तेज आवाज में बज रहे डीजे, दिल व दिमाग को दे रहा पीड़ा

किसी के लिए मौज तो किसी के लिए बन रहे परेशानी

तेज आवाज में बज रहे डीजे, दिल व दिमाग को दे रहा पीड़ा

मोबाइल डीजे से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

कोटा। जिस तरह किसी झूठी बात को ऊंची आवाज में कहने से वो सच नहीं हो जाती वैसे ही तेज आवाज में बजाया गया संगीत हमेशा मन को सकुन नहीं देता है। जी हां कोटा शहर के कई इलाकों में मोबाइल डीजे इस बात सच साबित कर रहे हैं। जहां ध्वनि प्रदूषण के लिए तय सीमा कई डेढ़ गुना अधिक पर संगीत बजाया जा रहा है जिस पर किसी प्रकार की कारवाई नजर नहीं आ रही है। शहर में रात के 12 बजे तक मोबाइल डीजे बजाए जा रहे हैं जो एक ओर नींद के दुश्मन बन रहे हैं तो दूसरी और कानों और हृदय के लिए परेशानी बने हुए हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किसी भी रिहायशी इलाके में सुबह 6 बजे से पहले और रात के 10 बजे के बाद किसी भी तरह का संगीत बजाने पर सख्त रूप से पाबंदी है।

छावनी सहित कई इलाकों में बज रहे डीजे
शहर के छावनी, केशवपुरा, डीसीएम, रंगबाड़ी, विज्ञान नगर, बोरखेड़ा सहित कई इलाके ऐसे हैं जहां रात के 12 बजे तक भी डीजे पर संगीत चलता रहता है। जिस पर प्रशासन और पुलिस की ओर से किसी प्रकार की कारवाई नजर नहीं आती है। राजस्थान कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1963 के अनुसार रिहायशी में बिना परमिशन के सुबह 6 से पहले और रात के 10 बजे के बाद डीजे साउंड या लाउड स्पीकर का उपयोग करने पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके कई इलाकों में बिना किसी परमिशन के डीजे बेधड़क उपयोग में लाए जा रहे हैं। डीजे वाले वाहनों में क्षमता से अधिक एम्पीफायर और बेस बांध लेते हैं जो ध्वनि की तीवृता को और बढ़ा देते हैं। वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है कि इसके लिए शिकायत करने पर भी पुलिस द्वारा थाने में शिकायत दर्ज करवाने के कहा जाता है जिसके बाद ही कारवाई का आश्वासन दिया जाता है। 

सीमा 55 डेसीबल की डीजे चल रहे 100 डेसीबल पर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा तय सीमा के अनुसार रिहायशी इलाकों में सुबह 6 से रात 10 बजे तक के समय को डेटाइम और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक को नाइट टाइम कहा गया है। जिसमें दिन के समय में घ्वनि प्रदूषण की सीमा 45 डेसीबल से 65 डेसीबल और रात के समय में 45 डेसीबल से 55 डेसीबल तक निधारित की गई है लेकिन कोटा में ध्वनि प्रदूषण की सीमा कई इलाकों में 100 डेसीबल तक पहुंच जाती है जो कानों के लिए ही नहीं बल्कि हृदय के लिए भी घातक साबित होती हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 75 डेसीबल से उपर वाले संगीत में रहना कानों और दिल के लिए हानिकारक है। वहीं इससे घरों की दिवारों में दरारें तक आ सकती हैं। क्योंकि डेसीबल ज्यादा होने से ध्वनि तरंगों की आवृत्ति अधिक होती है जो नुकसान देह है। 

सिर दर्द, कानों में अस्थाई बहरापन और हृदय के लिए घातक
मोबाइल डीजे से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि तय सीमा से अधिक डेसीबल के संगीत में रहने से कानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण अस्थाई बहरापन, कानों का सुन्न होना, दर्द होना और टिनिटस की बीमारी हो सकती है। जिसमें कानों में तेज घंटियों के बजने की आवाज आती रहती है। कार्डियोलॉजिस्ट हंसराज मीणा बताते हैं कि तय सीमा से अधिक बेस होने से हृदय गति पर भी असर पड़ता है वृद्धजनों के लिए तेज बेस पर बजने वाले डीजे ज्यादा घातक होते हैं क्योंकि उन्हें दिल की बीमारी का जोखिम ज्यादा रहता है। वहीं तेज ध्वनि के हृदय घात भी हो सकता है।

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परीक्षा के समय में भी बज रहे डीजे
शहर में अभी बोर्ड परीक्षा के साथ ही कई सारे प्रतियोगी परीक्षाओं का समय चल रहा है। ऐसे में देर रात तक और दिन में बजने वाले संगीत के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई में भी बाधा उत्पन्न होती है। जिला कलक्टर की ओर से पिछले महीने डीजे पर पाबंधी के लिए आदेश भी जारी किए थे लेकिन शहर में डीजे और लाउड स्पीकर धड़ल्ले से बजाए जा रहे हैं।

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लोगों का कहना है
इलाके में देर रात तक डीजे बजते रहते हैं शादियों के सीजन में तो ये रात के 1-1 बजे तक बजते हैं। आवाज कम करने को कहो तो धमकी देते हैं। वहीं पुलिस से शिकायत करने पर वो लिखित में देने को कहते हैं। रात के समय में लिखित में कैसे देने जाएं।
- करन कैथोलिया, प्रेम नगर द्वितीय

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हमारे नजदीक स्थित मैरिज गार्डन में देर रात तक डीजे चलता रहता है, जबकि गार्डन चौराहे पर मौजूद है। बावजूद इसके पुलिस बंद नहीं करवती है। इसके अलावा भी मोबाइल डीजे निकलते रहते हैं जिनके कारण बहुत परेशानी होती है।
- इंद्र कुमार, रायपुरा

इलाके में कुछ साल पहले तो देर रात तक डीजे चलना बंद हो गए थे लेकिन 1 दो 2 साल से वापस डीजे बजना शुरू हो गए हैं इनके कारण कानों और सिर में दर्द रहता है और बच्चों को भी परेशानी होती है। अगर 10 बजे के बाद प्रतिबंध है तो पुलिस को बिना शिकायत के खुद से बंद करवाना चाहिए।
- अजय सेन, महावीर नगर

शहर में देर रात तक बजने वाले डीजे पर कारवाई होनी चाहिए क्योंकि इनसे बच्चों से लेकर वृद्ध तक सबको परेशानी होती है। कई इनका बेस इतना अधिक होता है कि घरों की दीवारें तक कांपने लगती हैं। प्रशासन को ऐसे डीजे वालों पर सख्त कारवाई करनी चाहिए।
- जयप्रकाश तुसिया, छावनी

इनका कहना है
शहर में तय सीमा से बाहर डीजे बजाना बिल्कुल निषेध है और किसी प्रकार के कार्यक्रम करने के लिए स्थानीय पुलिस थाने से परमिशन लेना आवश्यक है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध शिकायत मिलने पर कारवाई की जाती है। कहीं समस्या है तो स्थानीय थाने से उसे ठीक करवाएंगे।
- दिलीप सैनी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, कोटा शहर

लाउड स्पीकर और डीजे से संबंधित किसी भी कार्यक्रम के लिए स्थानीय थाने से परमिशन की आवश्यकता होती है। जिला कलक्टर की ओर से इस हेतु आदेश भी जारी किए गए हैं। कहीं पर नियमों के विपरित डीजे बजाया जा रहा है तो उन पर कारवाई करवाएंगे।
- इंद्रजीत सिंह, अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर

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