सरकार ने अटका दिए प्राइवेट स्कूलों के 22.50 करोड़

ट्रेजरी में बिल पास होने के बावजूद नहीं हुआ भुगतान

सरकार ने अटका दिए प्राइवेट स्कूलों के 22.50 करोड़

ईसीएस के फेर में भुगतान अटकने के साथ लेप्स हुआ पिछले वित्तीय वर्ष का बजट ।

कोटा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-आरटीई के दायरे में आने वाले कोटा जिले के 1 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूल पिछले तीन साल से अपने हक के पैसों के लिए तरस रहे हैं। सरकार ने ईसीएस के चक्कर में 22.50 करोड़ का भुगतान अटका दिया। जबकि,  भुगतान के बिल ट्रैजरी से पास भी हो गए थे। मगर, वित्त विभाग जयपुर से ईसीएस नहीं होने से पैसा स्कूलों के खातों में ट्रांसफर नहीं हो पाया। ऐसे में सरकार ने ट्रैजरी से सभी बिल वापस रिवर्ट भी करवा लिए। गत वित्तीय वर्ष की समाप्ती के साथ स्कूलों को भुगतान के लिए मिला बजट भी लेप्स हो गया। अब नए वित्तीय वर्ष का बजट मिलने के बाद ही प्राइवेट स्कूलों को भुगतान हो सकेगा। सरकार की लापरवाही से निजी स्कूलों का संस्था चलाना मुश्किल हो गया। जिसका खामियाजा आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी अप्रत्यक्ष रूप से भुगतना पड़ रहा है। 

यह है मामला 
जिले में डीओ सैकंडरी व डीओ एलीमेंट्री को मिलाकर कुल 1207 प्राइवेट स्कूल आरटीई के दायरे में आते हैं। जिनका सत्र 2021-22 की प्रथम व द्वितीय, 2022-23 की प्रथम व द्वितीय तथा 2023-24 की प्रथम किस्त को मिलाकर कुल तीन सत्र की 22.50 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हुआ। जबकि, शिक्षा विभाग ने गत 26 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले ही आरटीई पुनर्भरण राशि का बिल बनाकर ट्रैजरी पहुंचा दिए थे। ट्रेजरी से बिल पास होकर वित्त विभाग जयपुर पहुंच भी गए। जहां से ईसीएस नहीं होने से बिल अटक गए। इसके कुछ दिनों बाद ही सरकार ने पुर्नभरण राशि के सभी बिल वापस रिवर्ट करवा कर रोके रखा। इधर, 1 अप्रेल की शुरुआत के साथ के साथ पिछला वित्तीय वर्ष भी समाप्त हो गया। जिससे शिक्षा विभाग को पुर्नभरण राशि का जो बजट मिला था वो भी लैप्स हो गया। ऐसे में जिले के प्राइवेट स्कूल फिर से अधरझूल में लटक गए। अब नए वित्तीय वर्ष का बजट मिलने के बाद ही निजी स्कूलों को अपने हक का पैसा मिल पाएगा। हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले बजट मिलने की संभावना न के बराबर प्रतित होती है। 

सरकार ने जानबूझकर रोका पैसा
प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है, सरकार ने जानबूझकर प्राइवेट स्कूलों के तीन साल के आरटीई की पुनर्भरण राशि अटका दी है। मार्च क्लोजिंग से पहले शिक्षा विभाग ने निदेशालय से बजट मंगवाया। जब वित्तीय वर्ष समाप्ती के पायदान पर था तो बिल बनाकर ट्रैजरी में भिजवा दिए। इसके बाद बिल पास भी हो जाते हैं और वित्त विभाग ईसीएस न करके अटका देता है। फिर, 31 मार्च के आसपास सभी बिल रिवर्ट करवा कर बिल रोके गए। इसी बीच पिछले साल का वित्तीय वर्ष समाप्त होने के साथ हमारा बजट भी लैप्स  हो गया। अब शिक्षा विभाग बजट न होने का रोना रो रहा है। सरकार ने चालबाजी कर निजी स्कूल संचालकों के साथ कुठाराघात किया है।  

इनका कहना है
हमारे द्वारा गत मार्च माह में पूरी तैयारी कर शिक्षा निदेशालय से बजट मंगवाकर सभी पैंडिंग बिल बनाकर समय पर ट्रैजरी भिजवा दिए थे। जहां से सभी बिल पास भी हो गए। लेकिन, ईसीएस न होने के कारण उनका भुगतान नहीं हो सका। अब निदेशालय से जैसे ही नए वित्तीय वर्ष का बजट प्राप्त होगा वैसे ही सभी रिवर्ट बिलों को फिर से ट्रैजरी भिजवा दिए जाएंगे। 
- केके शर्मा, जिलाध्यक्ष, शिक्षा विभाग माध्यमिक

Read More सचिन पायलट-जोशी को मिली 2 सीटों पर जिम्मेदारी, दिल्ली में बनाया पर्यवेक्षक 

प्राइवेट स्कूल संचालकों की पीड़ा
ईसीएस तो बहाना है, सरकार ने जानबूझकर हमारा हक का पैसा अटकाया है। वित्त विभाग के अधिकारियों की लेट लतीफी के कारण निजी विद्यालयों को आरटीई  का भुगतान नहीं हो पाया। 28 मार्च तक जो बिल बन गए थे और शिक्षा विभाग द्वारा ट्रेजरी में भिजवा दिए गए थे, उनका भी भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया। हमारे लिए स्कूल चलाना मुश्किल हो गया है। शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारियों का मानदेय, बिजली का बिल, बिल्डिंग किराया व स्टेशनरी सहित स्कूल संचालन की कई व्यवस्थाएं चरमरा गई। हालात यह हैं, उधार मांगकर स्कूल चलाना पड़ रहा है।
- जमनाशंकर प्रजापति, जिलाध्यक्ष, निजी स्कूल संचालक संघ 

Read More Encroachments पर निगम ग्रेटर ने की कार्रवाई

निजी स्कूल संचालक अब आरटीई में एडमिशन देने से परेशान होने लगे हैं ,क्योंकि शिक्षा विभाग खुद टाइम फ्रेम की पालन नहीं करता। भुगतान नहीं होने से कर्मचारी और विद्यालय से जुड़े स्टाफ को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकार निजी स्कूल संचालकों के साथ कुठाराघात कर रही है। 
- अरुण श्रीवास्तव, अध्यक्ष, निजी स्कूल सेवा संगठन 

Read More Summer vacation में बच्चों को नहीं पेरेंट्स को होमवर्क

सरकार तीन सालों से पैसा नहीं दे रही। स्कूल चलना मुश्किल हो रहा है। शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे। कभी अधिकारी मिलते नहीं तो कभी बजट नहीं होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे में निजी स्कूल संचालक करे तो क्या करें। कोई सुनने वाला नहीं है।  सरकार एक तरफ आरटीई के तहत बच्चों मुफ्त शिक्षा देने की बात करती है और दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों का भुगतान अटका कर व्यवस्थाएं प्रभावित कर रही है।
- हेमलता चंद्रावत, जिला उपाध्यक्ष,निजी स्कूल सेवा संघ

Post Comment

Comment List

Latest News

Summer vacation में बच्चों को नहीं पेरेंट्स को होमवर्क Summer vacation में बच्चों को नहीं पेरेंट्स को होमवर्क
किसी भी सरकारी स्कूल ने पहली बार इस तरह का अनूठा नवाचार किया है। अभिभावकों को पत्र लिखकर कहा है...
Air India Express : एअर इंडिया ने आज फिर की 74 फ्लाइट्स कैंसिल, सरकार ने एअरलाइंस से मांगा जवाब
Film Sikandar : सलमान खान के साथ काम करेगी रश्मिका, फिल्म मेकर्स ने किया एलान
राजस्थान की हेल्थ सेवाओं को जांचने पहुंची टीम, एसीएस शुभ्रा सिंह पहुंची चाकसू 
समन्वयक पद से हटाने के बाद बोले आकाश आनंद- आप हमारी सर्वमान्य नेता हैं, आपका आदेश सिर माथे पे
कानून व्यवस्था पर गहलोत और डोटासरा ने सरकार को फिर घेरा
आज का 'राशिफल'