मुफ्त सुविधा को शिक्षा की अनिवार्यता से जोड़ना जरूरी

दुनिया के एक तिहाई निरक्षर भारत में

 मुफ्त सुविधा को शिक्षा की अनिवार्यता से जोड़ना जरूरी

सभी को शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य किया जाए तो देश एक पूर्ण विकसित देश होगा ।

कोटा। किसी भी सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण जनता होती है। लोकतंत्र में जनता ही सरकार को चुनती है। किसी भी सरकार की जिम्मेदारी होती है वह जनता की सेवा करें, उनके हित में कल्याणकारी योजनाएं लाएं। देश में गरीबी बहुत बड़ी समस्या है। जो परिवार अपना गुजर बसर करने में सक्षम नहीं होते उन्हें सरकारी मदद की जरूरत होती हैं। ऐसे में सरकार गरीबों को मुफ्त में या सस्ते में चीजें बांटती है। जिससे आवश्यक वस्तुओं के लिए उनकी जद्दोजहद कम हो सके। यह सही भी हैं। यदि इसके साथ ही शिक्षा पर भी फोकस किया जाए कि ऐसे परिवारों के बच्चों को शिक्षित होना अनिवार्य कर दिया जाए तो  इसका फायदा देश हित में होगा। देश की उत्पादकता बढ़ेगी। गरीबों को नि:शुल्क शिक्षा तो दी जाती है,  किंतु अनिवार्य नहीं होने से बहुत सारी आबादी शिक्षित नहीं हो पाती । कोई भी सरकार यदि उस आधार पर फ्री की वस्तुएं उपलब्ध कराए कि उन परिवारों के बच्चे शिक्षित हो रहे हैं  तो इससे देश व उन परिवारों को बहुत फायदा होगा। गरीबी और बेरोजगारी की समस्या में भी बहुत सुधार हो सकेगा। फ्री की वस्तुएं ऐसे परिवारों को ही मिले जिनके बच्चे अनिवार्य रूप से पढ़ रहे हैं तो उनका फोकस बच्चों को पढ़ाने पर भी रहेगा। उन्हें रोजगार मिलने की संभावनाएं भी बढ़ेगी। साथ ही उनके जीवन स्तर में सुधार भी हो सकेगा।

आज जब दुनिया के देशों की साक्षरता दर को देखते है तो भारत उसमें काफी पीछे है। दुनिया के एक तिहाई निरक्षर भारत में हैं। कई छोटे-छोटे देशों की साक्षरता दर 99 या 100 प्रतिशत है। जबकि भारत की साक्षरता दर करीब 74 प्रतिशत है। एंडोरा जो यूरोप का छोटा-सा देश है वहां की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। यानि वहां की आबादी की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच है। फिनलैंड, लक्समबर्ग, नॉर्वे ऐसे ही राष्ट्र हैं जिनकी साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। क्यूबा, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, पोलैंड, यूक्रेन आदि छोटे देशों की साक्षरता दर 99 प्रतिशत है। वहीं भारत का स्थान 128 वां है। किसी भी विकसित देश की पहली प्राथामिकता होती हैं कि वहां के सभी नागरिक शिक्षित हों। शिक्षित होने की पहली पहचान साक्षरता हैं। ऐसे देशों की साक्षरता दर 99 या 100 प्रतिशत होगी । वहीं जिस देश में निरक्षरता होगी वहां गरीबी होगी। जहां गरीबी ज्यादा होगी वह देश विकसित राष्ट्र  नहीं बन पाएगा। यदि भारत की भी साक्षरता दर 100 प्रतिशत हो जाए सभी नागरिक शिक्षित हो जाएं तो पूरे देश को जबरदस्त फायदा होगा तभी पूर्ण विकसित देश कहलाएंगे। आजादी भी शिक्षा की वजह से मिली । पढ़कर लोग समझदार हुए तो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुए। अगर साक्षरता दर में वृद्धि होती है और सभी को शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य किया जाए तो देश एक पूर्ण विकसित देश होगा इससे  सही दिशा मिलेगी और समृद्धि आएगी। क्योंकि शिक्षा व्यक्तिगत स्तर पर बेहतरी के साथ-साथ पूरे समाज में बदलाव ला सकती है। इससे देश की बहुत सारी चुनौतियों और समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब तक देश की अशिक्षित आबादी शिक्षित नहीं हो जाती तब तक देश पूर्ण विकसित राष्ट्र नहीं कहलाएगा। 

गरीब और जरूरतमंद परिवारों को फ्री की वस्तुएं बांटी जाती है। फ्री की चीजें उन्हीं परिवारों को दी जाए जिनके बच्चे शिक्षित हंै इसके लिए उन परिवारों के बच्चों का शिक्षित होना अनिवार्य किया जाए इस बारे में शहर के नागरिकों की राय को जाना।

ऐसे परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य करनी चाहिए। शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। शिक्षा से बच्चा स्वयं के दिमाग को काम में लेना सीखता है। शैशव काल से ही बच्चे को अच्छे संस्कार मिले तो बहुत कुछ बदलाव आ सकता है। निश्चित रूप से शिक्षा जरूरी है। उन्हें कोई चीज पानी है तो इसी बहाने से वह अपने बच्चों को पढ़ाएंगें स्कूल भेजेंगें।
ईश्वर लाल सैनी, समाज सेवी एवं चेयरमैन सुमंगलम ग्रुप

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आज के समय में शिक्षित होना अनिवार्य है। अन्यथा वह सर्वाइव नहीं कर पाएंगें। कहीं भी नौकरी करेगें यदि उनका कमीशन कटता हैं या ठेकेदार के जरिए कहीं भी नौकरी पर भी लगते हैं तो हिसाब-किताब में भी कमजोर रह जाएंगे। उन्हें यह मालूम ही नहीं होगा कि मुझे तनख्वाह पूरी मिली भी है या नहीं । वह बिना शिक्षा के आगे बिल्कुल बढ़ ही नहीं पाएंगें। इसलिए पढ़ा लिखा होना जरूरी है और शिक्षा  अनिवार्य होनी भी चाहिए।
मंजू बंसल, प्रेसीडेंट, इनरव्हील क्लब आॅफ कोटा

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शिक्षित होना सभी का अधिकार है। जितने शिक्षित होगें गरीबी का स्तर भी कम होेगा। उनकी सोच भी विकसित होगी। आगे चलकर लीडर भी चुन पाएंगें। यह एक अच्छा इनीशिएटिव है। शिक्षा अनिवार्य होना चाहिए।

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डॉ. योगेश मालव, डायरेक्टर, श्रीनाथजी आई हॉस्पिटल

 शिक्षा अनिवार्य की कंडीशन लगानी चाहिए। इससे अगली पीढ़ी को काम करने की इच्छा बनी रहे, नहीं तो काम करना ही छोड़ देगें। छोटो बच्चे समझते नहीं है। शिक्षित होना जरूरी है।
एस.के विजय, सीए

मिनिमय शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए। जब अनिवार्य  शिक्षा की बात करते है तो वह अनिवार्य ही होनी चाहिए। कम से कम आठवीं या दसवीं कक्षा तक इनको पढ़ाओं और उसके बाद स्किल बेस्ड कोई भी काम सिखा सकते है। जब सुविधाएं कम हो जाएगी तो वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेगें। इसका कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिसमें इनको सरकारी सुविधाएं मिल रही है तो एक शर्त लगा दी जाए कि कम से कम इतनी शिक्षा तो देनी पड़ेगी। सरकारी स्कूलों में इनके लिए नि:शुल्क शिक्षा है किन्तु वह अनिवार्य होनी चाहिए। इससे बच्चे स्कूल जाएंगें तो बहुत सारे क्राइम भी रुकेगें। नई चीजें सीखेगें। स्कूल जाने से उनके अंदर नैतिक मूल्य विकसित होंगे।
डॉ. सीमा चौहान, प्रिंसिपल, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा (जेडीबी आर्ट्स)

देश में शिक्षा का स्तर बढ़ना चाहिए। फ्री वस्तुएं बांटने से उनकी मेहनत करने की इच्छाशक्ति कम होती जा रही है। उन्हें लगता हैं कम मेहनत में हमें ज्यादा मेहनताना मिल जाए। पहले ही लोग काम कम करना चाहते हैं ऊपर से फ्री की चीजें मिल जाने से उनकी इच्छाशक्ति कम हो जाती है। उसके साथ ही वह अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते हैं। पहले से  हर इंसान ज्यादा आलसी होता जा रहा हैं और ये सब फ्री की चीजे उसे बढ़ावा देती है। हर इंसान को चाहे गरीब हो या अमीर सरकार को मेहनतकश बनाने के प्रति अग्रसर करवाना चाहिए । सरकार ने फ्री शिक्षा की है लेकिन शिक्षा को अनिवार्य करना जरूरी है। चाहे लेबर भी काम कर रही है तो वह शिक्षित लेबर होगी तो ज्यादा अच्छे से काम कर पाएंगी ज्यादा अच्छे से डील कर पाएंगी। ऐसा नहीं है कि पढ़ लिख कर सिर्फ आॅफीसर ग्रेड का ही काम करना हैं लेबर क्लास काम करने के लिए भी पढ़ाई लिखाई उतनी ही जरूरी है । इससे हर चीज के लिए समझ बढ़ेगी। शिक्षा से बहुत सारे बदलाव आते है। गरीबों का जीवन स्तर बढ़ेगा। पढ़ाई सर्वोत्तम अनिवार्यता है।
डॉ. रानू अग्रवाल, डायरेक्टर एवं प्रिसिंपल, पेरेंटिंग एली प्री-स्कूल,श्रीनाथपुरम कोटा

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