NCERT की किताबों में हुआ बदलाव : बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे और हिंदुत्व के विषय हटाए
मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में किए परिवर्तन
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे और अल्पसंख्यकों जैसे संवेदनशील विषयों को हटा दिया है।
जयपुर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे और अल्पसंख्यकों जैसे संवेदनशील विषयों को हटा दिया है। इसके साथ ही सार्वजनिक किए संशोधनों के नवीनतम सेट में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस, गुजरात दंगों में मुसलमानों की हत्या और हिंदुत्व के संदर्भ को हटाने और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में बदलाव करना शामिल है। एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम मसौदा समिति के तैयार किए गए परिवर्तनों का विवरण देने वाले एक दस्तावेज के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को राजनीति में नवीनतम विकास के अनुसार बदल दिया गया है। इसे बदलकर 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे कर दिया गया है। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है, किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों को नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता है।
नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है
बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है। मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधान सभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम जिसका अहसास अभी भी किया जा रहा है। बदले हुए संस्करण में कहा गया है, भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही। अध्याय 8, भारतीय राजनीति में हालिया घटनाक्रम में अयोध्या विध्वंस का संदर्भ हटा दिया गया है।
इसे इस प्रकार बदल दिया गया
चौथा, अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया, जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने दिशा बदल दी धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की परिणति सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रूप में हुई।
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