नेताओं का कॉन्फिडेंस डगमगाने से कांग्रेस रणनीतिकार चिंतित
ऐसे मामलों को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी सौंपी है
राजसमंद सीट पर पूर्व में घोषित प्रत्याशी सुदर्शन रावत ने भी अपना टिकट लौटा दिया था।
जयपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषित कुछ प्रत्याशियों के सार्वजनिक तौर पर कमजोर आत्मविश्वास जताने वाले बयानों से कांग्रेस रणनीतिकारों की चिंता बढ़ी हुई है। कुछ नेताओं के चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा वाले बयानों से राजनीतिक नुकसान होते हुए पार्टी ने बड़े नेताओं को ऐसे मामलों को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी सौंपी है। टिकट वितरण के बाद कई प्रत्याशियों ने मंच से ही बोल दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। ये नेता सच में चुनावी मैदान में उतरने से डर रहे हैं या मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने की रणनीति हैं, लेकिन इन बयानों से पार्टी की परेशानियां ही बढ़ी हैं। जयपुर शहर सीट पर पहले सुनील शर्मा को टिकट दिया और उन्होंने एक विवाद के चलते टिकट लौटा दिया। बाद में पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया गया, लेकिन खाचरियावास ने चुनावी प्रचार के दौरान कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे पर पार्टी ने मैदान में उतार दिया। झुंझुनूं प्रत्याशी बृजेंद्र ओला ने भी एक मंच से कहा था कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी की प्रतिष्ठा के चलते चुनाव लड़ रहे हैं। दौसा सीट से मुरारीलाल मीणा के संबंध में भी इस तरह के बयान आए हैं। वहीं राजसमंद सीट पर पूर्व में घोषित प्रत्याशी सुदर्शन रावत ने भी अपना टिकट लौटा दिया था।
डैमेज कंट्रोल के लिए बड़े नेताओं को जिम्मेदारी
पार्टी प्रत्याशियों के इस तरह के बयानों के सामने आने पर आलाकमान ने बड़े नेताओं में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट जैसे नेताओं को डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी सौंपी है। बडेÞ नेता ऐसे बयान देने वाले नेताओं से बातचीत करके सार्वजनिक तौर पर ऐसे बातें नहीं बोलने के लिए कह रहे हैं। कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों के ताल ठोकने पर भी बड़े नेताओं ने मनाने की जिम्मेदारी निभाई। इसमें दौसा सीट पर नरेश मीणा को बिठाने का उदाहरण शामिल है।
दिल से सब चुनाव लड़ना चाहते हैं : गहलोत
नेताओं के ऐसे बयानों पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा था कि यह कोई नहीं कह रहा है कि उन पर टिकट जबरदस्ती थोपा गया है। दिल से सब चुनाव लड़ना चाहते हैं, चाहे सीपी जोशी हों, प्रताप सिंह खाचरियावास या फिर बृजेंद्र ओला हों। ये सभी दिल से चुनाव लड़ रहे हैं। आज संकट की घड़ी है। पार्टी ने हम पर इतना विश्वास किया है। आज वैभव गहलोत को भी वे इसलिए चुनाव लड़वा रहे हैं कि संकट की समय में भी पार्टी को हम मना नहीं कर सकते हैं। पार्टी जो आदेश देगी, उसे हम मानेंगे।
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