ठेका कर्मी हड़ताल पर, मरीज परेशान, हर जगह कतारें
मेरा काम अधीक्षकों की मॉनिटरिंग करना: मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल
अस्पताल में आए दिन की हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानी होती है।
कोटा। कोटा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सभी सरकारी अस्पताल में पिछले 20 दिन से ठेका कर्मी हड़ताल पर चल रहे हैं। व्यवस्थाएं बेपटरी हो रही है। मरीज परेशान हो रहे हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से स्थिति नियंत्रण में वैकल्पिक व्यवस्थाएं बेहतर बताई जा रही है। जबकि जमीनी हकीकत ये है कि पर्ची काउंटर से लेकर लैब तक व्यवस्थाएं बिगड़ी हैं। दूसरी तरफ प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डा.ॅ संगीता सक्सेना का कहना है कि मेरा काम अधीक्षकों की मॉनिटरिंग करना है। अधीक्षक ही अस्पतालों की व्यवस्था को देखें। सभी पांचो अस्पताल में अधीक्षक को व्यवस्थाएं के लिए लगा रखा है। वो ही अस्पताल में सफाई से लेकर अन्य व्यवस्थाओं के बारे में बता सकते है। इधर मरीजों की जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिल रही। सैंपल देने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। मेडिकल नर्सिंग स्टूडेंट के भरोसे अस्पताल चल रहा है। लोगों का कहना है कि जनता का पैसा और जनता ही परेशान हो रही है।
हर दो घंटे में होने वाली सफाई सुबह शाम तक सिमटी
मेडिकल कॉलेज से जुड़े पांचों अस्पताल के ठेका कर्मी हड़ताल पर चल रहे है। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है। सभी अस्पतालों में मजदूरों से नियमित सफाई कराई जा रही है। एमबीएस में ही सुबह शाम सफाई हो रही बाकी अस्पतालों में सभी जगह सफाई नियमित हो रही है। जबकि हकीकत ये है कि अस्पताल में इमरजेंसी, ओपीडी, आॅपरेशन थिएटर, वार्ड और मुख्य शौचालयों की ही सफाई हो पा रही है। सेन्टल लैब में जांचों के लिए मरीजों व तीमारदारों की लंबी कतारें लगी हुई है। लोग घंटों कतार में खड़े होकर जांचों के लिए इंतजार करते दिखे। वैकल्पिक तौर नर्सिंग स्टूडेंट लगा रखे है, लेकिन उनसे व्यवस्था संभल नहीं रही है। इन दिनों मौसमी बीमारियों का प्रकोप बना हुआ है।
हड़ताल करने पर अस्पताल प्रशासन कार्रवाई क्यों नहीं करता
एमबीएस में इलाज कराने आए बलोप निवासी रामराज मीणा ने बताया कि अस्पताल में आए दिन की हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानी होती है। अस्पताल प्रशासन प्लेसमेंट ऐंजेसी पर कार्रवाई क्यों नहीं करती है। इनके इकरार नामे में हड़ताल करने पर हटाने के नियम क्यो नहीं जोडे जाते। कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। पिछले बीस दिन से मरीज परेशान हो रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं।
कॉलेज प्रधानाचार्य से नवज्योति की बातचीत
- प्रश्न 1: ठेका कर्मियों की हड़ताल से मरीज परेशान हो रहे है। अस्पताल प्रशासन की ओर से क्या व्यवस्थाए कर रखी है। प्लेसमेंट एजेंसियों की जवाबदेही तय क्यों नहीं है।
उत्तर: मेडिकल कॉलेज के सभी पांचों अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियमित सफाई कराई जा रही है। रामपुरा, जेकेलोन, न्यू मेडिकल अस्पताल सुपर स्पेशलिटी में नियमित सफाई हो रही है। एमबीएस अस्पताल में ही कुछ परेशानी है वहां का अधीक्षक दिन व रात तक लगकर सुबह शाम सभी वार्डो की सफाई करवा रहे हैं। सभी अस्पतालों में प्लेसमेंट एजेंसी के अलग अलग नियम शर्तो के हिसाब से टेंडर निकले हुए है। अधीक्षक ही बेहतर बता सकते है कि प्लेसमेंट ऐजेंसी क्या नियम व शर्ते है।
- प्रश्न: अस्पताल में सफाई व्यवस्था बिगड़ रही है इसकी जवाबदेही किसकी
उत्तर : मेडिकल कॉलेज से जुडे सभी सरकारी अस्पताल में अधीक्षक को अस्पताल की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दे रखी है। मरीजों की परेशानियों से लेकर सफाई और अन्य कार्य कराने का कार्य उन्हीं का है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य का कार्य उनके द्वारा किए कार्यो की मॉनिटरिंग का है।
- प्रश्न 3: एमआरआई जांच के लिए मरीजों को एमबीएस से मेडिकल आना पड़ता है।
उत्तर: एमबीएस में एमआरआई मशीन लगाने के लिए लेकर 2 मार्च 2023 को कलक्टर की अध्यक्षता बैठक हुई थी। जिसमें तत्कालीन प्रधानाचार्य सहित एचओडी भी शामिल थे। उस समय 15 करोड़ बजट स्वीकृत हुआ लेकिन वर्तमान में मशीन 22 करोड़ की आ रही है। इसके लिए तीन चार बैंक से लोन की प्रपोजल भी तैयार किए। लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है। इसके लिए प्रयास जारी है।
- प्रश्न : आपके मेडिकल कार्य काल में अस्पताल में व्यवस्थाओं से लेकर विकास को लेकर क्या क्या कार्य हुए।
उत्तर: अस्पताल में व्यवस्थाओं में कई सुधार किए है। इसके अलावा कई नये नवाचार किए है। इसकी लिस्ट लंबी इस पर विस्तार कभी ओर बात करेंगे। अभी मिटिंग चल रही है।
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