
महिलाओं में बढ़ रहे अर्थराइटिस की हो सकती हैं ये वजहें
बिगड़ती लाइफस्टाइल ने सेहत को कई तरीकों से प्रभावित किया है।
पहले जहां कुछ बीमारियां बढ़ती उम्र के साथ होती थी वहीं अब ये कम उम्र में ही अटैक करने लगी हैं
बिगड़ती लाइफस्टाइल ने सेहत को कई तरीकों से प्रभावित किया है। पहले जहां कुछ बीमारियां बढ़ती उम्र के साथ होती थी वहीं अब ये कम उम्र में ही अटैक करने लगी हैं जिनमें से एक अर्थराइटिस है।पिछले करीब 10 सालों में यह कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। आंकड़े बताते हैं कि 30 से 35 साल की महिलाएं आसानी से इस बीमारी के चपेट में आ रही हैं। जिसकी एक बड़ी वजह बिगड़ती लाइफस्टाइल है। इससे उनकी मसल्स समय से पहले कमजोर होती जा रही है जिसका नतीजा अर्थराइटिस के रूप में सामने आ रहा है। बच्चों में होने वाली अर्थराइटिस जुवेनाइल अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। वहींए कोरोना पैनेडेमिक की वजह से भी लोगों में अर्थराइटिस की समस्या में इजाफा देखने को मिला है। एक रिसर्च के मुताबिक पोस्ट कोरोना और प्रोलॉन्ग्ड कोविड केसेस में लोगों को अर्थराइटिस के रिस्क का सामना करना पड़ रहा है।
कैसे होता है:
शरीर में कैल्शियम की कमी होने या मसल्स के कमजोर होने पर।
जोड़ों में जब यूरिक एसिड जमा होने लगता है वो वहां सूजन की समस्या हो जाती है। इससे जोड़ों के टिश्यू नष्ट होने लगते हैं, जिससे उनमें अकड़न और दर्द रहती है। इसे ही अर्थराइटिस का दर्द कहते हैं।
अर्थराइटिस के लक्षण
जोड़ों में दर्द रहना सर्दियों में दर्द बढ़ जाना। दर्द की वजह से मूवमेंट्स में दिक्कत होना।
सीढ़ियां चढ़ने या उतरने में ज्यादा पेन होना।
शरीर में थकान और टूटने का एहसास होता है।
ये तरीके अपनाएं
लगातार बैठे नहीं रहें, हर 30 से 45 मिनट के बाद उठकर कुछ मिनट टहलें।
रोजाना तीन से पांच किमी साइकिल चलाएं।
शुगर के साथ वजन भी कंट्रोल में रखें, रोजाना आधा घंटा टहलें। कुर्सी आरामदायक हो और सीधे बैठकर काम करें। दर्द निवारक गोली का उपयोग खुद से न करें।
Related Posts
Post Comment
Latest News

Comment List