बिना कंट्रोल चल रही लिफ्ट, आए दिन हो रहे हादसे

लिफ्ट की ना तो समय पर मेटेंनेंस होती और ना ही सरकारी एजेंसी की मॉनिटरिंग

बिना कंट्रोल चल रही लिफ्ट, आए दिन हो रहे हादसे

बिल्डर व सोसायटी मकान मालिकों से वार्षिक शुल्क वसूलते है।

कोटा। शिक्षा नगरी के साथ ही पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे कोटा शहर का विकास व विस्तार तो तेजी से हो रहा है। जिससे शहर में बहुमंजिला  इमारतों की बाढ़ सी आ गई है। इन आवासीय व व्यवसायिक इमारतों में सुविधा के लिए बिना प्रावधान लिफ्टें तो लगाई जा रही हैं लेकिन उनकी न तो समय पर मेंटेनेंस हो रही है और न ही सरकारी एजेंसी द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है। जिससे आए दिन लिफ्ट में फंसने व उससे गिरने की घटनाएं हो रही हैं। आर.के. पुरम् थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक बहुमंजिला इमारत की लिफ्ट में महिला फंस गई थी। जिसे बाहर निकालने के दौरान वह तीसरी मंजिल से गिरी। जिससे उसकी मौत हो गई। शहर में लिफ्ट में फंसने व उससे गिरने की यह पहली घटना नहीं है। इस तरह की पूर्व में भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। चाहे मेडिकल कॉलेज अस्पताल हो या रेलवे स्टेशन की लिफ्ट। जयपुर में भी गत दिनों एक इमारत की लिफ्ट तो खुल गई लेकिन उसमें वह ऊपर नहीं आई। जिससे उसमें जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।  इस तरह की घटनाएं लगातार होने के बाद भी  इनकी न तो मॉनिटरिंग की जा रही है और न ही लिल्ट लगाने के कोई प्रावधान हैं। 

हॉस्टल, आवासीय व व्यवसायिक इमारतें अधिक
शहर में पहले जहां सामान्य तौर पर एक या दो मंजिल के मकान बनते थे। अब 8 से 10 और कई जगह पर 12 से 18 मंजिल तक के हॉस्टल, आवासीय व व्यसायिक इमारतें खड़ी हो गई है। शहर में सैकड़ों की संख्या में मल्टी स्टोरी बनी हुई हैं। मॉल, अस्पताल, होटल व सरकारी कार्यालय तक बहुमंजिला बनने लगे हैं। उनमें से अधिकतर में लिफ्ट लगी हुई है। नगर निगम, नगर विकास न्यास के नव विस्तारित भवन,मेडिकल कॉलेज अस्पताल व एमबीएस व जेके लोन के नए ओपीडी ब्लॉक तक में लिफ्ट लगाई गई है।  साथ ही कई जगह पर काम चल रहा है। जिनमें लिफ्ट लगाई जा रही हैं। कई बिल्डिग में लिफ्ट के लिए ढांचा बनाकर उसी खाली छोड़ा हुआ है।  बहुमंजिला इमारतों में ऊपरी मंजिल तक जाने के लिए बिल्डर द्वारा लिफ्टें भी लगाई जा रही है। लेकिन उन लिफ्ट की गुणवत्ता की जांच व लगाने का कोई नियम प्रावधान नहीं है। जिससे जिस बिल्डर को जो सस्ती कम्पनी की या सहज उपलब्ध लिफ्ट हो रही है वह लगा रहे हैं। फिर चाहे हादसे हो या किसी की जान जाए। 

बिल्डर व सोसायटी वसूल रही लिफ्ट का चार्ज
शहर में जितनी भी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनी हुई हैं। उनमें से अधिकतर तो बिल्डर ने बनाकर वहां रहने वालों की सोसायटी को हैंड ओवर कर दी हैं। जिससे उसके बाद उन बिल्डिंग की पूरी जिम्मेदारी सोसायटी की हो जाती है। जिन सोसायटी को हैंड ओवर नहीं किया गया है उनकी जिम्मेदारी बिल्डर की है। जबकि सोसायटी व बिल्डर द्वारा उन मल्टी स्टोरी में रहने वालों से मासिक या वार्षिक हजारों रुपए लिफ्ट की मेंटेनेंस के नाम का शुल्क वसूल किया जा रहा है। लेकिन उन लिफ्ट की समय पर न तो मेंटेनेंस करवाई जा रही है और न ही देखभाल की जा रही है। जिससे कई जगह पर आए दिन लिफ्ट खराब होने, बंद होने या तकनीकी खामी के चलते लोगों के उनमें फंसने की घटनाएं हो रही हैं। 

फायर के लिए एनओसी, लिल्ट के लिए नहीं
राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा  बनाए गए बिल्डिंग बायलॉज में फायर के सिस्टम लगाने के लिए तो एनओसी लेना अनिवार्य किया हुआ है। उसका  निर्धारित समय में रिनुवल का भी प्रावधान किया गया है। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ फायर अनुभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है। लेकिन लिफ्ट लगाने से लेकर उसकी मेंटेनेंस के संबंध में कोई प्रावधान या नियम कायदे बने हुए नहीं हैं। जिससे उन मल्टी  स्टोरी में रहने वाले लोगों का जीवन खतरे में है। 

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लिफ्ट का भी हो प्रावधान
जिस तरह से मल्टी स्टोरी में फायर के लिए प्रावधान किया  हुआ है। उसी तरह से लिफ्ट लगाने के भी नियम व प्रावधान होने चाहिए। लिफ्ट भी निर्धारित गुणवत्ता की होनी चाहिए। जिससे उन मल्टी में रहने वालों के जीवन से खिलवाड़ नहीं हो। बिल्डिंग बॉयलॉज में ही लिफ्ट का प्रावधान किया जाए। साथ ही उसकी देखरेख सरकारी एजेंसी के माध्यम से हो ताकि समय-समय पर उसकी मेंटेनेंस हो सके। 
- रोहित सिंह राजावत, एडवोकेट 

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कम्पनी को दे रखा मेंटेनेंस का ठेका
झालावाड़ रोड स्थित मल्टी स्टोरी में सैकड़ों परिवार रहते हैं। उस मल्टी स्टोरी की देखरेख की जिम्मेदारी उस मल्टी स्टोरी की सोसायटी की है। सोसायटी ने जिस कम्पनी की लिफ्ट लगी हुई है उसी को एक साल के हिसाब से मेंटेनेंस का ठेका  दिया हुआ है। वह कम्पनी समय-समय पर लिफ्ट की मेंटेनेंस करती है। लिफ्ट उस बिल्डिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसकी मेंटेनेंस व देखभाल होनी चाहिए। जिससे किसी तरह के हादसे से बचा जा सके।  
- अशोक नुवाल, निवासी मल्टी स्टोरी, अनंतपुरा

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सरकारी एजेंसी नहीं सोसायटी की ही जिम्मेदारी
मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में लिफ्ट लगाने के लिए उसकी साइज के संबंध में नेशनल बिल्डिंग कोड(एनबीसी) में प्रावधान है। उसकी गुणवत्ता का भी उल्लेख किया गया है। लेकिन उस बिल्डिंग में लिफ्ट लगने के बाद उसकी किसी सरकारी एजेंसी द्वारा मॉनिटरिंग का कोई प्रावधान नहीं है। बिल्डर या सोसायटी की ही जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर कम से कम साल में एक बार उस लिफ्ट की मेंटेनेंस करवाएं। उसमें किसी तरह की तकनीकी खराबी नहीं हो। वहां इमरजेंसी नम्बर लिखे होने चाहिए।  जिससे किसी भी घटना के समय संबंधित को सूचना दी जा सके। 
- महावीर मीणा, वरिष्ठ नगर नियोजक

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