खुलासा : कोटा के 3.46 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नहीं डाला वोट

पिछले विधानसभा चुनाव में 3.33 लाख से अधिक थी वोट न देने वालों की संख्या

खुलासा : कोटा के 3.46 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नहीं डाला वोट

विधानसभा चुनावों में वोट न देने वाले मतदाताओं की संख्या के मामले में सांगोद सबसे कम रहा।

कोटा। विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद वोट प्रतिशत मामूली ं बढ़ सका। सरकार चुनने में मतदाता रुचि नहीं दिखा रहे। इस बार चुनाव में कोटा जिले के 3.46 लाख मतदाताओं ने वोट ही नहीं डाला। यह संख्या गत चुनाव के मुकाबले 13 हजार से अधिक है। विशेषज्ञों का मत है, लाखों की संख्या में मतदाताओं का वोट न देना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। निर्वाचन विभाग को इसके कारणों पर मंथन करने की जरूरत है। हालांकि, गत विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार मामूली  प्रतिशत वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन, यह काफी नहीं है, विभाग को अभियान चलाकर इन मतदाताओं को मतदान से जोड़ने की कवायद की जानी चाहिए। 

वर्ष 2013 से 2023 तक 9.62 लाख मतदाताओं ने दिया वोट 
कोटा जिले में हर विधानसभा चुनाव में लाखों की तादात में मतदाता वोट देने नहीं जाते। जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर बड़ी संख्या में मतदाता सरकार चुनने में रुचि नहीं दिखा रहे।  वर्ष 2013 से वर्ष 2023 तक के तीन विधानसभा चुनावों को मिलाकर कुल 9 लाख 62 हजार 631 मतदाताओं ने वोट नहीं किया। जबकि, वर्ष 2013 में जिले में कुल 11 लाख 73 हजार 635 मतदाता थे। जिसमें से 2 लाख 82 हजार 496 मतदाताओं ने वोट नहीं डाला। वहीं, वर्ष 2018 के चुनाव में कुल 13 लाख 56 हजार 376 मतदाता थे, जिसमें से 3 लाख 33 हजार 511 वोर्ट्स वोट डालने नहीं गए। इसी तरह वर्ष 2023 में कुल 14 लाख 58 हजार 413 मतदाता थे, जिसमें से 3 लाख 46 हजार 624 वोर्ट्स ने मतदान करने में रुचि नहीं दिखाई। 

वोट न देने में लाडपुरा रहा अव्वलवोट न देने में लाडपुरा रहा अव्वल
जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक वोट न देने वाले मतदाताओं की बात करें तो लाडपुरा विधानसभा के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यह विधानसभा सीट का आधा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र से तो आधा शहरी क्षेत्र में आता है। इस बार लाडपुरा में 69 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान केंद्र से दूरी बनाए रखी। जबकि, गत 2018 के चुनाव में 62 हजार 120 वोर्ट्स ने वोट नहीं दिया था। ऐसे में गत चुनाव के मुकाबले इस बार वोट न देने वालों की संख्या में 7 हजार 203 की बढ़ोतरी हुई है।  

सांगोद रहा सबसे कम
विधानसभा चुनावों में वोट न देने वाले मतदाताओं की संख्या के मामले में सांगोद सबसे कम रहा। यहां 43 हजार 895 वोर्ट्स ने प्रत्याशियों को चुनने में भूमिका नहीं निभाई। जबकि, इस क्षेत्र में कुल 2 लाख 9 हजार 869 मतदाता हैं। इनमें से 1 लाख 65 हजार 974 लोगों ने वोट डाले हैं। हालांकि, गत चुनाव के मुकाबले इस बार वोट न डालने वालों में 246 मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। 

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तमाम कोशिशों के बावजूद मामूली बढ़ा वोट प्रतिशत 
निर्वाचन विभाग की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले स्वीप के तहत मतदाता जागरूकता अभियान चलाता है। प्रत्येक जिले की सभी शैक्षणिक संस्थाओं में अलग-अलग कार्यक्रम निर्धारित कर जागरूकता रैली तो कभी नुक्कड़ नाटक सहित प्रतियोगिताओं के माध्यम से लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने की कवायद की जाती है और शत-प्रतिशत मतदान का संकल्प दिलाया जाता है। लेकिन, इसका असर पहली बार वोटिंग करने वाले मतदाताओं में नजर आता है। जबकि, पुराने मतदाता रुचि नहीं दिखाते। निवार्चन विभाग को सर्वे करवाकर वोट न देने के कारणों पर मंथन करना चाहिए। ताकि, अगले पांच साल बाद होने वाले चुनावों में इन संख्याओं में कमी आ सके।  

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