पढ़ाई में मशगूल हुए बालक, छूटी रही मोबाइल की लत
बालकों को नहीं मिलता समय, ऑफलाइन कक्षाओं में व्यस्त , स्कूल बंद होने से मोबाइल का बढ़ गया था प्रचलन
कोटा समेत प्रदेशभर में सरकारी और निजी स्कूल खुुल जाने से बालक पढ़ाई में मशगूल हो गए हैं। ऐसे में उनकी मोबाइल की लत छूट रही है। बालकों को तो राहत मिली है। साथ में अभिभावकों की भी चिंता कम हो गई है।
कोटा। कोटा समेत प्रदेशभर में सरकारी और निजी स्कूल खुुल जाने से बालक पढ़ाई में मशगूल हो गए हैं। ऐसे में उनकी मोबाइल की लत छूट रही है। बालकों को तो राहत मिली है। साथ में अभिभावकों की भी चिंता कम हो गई है। पूर्व में कोविड के चलते स्कूल बंद हो गए थे। ऐसे में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो रही थी। बालक घंटों तक मोबाइल में व्यस्त रहते थे। इसमें कमी हो गई है। हालांकि, कुछ बालक अभी व्यस्त रह रहे हैं। लेकिन, इनकी संख्या कम है। एक्सपर्ट का कहना है कि पहले पूरे समय बालक घर पर फ्री रहते थे। ऑनलाइन पढ़ाई का कारण बताकर मोबाइल और कंप्यूटर लेकर बैठ जाते थे। इसमें अब कमी हो गई है। क्योंकि, बालक को प्रतिदिन पांच से छह घंटे जाकर पढ़ाई करनी होती है। यहां ऑफलाइन कक्षाओं में टाइम व्यतीत करना होता है, जिसके चलते समय नहीं मिलता है। यहां तक घर पर जाने के बाद भी होम वर्क करना होता है। इसमें भी काफी समय देना होता है। इस तरह से ऑफलाइन कक्षाओं से बालकों को काफी लाभ हुआ है।
बालकों को ये हुए फायदे
1. ज्ञान की अभिवृद्धि: ऑनलाइन कक्षाओं से कुछ बालकों में मोबाइल की लत लग गई थी। पढ़ाई का समय नहीं दे पा रहे थे। ऑफलाइन कक्षाओं से ज्ञान की अभिवृद्धि हो गई है।
2. मनोस्थिति में सुधार: अधिकांश बालक घंटों तक मोबाइल पर व्यस्त रहते थे। इससे उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा था। स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था। लोगों से अलग हो गए थे। लड़ाई झगड़ा करते थे। ऐसे में अभिभावक परेशान थे।
3. आंखों को फायदा: मोबाइल और कंप्यूटर की लत से आंखों पर विपरित असर पड़ रहा था। इसमें राहत मिली है। क्योंकि, इसका समय पहले से कम हो गया है।
95 फीसदी तक उपस्थिति
स्कूलों में हाजिरी 95 फीसदी से अधिक पहुंच गई है लेकिन कुछ बच्चों में अभी भी असुरक्षा की भावना, कुछ मानसिक तनाव से ग्रसित हैं। बच्चों के भावनात्मक व्यवहार और सोच में भी कोरोना के चलते बदलाव आया है। कोरोना के कारण दो सालों तक घर बैठकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अब धीरे-धीरे स्कूल के माहौल में ढलने लगे हैं। अक्सर मोबाइल से चिपके रहने की आदत भी बच्चों से छूटने लगी है। हालांकि, विद्यार्थियों को स्कूल के नियमों और अनुशासन में ढलने में मुश्किल हो रही है लेकिन शिक्षक इसमें उनकी मदद कर रहे हैं। गौरतलब है कि फरवरी में कक्षा एक से 12वीं तक के स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं प्रारंभ हो गई थी।
इनका कहना है
अभी पूरी तरह लत तो नहीं छूट रही है, लेकिन ये कम हो गई है। क्योंकि, बालक स्कूलों में अधिकांश समय व्यतीत कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक और भी प्रयास करें।
- डॉ. ज्योति सिडाना, सहायक आचार्य, समाजशास्त्र, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय
स्कूल खुलने से बालकों को तनाव से राहत मिली है। उनकी मनोस्थिति में और भी सुधार होगा। उनकी मोबाइल और अन्य लत भी कम हो जाएगी।
- डॉ. मिथलेश खींची, असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोचिकित्सा, मेडिकल कॉलेज
सभी कक्षाओं में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। बोर्ड कक्षाओं की तो परीक्षाएं भी हो रही है। ऑफलाइन से काफी लाभ तो मिलता ही है।
- प्रदीप चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी
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