सांसद और विधायक के पत्रों की अनदेखी पड़ेगी भारी

सरकार इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी

सांसद और विधायक के पत्रों की अनदेखी पड़ेगी भारी

सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि के पत्रों की अनदेखी अब भारी पड़ेगी। राज्य सरकार इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी।

जयपुर। सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि के पत्रों की अनदेखी अब भारी पड़ेगी। राज्य सरकार इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी। इसकी पूरी देखरेख के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार पीआरएसए यानि पब्लिक रिप्रजेंटेटिव लैटर्स एसेसमेंट पोर्टल लांच करने जा रही है। प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख सचिव अश्विनी भगत ने बताया कि पीआरएलए पोर्टल लांच होने के बाद जनप्रतिनिधियों की शिकायतों का निवारण हो सकेगा। जनप्रतिनिधियों को शिकायत रहती है कि उनके भेजे गए पत्र पर काम हुआ या नहीं, या उनके पत्र को सरकार ने कचरे में तो नहीं डाल दिया। जनप्रतिनिधियों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए उनके पत्रों पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह खास पोर्टल सरकार लांच कर रही है। इसके बाद कोई भी जनप्रतिनिधि अपने पत्र की ट्रैकिंग कर सकेगा। यदि अधिकारी पोर्टल लॉगिन नहीं करते है, तो उसकी भी रिपोर्ट कलक्टर के पास पहुंचेगी।

पीआरएलए पोर्टल में ये होगा
- पोर्टल पर सरपंच से लेकर एमपी, एमएलए तक के पत्र अपलोड होंगे।
- इन पत्रों की विभागवार ट्रैकिंग हो सकेगी।
- जनप्रतिनिधियों के पत्रों के खोने या कचरे में डालने जेसी शिकायतों पर लगाम लगेगी।
- सरकार के पारदर्शी और जवाबदेही शासन के दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
- जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर निश्चित समय पर कार्रवाई नहीं तो नोडल अधिकारी को रिमाइंडर की सुविधा।
- जनप्रतिनिधि पत्रों पर की गई रिपोर्ट को डाउनलोड कर सकेंगे।
- पोर्टल पर कोई अधिकारी लॉगिन नहीं करता है तो उसकी सूचना विभागाध्यक्ष और कलक्टर के पास जाएगी।
- प्रत्येक 7 दिन में कार्रवाई नहीं होने पर रिमांइडर करवाया जाएगा।

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