगुने से अधिक कर्ज लिया। भारत सरकार पर मार्च 2014 में लगभग 57 लाख करोड़ का कर्ज था। 2022 में ये बढ़कर 136 लाख करोड़ हो गया। यानी मोदी सरकार के 7 सालों में ही कर्ज ढाई गुना बढ़ गया। इस पर विपक्ष के साथियों को अपनी राय जरूर रखनी चाहिए।
लगातार राजस्व की स्थिति रही थी। हमारी सरकार थी तो रेवन्यू सरप्लस 3,451 करोड़ रुपये था यानी कोई राजस्व घाटा नहीं था एवं 3,451 करोड़ रुपये का फायदा था। जबकि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल के सभी वर्षों में लगातार राजस्व नुकसान रहा था। भाजपा सरकार ने राजस्व नुकसान लगातार बढ़ाते हुए 28,900 करोड़ रुपये कर दिया, जिसका असर अब तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर है। कोविड के बाद अब सामान्य हो रहे हालातों में हमारी सरकार की राजस्व प्राप्तियां बढ़ने लगी है। प्रदेश में लगातार निवेश बढ़ रहा है एवं हमारी अर्थव्यवस्था का आकार भी बढ़ता जा रहा है। यह दिखाता है कि बजट में की गई घोषणाओं को समय पर पूरा करने में सफल होंगे एवं राजस्थान को बुलंदियों के नए आयामों पर लेकर जाएंगे।
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