नया कानून लागू: धाराएं याद नहीं होने से एफआईआर दर्ज होने में लग रहा समय, ई-साक्ष्य नहीं हो पा रहे अपलोड
एक जुलाई को लागू हुए कानून के बाद पुलिसकर्मियों को आ रही परेशानी
इंटरनेट स्पीड कम होने के कारण वीडियो अपलोड होने में भी आ रही दिक्कत
जयपुर। प्रदेश में एक जुलाई, 2024 से नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होने के बाद पुलिसकर्मियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। नए कानून में सभी धाराएं बदलने के कारण पुलिसकर्मियों को ये धाराएं याद नहीं हो पा रही हैं, ऐसे में रिपोर्ट दर्ज होने में समय लग रहा है।
इसके अलावा मौके से साक्ष्य इकट्ठे कर वीडियोग्राफी कर उन्हें अपलोड करने में जांच अधिकारियों को परेशानी आ रही है। अर्थात इंटरनेट की धीमी स्पीड के कारण किसी भी अपराध में ई-साक्ष्य तुरंत अपलोड करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पुलिसकर्मियों को खुद का इंटरनेट उपयोग कर जांच के लिए साक्ष्य जुटाने पड़ रहे हैं।
इंटरनेट की स्पीड बड़ी समस्या
एक केस के जांच अधिकारी ने बताया कि नए कानून के तहत मौके से ही गिरफ्तारी, जब्ती, सर्च समेत अन्य कार्रवाई के वीडियो बनाकर ई-साक्ष्य के तौर पर तैयार किए जाएंगे, लेकिन कई घटना स्थल ऐसे होते हैं, जहां इंटरनेट की स्पीड काफी कम आती है। ऐसे में जांच अधिकारी को वीडियो बनाकर अपलोड करने में परेशानी हो रही है।
चार मिनट से ज्यादा का वीडियो नहीं हो रहा अपलोड
एक जांच अधिकारी ने बताया कि नए कानून के तहत कोई ज्यादा बड़ी परेशानी नहीं आ रही है। धाराएं याद नहीं होने के कारण एफआईआर दर्ज होने में थोड़ा समय ज्यादा लग रहा है। समय के साथ ये समय घट जाएगा, लेकिन ई-साक्ष्य को तैयार करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौके से बनाए गए वीडियो अपलोड हो ही नहीं पाते हैं। यदि चार मिनट से ज्यादा का वीडियो बना दिया तो वो अपलोड होता ही नहीं है।
थ्रीजी सिम और खुद का डाटा कर रहे उपयोग
हाल में नए कानून के तहत पुलिसकर्मी मौके से वीडियो तैयार कर ई-साक्ष्य तैयार कर रहे हैं। इसमें पुलिसकर्मी खुद का इंटरनेट उपयोग में ले रहे हैं। वहीं पुलिस को थ्रीजी सिम जारी की हुई हैं, जिनमें थ्री जी डाटा ही आता है। ऐसे में इस सिम के नेट के उपयोग से कोई वीडियो साक्ष्य के लिए नहीं जुटाया जा सकता है।
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