पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव पर 9 को होगा मतदान
कोर्ट ने करारा झटका दिया है
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव विफल करने की प्रधानमंत्री इमरान खान की चाल को नो बॉल करार देते हुए उन्हें और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को करारा झटका दिया है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव विफल करने की प्रधानमंत्री इमरान खान की चाल को नो बॉल करार देते हुए उन्हें और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को करारा झटका दिया है। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के निर्णय को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया। न्यायालय ने नेशनल असेंबली भंग करने और नया चुनाव कराने के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के फैसले को भी खारिज कर दिया है। पीठ ने फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी है कि असेंबली बहाल की जाए और 9 को उसमें अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया जाए। अदालत ने कहा कि खान डिप्टी स्पीकर को सलाह नहीं दे सकते थे।
इमरान ने बताया था विदेशी साजिश
फैसला आने से पहले कार्यवाहक प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि न्यायालय जो भी फैसला करता है उसे वह स्वीकार करेंगे। खान ने दावा किया था कि एक विदेशी ताकत (अमेरिका) ने विपक्ष के साथ मिलकर उनकी सरकार को गिराने की साजिश की थी और उसके तहत ही उनके खिलाफ विपक्ष में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। अगर इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव हार जाते हैं तो पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई प्रधानमंत्री अपने पद से निष्कासित होगा। पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इससे पहले 1 नवंबर, 1989 को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज के खिलाफ नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि दोनों बार विपक्ष प्रस्ताव पारित करने में नाकाम रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान की संसद के जनप्रतिनिधियों के सदन नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर द्वारा विपक्षी दलों के साझा प्रस्ताव को खारिज किए जाने के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।
कोर्ट ने पहले ही दे दिए थे संकेत
न्यायालय में इस मामले में चर्चा का आज पांचवां दिन था। मुख्य न्यायाधीश ने फैसले से पहले बहस के दौरान कहा था कि डिप्टी स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला प्रथम दृष्टया संविधान की धारा 95 के विरुद्ध है।
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