सीएस के आदेश के बाद भी सिंधीकैंप बस स्टैंड के सही नहीं हो रहे हालात
अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही
सुलभ शौचालय के संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, बल्कि नोटिस तक नहीं दिया। इसके अलावा इन अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सिंधीकैंप बस स्टैंड पर प्रतिदिन आने-जाने वाले हजारों यात्रियों को अच्छी सुविधा देने में रोडवेज प्रशासन पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। यहां शुलभ शौचालयों और परिसर में गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। इसका खुलासा शनिवार को मुख्य सचिव सुधांश पंत के सिंधीकैंप बस स्टैंड पर दौरे के दौरान हुआ। सीएस की नाराजगी के बावजूद भी बस स्टैंड पर गंदगी के ढेर दिखाई दिए। मजे की बात तो यह है कि पिछले दिनों डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा और एसीएस एवं सीएमडी रोडवेज श्रेया गुहा ने भी सिंधीकैंप के निकास गेट पर बने सुलभ शौचालय में गंदगी को लेकर कड़ी नाराजगी जताते हुए उस पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी सिंधीकैंप पर तैनात मुख्य प्रबंधक राधिका और यातायात प्रबंधक हितेश जांगिड़ ने डिप्टी सीएम और एसीएस के आदेश की अवहेलना कर सुलभ शौचालय के संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, बल्कि नोटिस तक नहीं दिया। इसके अलावा इन अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
सीएस ने प्लेट फार्म नंबर-1, 5 और नई बिल्डिंग एवं शुलभ शौचालयों का निरीक्षण कर नाराजगी जताई थी। रविवार को नई बिल्डिंग और प्लेटफार्म नंबर-5 एवं निकास गेट पर कचरे के ढेर दिखाई दिए। वहीं सिंधीकैंप पर महिला-पुरुषों के लिए बने दो नि:शुल्क शुलभ शौचालयों को अधिकारियों ने बंद कर रखा है। इसके पीछे अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाना बताया जा रहा है। बस स्टैंड पर प्रतिदिन 20-25 हजार लोगों का आवागमन होता है। यहां गंदगी और अव्यवस्थाओं से सरकार की छवि धूमिल होती है। सीएस की नाराजगी के बाद रोडवेज प्रशासन ने शनिवार को मुख्य प्रबंधक राधिका और यातायात प्रबंधक हितेश जांगिड़ को कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा है। अब ये अधिकारी सोमवार को जवाब पेश करेंगे।
एसीएस के आदेश पर कार्रवाई क्यों नहीं?
एसीएस श्रेया गुहा ने सिंधीकैंप परिसर का दौरा किया था। इस पर उन्होंने गंदगी देख नाराजगी जताते हुए शुलभ शौचालय एवं सफाई संचालकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी सिंधीकैंप प्रशासन मुख्य प्रबंधक और यातायात प्रबंधक ने एसीएस के आदेशों की अवहेलना करते हुए संचालकों पर कार्रवाई तो दूर, नोटिस तक नहीं दिया।
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