बारिश में पर्यटक और सावन में भक्तों की जान पर जोखिम

धार्मिक पर्यटन स्थल गरड़िया महादेव में नहीं सुरक्षा के इंतजाम

बारिश में पर्यटक और सावन में भक्तों की जान पर जोखिम

चंबल से 300 फीट ऊंची चट्टानों पर फोटोग्राफी कर रहे पर्यटक।

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चट्टानों की कराइयों में स्थापित गरड़िया महादेव ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थल है। यहां महादेव के दर्शन व प्रकृति के विहंग्म स्वरूप से रुबरू होने बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। लेकिन, वन विभाग द्वारा यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिससे इनकी जान संकट में रहती है। बरसात में जान का जोखिम और बढ़ जाता है। हालात यह हैं, चंबल नदी से 300 फीट ऊंचे पहाड़ों की चट्टानें सेल्फी प्वाइंट बन गई, जहां सुरक्षा के लिहाज से रेलिंग तक नहीं है और न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए। जबकि, पूर्व में यहां कई हादसे हो चुक है, लोग जान भी गंवा चुके हैं। इसके बावजूद मुकुंदरा प्रशासन द्वारा खतरों को अनदेखा किया जा रहा है। सावन की शुरुआत होने के साथ ही श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना शुरू हो जाएगा। ऐसे में विभाग को सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम उठाना चाहिए। 

सुरक्षा दीवार और रेलिंग नहीं होने रहता जोखिम 
रावतभाटा रोड स्थित गरड़िया महादेव में जोखिमभरी जगहों पर वन विभाग के सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं रहते। जिसका फायदा उठाकर लोग हनुमान मंदिर के पीछे चट्टानों पर फोटोग्राफी करते हैं। जबकि, इन चट्टानों की चंबल नदी से ऊंचाई करीब 300 फीट है। इसके बावजूद लोगों को रोकने के लिए न तो सुरक्षा दीवार बनाई गई और न ही रेलिंग लगवाई। हालात यह हैं, जाने अनजाने में लोग जान जोखिम में डाल रहे हैं और उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। 

पैर फिसला तो जान बचना मुश्किल
चंबल की कराइयों में उतरने के लिए बरसों पुरानी सीढ़ियां बनी हुई है, जिसका आधा हिस्सा टूट चुका है। इसके बावजूद लोग जान जोखिम में डाल उबड़-खाबड़ चट्टानों को पार कर कुंड तक पहुंच रहे हैं। जबकि, यहां जाना मौत को दावत देना जैसा है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है, कराइयों से गुजर रही नदी में अवैध मतस्य आखेट होता है। ऐसे में कुंड के आसपास वाले इलाके में संदिग्ध गतिविधियां होती है। जिसकी रोकथाम के लिए कोई का कोई ध्यान नहीं है। 

इन स्थानों पर खतरा
पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया कि गरड़िया महादेव मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने से पहले ऊपर की ओर हनुमान मंदिर आता है। जिसके पीछे खुली चट्टान है। जहां लोगों की आवाजाही रहती है। महादेव के मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के राइट साइड में पहला झरना आता है, जो करीब 250 फीट ऊंचे पहाड़ से गिरता है। जहां लोगों को रोकने के लिए कोई  इंतजाम नहीं है। इसी तरह मंदिर की अंतिम सीढ़ियों के उल्टे हाथ पर सुरक्षा दीवार टूटी हुई है, जिससे लोग कराइयों में स्थित कुंड की तरफ उतरने की कोशिश करते हैं। इन सभी जगहों पर वन विभाग को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना चाहिए।

Read More आभानेरी फेस्टिवल में राजस्थानी संस्कृति का आनंद लेंगे विदेशी सैलानी

गरड़िया की तरह हो गेपरनाथ का विकास
गेपरनाथ महादेव धार्मिक पर्यटन स्थल है, जो प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। दूर-दराज से लोग महादेव के दर्शन को आते हैं। वहीं, एशिया की सबसे बड़ी वल्चर कॉलोनी भी यहीं है। ऐसे में वन विभाग को टिकट लगाकर पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए ताकि, पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, इससे पहले सभी जरूरी सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता किया जाएं। 
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

Read More मानसून के बाद फिर बढ़ी गर्मी, घर-घर में सर्दी-जुकाम, वायरल-रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मरीज

चंबल नदी किनारे जंगल की खूबसूरत वादियों के बीच महादेव का मंदिर स्थापित है, जो ऐतिहासिक होने के साथ आस्था का केंद्र भी है। दूरदराज से लोग महादेव के दर्शन को यहां आते हैं। वहीं, बर्ड्स रिसर्च के लिए कई शोधार्थी भी आते हैं। जिस तरह गरड़िया के विकास पर ध्यान दिया गया वैसे ही विभाग को गेपरनाथ को भी विकसित करना चाहिए। 
- रवि नागर, रिसर्चर वाइल्ड लाइफ

Read More तब राजस्थान टीम का अलग ही क्रेज था, मैच कहीं भी और किसी भी टीम के खिलाफ हो

संभावित खतरों वाली जगहों पर रैलिंग लगवाने के लिए एस्टीमेट बनाकर उच्चाधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। जैसे ही बजट प्राप्त होगा वैसे ही तुरंत रैलिंग लगवाई जाएगी। वहीं, चेतावनी बोर्ड दो तीन दिनों में लगवा दिए जाएंगे। वनकर्मी यहां नियमित गश्त करते हैं। संदिग्ध गतिविधियों पर समय समय पर कार्रवाई भी करते हैं।
- जनक सिंह, क्षेत्रिय वन अधिकारी, बोराबास रैंज, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व

Post Comment

Comment List

Latest News