अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे ऑक्सीजन प्लांट
अस्पतालों के प्लांट में 10% आईटीआई डिप्लोमाधारक कार्मिक, दुघर्टना की आशंका, पूर्व में आए थे मामले, 24 में से 15 प्लांट बनकर तैयार
मरीजों को आॅक्सीजन प्रदान कर रहे प्लांटों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। क्योंकि, प्लांटों में प्रशिक्षित कार्मिक नहीं है। सभी अप्रशिक्षित है। खास बात यह है कि इनमें 90 फीसदी तो योग्यताधारी भी नहीं है। दस प्रतिशत जरूर आईटीआई डिप्लोमाधारक है।
कोटा। मरीजों को ऑक्सीजन प्रदान कर रहे प्लांटों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। क्योंकि, प्लांटों में प्रशिक्षित कार्मिक नहीं है। सभी अप्रशिक्षित है। खास बात यह है कि इनमें 90 फीसदी तो योग्यताधारी भी नहीं है। दस प्रतिशत जरूर आईटीआई डिप्लोमाधारक है। ये भी स्थाई कार्मिक नहीं है। इनको प्लेसेमेंट के तहत नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही अन्य कार्मिक ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। ऐसे में प्लांटों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि, थोड़ी सी तकनीकी फाल्ट आने पर प्लांट बंद हो सकते हैं। ऐसे में मरीजों की जान सांसत में आ सकती है। ऐसा हुआ भी है। कोविड के समय मेडिकल कॉलेज में प्लांट खराब हो गए थे। जिसके चलते मरीजों की सांसे अटक गई थी। हालांकि, कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। न्यू मेडिकल कॉलेज के अधीन अस्पतालों में 24 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने थे। इसमें से 15 हैंड ओवर हो चुके है। जबकि, 6 प्रक्रियाधीन है। साथ ही 3 नए ऑक्सीजन प्लांट और भी स्थापित किए जाने हैं। खास बात ये है कि ये प्लांट इसी वर्ष बनकर तैयार हो जाएंगे। इन प्लांटों में करीब 50 से अधिक कार्मिक कार्य कर रहे हैं, लेकिन काफी कम ही प्रशिक्षित है। हालांकि, इनको कुछ दिनों पूर्व ट्रेनिंग दी थी। लेकिन, ट्रेनिंग नाकाफी होती है। क्योंकि, तकनीकी में परिपक्व ही इमरजेंसी मामले को बेहतर ढंग से हैंडल कर सकता है।
एमबीएस में सर्वाधिक प्लांट
न्यू मेडिकल कॉलेज, एमबीएस, जेके लोन, सुपर स्पेशयलिटी और रामपुरा सेटेलाइट में कुल 24 प्लांट स्थापित किए जाने है। इनमें सर्वाधिक एमबीएस में 8 स्थापित किए गए हैं। इसके बाद सुपर स्पेशलिटी में 6, जेके लोन 5, मेडिकल कॉलेज 4 और रामपुरा सेटेलाइट में एक शामिल है। इनमें अधिकांश अस्पतालों में स्थापित हो चुके हैं। कुछ में स्थापित होना प्रस्तावित है। यहां भी तेज गति से कार्य संचालित है। इनके बनने से ऑक्सीजन कमी आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी। क्योंकि, इन प्लांटों से 3100 सिलेंडर प्रतिदिन का उत्पादन हो जाएगा। जबकि, यहां के अस्पतालों में प्रतिदिन एक हजार से भी कम सिलेंडर की खपत हो रही है।
युवा कर रहे मांग
कोविड के समय मेडिकल कॉलेज चिकित्सा संसाधनों के रूप में आत्म निर्भर बना है। काफी बेरोजगारों को रोजगार भी दिया है। विविध विभागों में इनकी भर्ती भी की थी, लेकिन ऑक्सीजन प्लांटों में भर्ती नहीं की। इसके लिए बेरोजगार संगठनों ने मांग भी की गई थी। उन्होंने नियमित भर्ती के लिए ज्ञापन भी दिया था। लेकिन, भर्ती नहीं की गई। हालांकि, अधिकांश ऑक्सीजन प्लांट अभी काम नहीं कर रहे है। क्योंकि, इनकी जरूरत नहीं है। कोविड के मरीज तो एक भी नहीं है। इमरजेंसी सर्जरियों में जरूर इनका उपयोग हो रहा है।
कहां कितने प्लांट
कुल 24
एमबीएस 8
जेकेलोन 5
एसएसबी 6
मेडिकल कॉलेज 4
रामपुरा अस्पताल 1
फैक्ट फाइल
. 24 ऑक्सीजन प्लांट थे प्रस्तावित
. 16 प्लांट हैंड ओवर
. 6 प्लांट का कार्य अंतिम चरण में
. 2 प्लांट और होंगे तैयार
. 3100 सिलेंडर प्रतिदिन रहेगा उत्पादन
इनका कहना है
लाखों युवाओं ने फीटर, इलेक्ट्रिशियन और अन्य ट्रेड में आइटीआइ कर रखी है। ऐसे में विभाग को नियमित भर्ती करनी चाहिए।
- मनोज धावसलिया, जिलाध्यक्ष, बेरोजगार संघ, कोटा
अधिकांश कार्मिकों को प्रशिक्षण दे दिया है। कुछ आईटीआई कार्मिक भी लगे हुए है। भर्ती विभागीय आदेशों से हो सकती है।
- डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल, कोटा
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