शहर में बंद पड़ी डिजाइनर लाइटें, अंधेरे से बिगड़ रहा सौंदर्य
हैरिटेज बनाने के लिए पिछली सरकार में लगवाई गई थी
डिवाइडर के बीच लगी लाइटें में से तो ज्यादातर लाइटें बंद ही नजर आ रही है।
कोटा। शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने और हैरिटेज लुक देने के लिए यहां पर डिजाइनदार लाइटें डिवाइडर के मध्य तथा सड़क के किनारे वर्ष 2022-23 में लगवाई गई थी। जिस पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। इनका ठेका भी सिविल में हुआ है और लाइटें भी चेन्नई की एक कंपनी ने बनाकर दी थी। जिसकी कीमत भी अन्य से ज्यादा ही थी। ऐसी लाइटों को लगाने के बाद इनके रखरखाव का ठेका अलग-अलग ठेकेदारों को दिया गया। लेकिन इनकी उचित देखभाल नहीं होने के कारण कहीं जल रही तो कहीं बंद पड़ी है। जिसके चलते कहीं अंधरे तो कहीं उजाला जैसी स्थिति हो रही है। इतना ही नहीं कहीं पर तो एक ही पोल पर एक बल्ब जल रहा है और दो बंद है। वहीं कहीं पर दो जल रहे और एक बंद पड़ा है। यानि की न तो कोई इनको देख रहा है और न कोई इस ओर ध्यान दे रहा है। जिस कारण इनकी सुंदरता ही कुरुपता बनती जा रही है।
चेन्नई की एक कंपनी ने बनाई थी लाइटें
शहर को चकाचौंध करती ये डिजाइनदार हैरिटेज लुक वाली लाइटों को बनाने का ठेका चेन्नई की एक निजी कंपनी को दिया गया था। उसी ने लाखों रुपए में इस की डिजाइन वाली लाइटें तैयार की है, जिससे शहर की सुंदरता में चार चांद लगे हुए हैं। लेकिन इनकी समय-समय पर अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जा रही है। वहीं लाइटों को चालू भी नहीं किया जा रहा है। जिससे ये बंद पड़ी हुई है।
कुछ जल रही तो कुछ बंद पड़ी
रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भीमगंजमंडी थाने से लेकर नेहरू उद्यान तक डिवाइडर के बीच में और सड़क के किनारे लगी डिजाइनदार रोड़ लाइटें पिछले कई दिनों से बंद पड़ी है। इतना ही नहीं इस ओर किसी का ध्यान तक नहीं है। हालांकि इससे किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता है। लाइटें बंद होने से अंधेरा भी नहीं होता, लेकिन शहर के सौंदर्यकरण में जरूर दाग लग रहा है। सड़क किनारे आर्मी एरिया की दीवार के साथ-साथ लाइटें लगी हुई हैं, इनमें से इक्का-दुक्का लाइट ही बंद होगी। किंतु डिवाइडर के बीच लगी लाइटें में से तो ज्यादातर लाइटें बंद ही नजर आ रही है। इनमें एक पोल छोड़कर एक पोल पर एक तो किसी पर दो लाइटें बंद ही पड़ी है। कुछ पोल पर तो तीनों ही लाइटें बंद पड़ी है। यह उदासीनता ही शहर के सौंदर्य को बिगाड़ रही है।
नेहरू गार्डन से पहले चौराहे पर तो झूमर ही बंद
नेहरू गार्डन से पहले चौराहे पर लगाया गया डिजाइनदार झूमर की तो सभी पांचों लाइटें ही बंद पड़ी है। जबकि यह मुख्य चौराहा है और यहां से तीन रास्ते जाते हैं। ऐसे में अंधेरा होने से यहां पर कभी एक्सीडेंट भी हो सकता है। हालांकि यह दूसरी बात है कि यहां पर अन्य लाइटों से रोशनी रहती है। मगर मुख्य चौराहा पर सुंदरता बनाने के लिए लगाए गए झूमर की सभी बत्तियां बंद होने से चौराहा विरान दिखता है।
यहां तो पोल पर से लाइटें ही गायब
आर्मी एरिया की चारदीवारी के पास खेड़ली फाटक से पहले सड़क के किनारे लगे एक पोल पर से तो लाइटें ही गायब है। यह किसकी कारस्तानी है, यह तो नहीं मालूम, लेकिन जिम्मेदारों ने यहां पर दोबारा लाइटें नहीं लगाई है। ऐसे में यह अपनेआप में अलग ही दिखाई दे रहा है। ऐसा ज्ञात हुआ है कि एक कार की टक्कर से यह पोल क्षतिग्रस्त हुआ था और लाइटें टूटकर गिर गई थी। इसके बाद पोल तो सही करवाकर लगा दिया गया, लेकिन उस पर लाइटें नहीं लगाई गई।
छेड़छाड़ से हो जाती है बंद
थ्री फेस लाइटों में तीन-तीन अलग एनसीबी लगाते हैं। उनसे छेड़छाड़ करने से लाइट बंद हो जाती है। तीन-चार दिन पहले सनफ्लावर के सामने से लाइट बंद होने की शिकायत आई थी। जिसे मैंने खुद खाकर सही किया है। लाइटों के रख-रखाव के लिए एक लड़का रखा हुआ है जो प्रतिदिन यही काम करता है। फिर भी यदि कहीं बंद है तो मैं खुद जाकर उनकी मरम्मत करवा दूंगा। नेहरू गार्डन के पास वाला झूमर तो पहले से ही खराब है, उसे भी सही करवा दूंगा।
- जोधराज, ठेकेदार, लाइट मेंटेनेन्स
शहर में कई जगह पोल से लाइटें गायब है, मैं खुद बाइक पर निरीक्षण करता हूं। वहीं कई जगह बंद भी पड़ी है।
- पवन, जेईएन, यूआईटी
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