निलबंन के विरोध में उतरे रेजीडेंट डॉक्टर्स, कर दी हड़ताल बोले- एक तरफा कार्रवाई ठीक नहीं, निष्पक्ष जांच की मांग

इधर रेजीडेंट एसोसिएशन ने खोला मोर्चा, निलंबन वापस नहीं लेने तक जारी रहेगी हड़ताल

निलबंन के विरोध में उतरे रेजीडेंट डॉक्टर्स, कर दी हड़ताल बोले- एक तरफा कार्रवाई ठीक नहीं, निष्पक्ष जांच की मांग

सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को हुई, क्योंकि यहां अधिकांश मरीजों को रेजीडेंट डॉक्टर्स ही देखते हैं। वहीं आईपीडी में भी मरीजों को संभालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

जयपुर। कांवटिया अस्पताल में चबूतरे पर महिला का प्रसव होने और इस मामले में लापरवाही बरतने वाले तीन रेजीडेंट डॉक्टर्स को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निलंबित कर दिया था। इस निलंबन के विरोध में अब जयपुर एसोसिएशन आफ रेजीडेंट डॉक्टर्स यानी जार्ड ने मोर्चा खोल दिया है। जार्ड के बैनर तले सोमवार सुबह आठ बजे से एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े हॉस्पिटल सवाई मानसिंह समेत दूसरे हॉस्पिटल में रेजीडेंट्स डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को हुई, क्योंकि यहां अधिकांश मरीजों को रेजीडेंट डॉक्टर्स ही देखते हैं। वहीं आईपीडी में भी मरीजों को संभालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि एसएमएस सहित अन्य अस्पतालों में सीनियर प्रोफेसर्स, फैकल्टी और सीनियर रेजीडेंट्स ने मोर्चा संभाला, लेकिन मरीजों का भार ज्यादा होने के चलते यह वैकल्पिक इंतजाम नाकाफी रहे।

यूं विरोध में उतरे रेजीडेंट्स
जार्ड के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमावत ने बताया कि इससे पहले फरवरी में भी सरकार ने गलत खून चढ़ाने के मामले में रेजीडेंट डॉक्टर को एपीओ कर दिया था। इस बार भी सरकार ने जांच किए बिना एक पक्ष कार्रवाई करते हुए रेजीडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया। इस तरह हर बार रेजीडेंट डॉक्टरों पर एक तरफा कार्रवाई करना ठीक नहीं। जांच करें और बताए कि इस डॉक्टर की ये गलती थी उसके बाद कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं इससे पहले जार्ड की रविवार देर रात तक जीबीएम हुई जिसमें सभी पदाधिकारियों ने एकमत होकर कार्य बहिष्कार का निर्णय किया। 

सीनियर्स और प्रोफेसर्स ने संभाला मोर्चा
रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल का सबसे ज्यादा प्रभाव ओपीडी में रहा। चूंकि एक दिन छुट्टी होने के कारण सोमवार को मरीजों की भीड़ अस्पतालों में ज्यादा रही। वहीं चैम्बरों में डॉक्टरों के नहीं मिलने से मरीजों को इंतजार करना पड़ना। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर रैंक के डॉक्टरों के साथ कुछ इन सर्विस डॉक्टरों ने ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखा और उनका इलाज किया। सबसे ज्यादा भीड़ आज जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट में रही। यहां सुबह मरीजों की लम्बी कतार देखने को मिली।

जरूरी आपरेशन ही हो सके, बाकी टले
हड़ताल का असर आपरेशनों पर भी दिखा। छोटे-मोटे आपरेशन आगे के लिए टाले गए है। वहीं केवल इमरजेंसी और जरूरी आपरेशन ही किए गए। इधर इमरजेंसी में भी इन सर्विस डॉक्टरों की विशेष ड्यूटी लगाई गई। 

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अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्थाओं के तहत सीनियर डॉक्टर्स को लगाया गया है। कॉलेज प्रिंसिपिल और चिकित्सा विभाग को भी मैंने पत्र लिखकर जरूरत पड़ने पर मेडिकल आफिसर्स मुहैया कराने की मांग की है। 
-डॉ. अचल शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल

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