मौत के साये में विद्यार्थी और शाला परिवार
मरम्मत राशि का इंतजार, महात्मा गांधी गवर्मेंट स्कूल जर्जर भवन में चल रहा
स्कूल भवन में नही बिजली कनेक्शनआधुनिक युग में विद्युत कनेक्शन नहीं है।
भण्डेड़ा। क्षेत्र के बांसी कस्बे में हाल ही में खुला महात्मा गांधी गवर्मेंट स्कूल सरकारी पुराने जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। ऐसे में स्कूल में अध्ययनरत बच्चे और स्कूल का स्टाफ खतरे के सायेहै। स्कूल में पीने के पानी की सुगम व्यवस्था व शौचालय भी दुर्दशा के शिकार हो रहे है। इन स्थितियों के मद्देनजर शाला परिवार परेशान है। इस मामले में जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। जिम्मेदार आनन फानन में खोले ऐसे जर्जर भवन की स्थिति को लेकर चिंतित नहीं है। इनके हालात अभी तक जस के तस बने हुए है। जानकारी के अनुसार सत्र-2023 में महात्मा गांधी गवर्मेंट स्कूल का शिक्षा सत्र शुरू हुआ था। जब यहां पर उच्च प्राथमिक विद्यालय के खाली पडे भवन में शुरू कर दिया गया था। जब से इसी भवन में चल रहा है। यह भवन लंबे समय से खाली पडा होने से यहां पर नशेडियों का अड्डा बना हुआ था। परिसर में कांच की बोतलें पड़ी है। वही कक्षों के गेट भी टूटे हुए है। कक्षों के हालात बदतर स्थिति में है। यहां कक्षा-कक्ष जर्जर स्थिति में है। परिसर में तीन कक्ष अलग से बने हुए है। जिनमें 6 कक्षाएं बरामदे सहित संचालित है। मगर इनकी छतें भी बरसाती समय टपकती है।
स्कूल भवन में नही बिजली कनेक्शनआधुनिक युग में विद्युत कनेक्शन नहीं है। जो इस भीषण गर्मी के मौसम में शाला परिवार को गर्मी से भी परेशान होना पड़ रहा है। बिना बिजली के ही कक्षों में बैठकर अध्ययन कार्य करने की मजबूरी बनी हुई है। सरकार ने विद्यालय तो खोला है, पर मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नही होने से शाला परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शौचालय के हाल-बेहाल
गांव के बद्रीलाल कुशवाह ने बताया कि स्कूल परिसर में लंबे समय से विरान पडे होने से पुराने शौचालय है। जिनकी भी मरम्मत नही होने से क्षतिग्रस्त हालत में है। शाला परिवार द्वारा ग्राम पंचायत के पास ही गार्डन में बने शौचालयों को उपयोग में लेते है, जिसकी अनुमति ग्राम पंचायत ने दे रखी है। उससे काम चलाया जा रहा है।
पेयजल का नही स्त्रोत
रिंकू सोनी का कहना है कि स्कूल परिसर में शाला परिवार के लिए पानी पीने के लिए कोई पेयजल स्त्रोत नही है, जो ग्राम पंचायत के गार्डन में लगे नलकूप से पानी जुटाना पड़ता है। मगर दो रोज से यह भी खराब होकर बंद पडा होने से पीने का पानी भी दूर जाकर लाना पड़ रहा है।
पुराने भवन कक्षों के हाल-बेहाल
जिस समय यहां पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित था। तत्कालीन बने कक्षो के गेट, खिड़किया वर्तमान में क्षतिग्रस्त है। वही एक कक्ष में विद्यालय की पुराने टेबले भरी हुई है। कक्षों के फर्श में गंदगी की भरमार हो रही है। जगह-जगह फर्श में गढ्ढे नजर आ रहे है।
यहां पर लंबे समय से भवन खाली रहने से यहां पर आसपास के गांवों सहित नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता था। इसलिए यहां पर हालात खराब रहते थे। वर्तमान में यह स्कूल चलने से इन लोगों की आवाजाही तो बंद हो गई। पर स्कूल भवन सहित परिसर की स्थिति खराब है। इस भवन की मरम्मत के लिए राशि मिले, तो भवन सहित शौचालयों की मरम्मत होने पर शाला परिवार को इधर-उधर भटकने से भी राहत मिलेगी।
- चंद्रप्रकाश टेलर, ग्रामीण
इनका कहना है
स्कूल शुरू हुआ, उस समय यहां पर नशेड़ी प्रवृत्ति के लोग आते थे। जिन्हें मना करने के बाद नही आ रहे है। विभाग के द्वारा सूचना मांगी गई थी। जिस पर हमने भवन की मरम्मत के लिए मांग कर रखी है। पर अभी तक राशि उपलब्ध नहीं हुई है। राशि मिले, तो भवन सहित शौचालय की मरम्मत हो सके।
- ब्रह्मानंद मीणा, प्रधानाचार्य, महात्मा गांधी गवर्मेंट स्कूल बांसी
नैनवां ब्लॉक स्तर के जर्जर स्कूल भवनों के लिए मरम्मर राशि के लिए हमने डिमांड की थी। इसके बारे में पूरी जानकारी रमसा विभाग के उच्चा अधिकारियों को भेज दी गई है। जर्जर स्कूलों के लिए राशि स्वीकृत होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- अनिल गोयल, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, नैनवां
Comment List