वन विभाग ने खड़े रहकर बनवाई टाइगर रिजर्व के बफर में सड़क

सड़क बनने का पता लगने के 31 दिन बाद ठेकेदार पर की एफआईआर

वन विभाग ने खड़े रहकर बनवाई टाइगर रिजर्व के बफर में सड़क

नवज्योति में खबर छपने के बाद खुली वन विभाग की आंखें।

कोटा। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में 2 किमी लंबी सीसी सड़क बनाए जाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दैनिक नवज्योति के पास ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जो यह साबित करते हैं, डाबी रैंज के जाखमूंड वनखंड में सीसी सड़क वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मौन स्वीकृति से बनी है। इतना ही नहीं, सड़क भी खुद खड़े रहकर बनवाई है।  यह सड़क रातोंरात नहीं बल्कि दो महीने में बनकर तैयार हुई है।  वहीं, निर्माण एजेंसी बूंदी पीडब्ल्यूडी पर वन अधिकारी इतने मेहरबान थे कि 14 मार्च को सड़क बनने का पता लग चुका था। इसके बावजूद उन्होंने रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि उस पर पर्दा डाले रखा। जब नवज्योति ने 19 अप्रेल को मिलीभगत का खेल उजागर किया तो अपनी लापरवाही छिपाने के लिए वन अधिकारियों ने निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार को बली का बकरा बनाया और 17 अप्रेल को उसपर मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि, हकिकत यह है कि सीसी सड़क अप्रेल के पहले सप्ताह में ही बनकर तैयार हो चुकी थी। वन अधिकारियों व पीडब्ल्यूडी की मिलीभगत का पर्दाफाश होने के बाद वन विभाग ने सड़क बनने के एक महीने बाद ठेकेदार के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम 1980 के उल्लंघन का मामला बैक डेट में दर्ज किया। 

मार्च में खुदाई और अप्रेल में बना डाली सड़क
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मार्च के पहले सप्ताह में जाखमूंड वन भूमि पर अनाधिकृत रूप से सड़क निर्माण कार्य शुरू हो गया था। निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने एफसीए 1980 की कार्यवाही किए बिना ही ठेकेदार को वर्कआॅर्डर जारी कर दिया और ठेकेदार ने भी सड़क बनाने के लिए जेसीबी से खुदाई कार्य शुरू कर दिया था। वहीं, वन भूमि पर खनन कर उगी झाड़ियों व पेड़-पौधे नष्ट कर वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास उजाड़ दिया। इसके बाद सीसी सड़क बनना शुरू हो गई, जो अप्रेल के प्रथम सप्ताह में बनकर तैयार हो गई। इसके बावजूद रैंज के संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों ने न तो सड़क का काम रुकवाया और न ही निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों व ठेकेदार पर कार्रवाई की।  हालांकि, नवज्योति में खबर प्रकाशित होने के बाद ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज किया। तब तक तो सड़क पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुकी थी। 

2 अप्रेल तक बन गई थी आधी सड़क
बूंदी वन मंडल के डाबी रेंज की जाखमूंड वनखण्ड का अधिकांश वनक्षेत्र रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का बफर है। यहां 2 अप्रेल तक आधी से ज्यादा सीसी सड़क बन चुकी थी और 10 अप्रेल से पहले सड़क पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई थी। दिनदहाड़े ठेकेदार के श्रमिक सड़क बना रहे थे और रैंज अधिकारी रातोंरात सड़क बनने का दावा कर रहे हैं, जो इन तस्वीरों में झूठे साबित हुए। वन अधिकारियों व कर्मचारियों ने खुद वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन करवाकर सड़क बनवाई। अब पोल खुली तो सारा दोष निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी व ठेकेदार पर मडा जा रहा है। मजेदार बात यह है, मामला उजागर होने के 17 दिन बाद भी वन विभाग और पीडब्ल्यूडी दोनों ही विभागों ने अपने दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 

बूंदी डीएफओ वीरेंद्र सिंह कृष्णिया से सवाल-जवाब
सवाल : 14 मार्च को आपने ज्वाइन किया तो रैंजर ने वनभूमि पर सड़क बनाए जाने की जानकारी दी?
जवाब : नहीं, इस बारे में मुझे किसी तरह की कोई जानकारी नहीं थी।
सवाल : जबकि, इस तारीख को आपके अधिकारी व कर्मचारी को मामले  का पता लग चुका था?
जवाब : पता नहीं, मैंने मामला उजागर होने के बाद इनसे वर्कआॅर्डर लिया है, जिसमें ठेकेदार को अगस्त तक रोड बनाकर देना था।
सवाल : अब तक की जांच में क्या निष्कर्ष निकला ?
जवाब : उच्चाधिकारी जांच कर रहे हैं, मैं भी मेरे स्तर पर जांच कर रहा हूं। इसमें पीडब्ल्यूडी का बड़ा रोल है। उन्होंने फोरेस्ट लैंड में टैंडर कैसे कर दिए। किसकी स्वीकृति से वर्कआॅर्डर जारी किए। पीडब्ल्यूडी अभी आॅथेंटिक कागज नहीं दे रही। रिकॉर्ड मांग रहे हैं। 
सवाल: रिकॉर्ड के लिए पीडब्ल्यूडी के किस-किस अधिकारी को पत्र लिखे
जवाब : सभी को लिख दिए हैं। एडिशनल चीफ इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर जयपुर तक को लिखे हैं। 
सवाल : आपने मौके का निरीक्षण कर लिया, सड़क बनाने में कितनी वन भूमि गई?
जवाब : सब कर लिया है, अभी जानकारी कर रहा हूं। यह जांच का विषय है।
सवाल : भारत सरकार का वर्ष 2021-22 का सर्कुलर है, जिसके तहत डीएफओ को जिला न्यायालय में इस्तगासा पेश कर संबंधित कार्यकारी एजेंसी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश हैं। आपने क्या यह कार्रवाई की?
जवाब : मैं सबकुछ करुंगा, अभी जो पत्र लिख हैं, उसके जवाब नहीं आए तो इस एक्ट के तहत भी कार्रवाई करेंगे। 
सवाल : आपने संबंधित वन अधिनस्त कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की?
जवाब : अभी तो यह पता कर रहे हैं कि सड़क कब बनी। मामले की जानकारी जुटा रहे हैं। जांच चल रही है। 
डाबी रैंजर हेमराज से सवाल-जवाब 
सवाल : आपको कब पता चला की जाखमूंड वनभूमि पर सीसी सड़क बन गई?
जवाब : करीब 2 अप्रेल को पता लगा था। वहां ज्यादा कुछ था नहीं।
सवाल : मतलब, 2 अप्रेल को पता लग गया था कि यहां सड़क बन रही है?
जवाब : नहीं-नहीं, इस दिन तो यह पता लगा था कि यहां इस तरह की एक्टिवीटि होने वाली है। ठेकेदार के लोग गिट्टी डालने वाले थे।
सवाल : फिर सड़क बनने से रोका क्यों नहीं?
जवाब : प्रयास किया, समय-समय पर ठेकेदार व निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी को नोटिस भी दिए।  तालेड़ा के एईएन को नोटिस दिया था। 
सवाल : उस समय सड़क बन गई थी क्या?
जवाब : नहीं, क्रेशर लगा रहे थे,गिट्टी डाल रहे थे। सूचना पर मौके पर पहुंचे तो वे लोग भाग गए। हमने सामान जब्त कर लिया था। 
सवाल : क्या आपने पीडब्ल्यूडी से पूछा किसकी स्वीकृति से रोड बना रहे हैं?
जवाब : हमने नोटिस देकर पूछा था, कि फोरेस्ट लैंड पर किसकी स्वीकृति से रोड बना रहे हो। लेकिन, उन्होंने जवाब नहीं दिया। 
सवाल : फिर आपको कब पता लगा कि पीडब्ल्यूडी ने पूरी सड़क बना दी।
जवाब : यह तो रात-बे-रात बनाते हैं, कभी कुछ हिस्सा बनाते, फिर कुछ हिस्सा बनाते। 
सवाल : आपने इसकी सूचना डीएफओ को दी?
जवाब : हां दी, जब पीडब्ल्यूडी को लेटर दिया तो उसकी कॉपी देते हैं। डीएफओ साहब ने भी दो-तीन लेटर लिखे हैं। 
सवाल : मतलब 17 अप्रेल को आपको सड़क बनने का पता लगा?
जवाब : नहीं, खबर छपने के बाद हमने कार्रवाई कर ठेकेदार के सामान जब्त किए। अब कोर्ट में चालान पेश करेंगे। जुर्माना नहीं करेंगे। 
सवाल : 14 मार्च का आपको सड़क बनने का पता लग गया था, फिर 17 अप्रेल को पूरी सड़क बनने के बाद ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज क्यों किया
जवाब : इस तारीख को मौके पर गया था, वहां रोड नहीं बन रही थी। साफ सफाई कर रहे थे, वो देखने गया था। मेरे कर्मचारियों ने ठेकेदार व पीडब्ल्यूडी के तालेड़ा अधिकारी को समय-समय पर नोटिस दिए थे। 
सवाल : एफआईआर में ठेकेदार पर अवैध खनन में मामला दर्ज किया है,आप कह रहे कि एफसीए-1980 का किया?
जवाब : दोनों में ही मामला दर्ज किया है। दो एफआईआर काटी है।

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इनका कहना है
सीसी सड़क बनाए जाने के मामले में कार्रवाई टेरिटोरियल डिविजन कर रहा है। रही बात, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के उल्लंघन का तो रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करेंगे। अभी तक मेरे पास इस संबंध में रिपोर्ट नहीं आई है।
- पीके उपाध्याय, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, वन विभाग जयपुर 

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देखिए, मैं इसे डील नहीं करती हूं। प्राथमिक तौर पर यह वन सुरक्षा का मामला है। एफसीए का केस बनता है लेकिन मेरे पास इस तरह का कोई एफसीए का केस विचाराधीन नहीं था। यदि, कोई उल्लंघन होता है तो नोडल आॅफिसर तब कार्रवाई करेगा जब कोई उसके संज्ञान में लाएगा। इस संबंध में वन सुरक्षा के अधिकारियों से बात कर सकते हैं। 
- शिखा मेहरा, एपीसीसीएफ (एफसीए), वन विभाग जयपुर

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रिपोर्ट मांग रहे हैं, लेकिन अब तक भेजी नहीं है। अभी मेरे पास रिपोर्ट नहीं आई है। डाक आई थी लेकिन मैं बाहर था, अभी देख नहीं पाया। 
- कैलाशचंद मीना, एपीसीसीएफ वन सुरक्षा, वन विभाग जयपुर 

जिन लोगों पर वन सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उनकी सहमति से ही वन भूमि पर यह सीसी सड़क बनी है। वन विभाग को इस पर कार्रवाई करते हुए रैंजर, फोरेस्टर और बीट गार्ड को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए।
- तपेश्वर सिंह भाटी, अध्यक्ष, मुकुंदरा एवं पर्यावरण समिति

बूंदी डीएफओ को जांच के आदेश दिए हैं कि सीसी सड़क कब से कब तक बनी है। कितनी वन भूमि पर बनी है, किसके आदेश पर बनी है और विभाग द्वारा रोकने के बावजूद रोड बनी, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर जांच की जा रही है। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 
- रामकरण खैरवा, मुख्य वनसंरक्षक, फिल्ड डायरेक्टर कोटा संभाग

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