गर्ल्स हॉस्टल के बाहर झाड़ झंखाड़ और अंधेरे का साया
पार्किंग के कियोस्क बने नशेड़ियों का अड्डा
रंगबाड़ी रोड स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर में जहां डॉक्टर बनने के लिए पढ़ने रोजाना बड़ी संख्या में मेडिकल छात्र आ रहे हैं और छात्राएं हॉस्टल में रह रही है। वह परिसर अधिकारियों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। हालत यह है कि गर्ल्स हॉस्टल के आसपास और पीछे की तरफ काफी झाड़ झंखाड़ हो रहे हैं। जिससे छात्राएं रात के समय तो बाहर निकल ही नहीं सकती। दिन में भी वहां जाना खतरे से कम नहीं है।
कोटा । रंगबाड़ी रोड स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर में जहां डॉक्टर बनने के लिए पढ़ने रोजाना बड़ी संख्या में मेडिकल छात्र आ रहे हैं और छात्राएं हॉस्टल में रह रही है। वह परिसर अधिकारियों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। मेडिकल कॉलेज परिसर में मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर आखिरी हिस्से तक पेड़ पौधे तो लगे हुए हैं जिससे हरियाली छायी हुई है। लेकिन उसके साथ ही इतने अधिक झाड़ झंखाड़ उगे हुए हैं कि उनसे जहरीले कीड़े कांटों का भी खतरा बना हुआ है। विशेष रूप से परिसर में बने गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली मेडिकल की छात्राओं के लिए। हालत यह है कि गर्ल्स हॉस्टल के आसपास और पीछे की तरफ काफी झाड़ झंखाड़ हो रहे हैं। जिससे छात्राएं रात के समय तो बाहर निकल ही नहीं सकती। दिन में भी वहां जाना खतरे से कम नहीं है।
हॉस्टल के पीछे के हिस्से में तो पेड़ों की टहनियां तक दीवारों व छतों तक लटकी हुई है। जिससे हॉस्टल की दीवारें तक ठीक ढंग से नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं हॉस्टल के आस-पास ही नहीं पूरे परिसर में अधिकतर रोड लाइटें तक बंद हैं। जिससे अंधेरे व झाड़ झंखाड़ का फायदा उठाकर कोई भी असामाजिक तत्व वहां प्रवेश कर सकता है। हालांकि गर्ल्स हॉस्टल के मुख्य प्रवेश द्वार के पास नई सीसी रोड बनाई जा रही है। इस कारण से वहां लगे बिजली के दो खंभों को वहां से हटाया था। जिससे वहां अंधेरा छाया रहता है। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि हॉस्टल गेट के पास लाइट का एक खम्बा लगाया है। लेकिन उसकी रोशनी पर्याप्त नहीं है। यह स्थिति सिर्फ हॉस्टल के आस-पास की ही ही नहीं है। वरन् परिसर में बने डॉक्टरों के क् वार्टरों की भी है।
पार्किंग कि योस्क में कचरे का अम्बार
मेडिकल कॉलेज परिसर में ही लायब्रेरी के सामने अलग-अलग विभागों के वाहन खड़े करने के लिए पार्किंग कियोस्क बनाए हुए थे। लेकिन उनकी हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका उपयोग पार्किंग के लिए नहीं हो रहा है। वहां जिस तरह से कचरे का ढेर लगा हुआ है। जगह-जगह कांच बिखरे पड़े हैं। उससे साफ जाहिर है कि यहां अंधेरे का फायदा उठाकर नशेड़ियों ने अपना अड्डा बना रखा है। रात के अंधेरे में असामाजिक तत्व भी यहां बैठकर नशा करते हैं।
लाइट की डिबियां खुली, करंट का खतरा
मेडिकल कॉलेज परिसर में प्रवेश करते ही मेन रोड पर बांयी तरफ से लेकर पूरे परिसर में जगह-जगह पर बिजली की डीबियां खुली पड़ी हैं। जिसके तार लटके हुए हैं। जिससे वहां से निकलने वाले मेडिकल स्टूडेंट के लिए खतरा बना हुआ है।
नालिया जाम, कचरे के ढेर
जिस मेडिकल कॉलेज परिसर में डॉक्टर बनने के लिए शिक्षित लोग आ रहे हैं। उस परिसर में जगह-जगह फेली गंदगी और जाम नालियां उस परिसर की शोभा को बिगाड़ रही हैं। परिसर में ही एक तरफ गंदा पानी भरा हुआ है। जिसमें मच्छर पनप रहे हैं। पूरे परिसर में सूअर घूमते रहते हैं।
सुरक्षा गार्ड लेकिन पूछताछ नहीं
मेडिकल कॉलेज परिसर में मुख्य द्वार से लेकर जगह-जगह पर कई सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। लेकिन वहां दिन के समय आने-जाने वालों से किसी तरह की कोई पूछताछ व जानकारी नहीं की जा रही है। जिससे मेडिकल स्टूडेंट के अलावा वहां कोई भी आ-जा सकता है। जिन पर किसी तरह की कोई रोक की व्यवस्था नहीं है।
इनका कहना है
मेडिकल कॉलेज का कैम्पस काफी बड़ा है। उस हिसाब से यहां सफाई कर्मचारी काफी कम हैं। हालांकि स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से समय-समय पर सफाई की व्यवस्था की जाती है। परिसर में रोशनी के लिए लाइटें तो हैं लेकिन वे बार-बार बंद हो जाती हैं। इस संबंध में सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से उन्हें ठीक भी करवाते रहते हैं। जहां तक पार्किंग कियोस्क का मामला है। वहां आस-पास सुरक्षा गार्ड लगे हुए हैं। फिर भी यदि वहां कुछ गलत हो रहा है तो उसे दिखवाकर सुधार किया जाएगा।
-डॉ. राजेन्द्र ताखर प्रभारी सुरक्षा अधिकारी मेडिकल कॉलेज
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