सुविधाओं के अभाव में ट्रेनिंग के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे हैं राजस्थान के निशानेबाज
8 ओलंपियन, ढेरों अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं, मगर अब बड़े सुधार की है दरकार
शूटिंग एसोसिएशन के सचिव शशांक कोरानी के अनुसार रेंज को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए इसे भोपाल में नवनिर्मित रेंज के अनुरूप अपग्रेड किया जाना चाहिए।
जयपुर। आठ ओलंपियन, 50 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज और ढेरों राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी प्रदेश को देने वाली जगतपुरा शूटिंग रेंज राजस्थान खेल परिषद के अधिकारियों की अनदेखी का शिकार बनी है। ये रेंज अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन तो दूर, प्रेक्टिस के लायक भी नहीं रही है। ओलंपिक, एशियाड और कॉमनवेल्थ जैसी बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए प्रदेश के निशानेबाज अब दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे हैं। जयपुर विकास प्राधिकारण द्वारा बनाई इस शूटिंग रेंज की शुरुआत 2008 में एशियन चैंपियनशिप के साथ की गई। देश के शीर्ष निशानेबाजों ने यहां कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। लेकिन जब से जेडीए ने इसे राजस्थान खेल परिषद को सौंपा है, इसकी अनदेखी शुरू हो गई। परिषद में रेंज का जिम्मा संभाल रहे स्पोर्ट्स मैनेजर ने कभी वहां जाकर हालात देखने की भी जेहमत नहीं उठाई।
जगतपुरा शूटिंग रेंज से निकले राजस्थान के ये ओलंपियन
लंदन ओलंपिक में खेली शगुन चौधरी, टोक्यो में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले दिव्यांश सिंह पवार, अपूर्वी चंदेला और पैरा निशानेबाज अवनी लेखरा और अब पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने गए अनंतजीत सिंह नरूका और महेश्वरी चौहान इसी शूटिंग रेंज की देन हैं। इनके अलावा पेरिस में ही ओलंपिक के बाद पैरालंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाली मोना अग्रवाल, रुद्राक्ष खण्डेलवाल और निहाल सिंह इसी शूटिंग रेंज पर अभ्यास करके आग बढ़े हैं। देश को निशानेबाजी में पहला पदक दिलाने वाले कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने भी बीजिंग ओलंपिक में हिस्सा लेने से पहले इसी रेंज पर निशाने साधे।
भोपाल की तरह हो अपग्रेडेशन
शूटिंग एसोसिएशन के सचिव शशांक कोरानी के अनुसार रेंज को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए इसे भोपाल में नवनिर्मित रेंज के अनुरूप अपग्रेड किया जाना चाहिए। डिजिटल स्कोरिंग के लिए पर्याप्त इलेक्ट्रोनिक टॉर्गेट लगाए जाएं। इसके अलावा रेंज पर खिलाड़ियों के लिए जिम की फेसेलिटी हो, फिजियोथेरेपी सेंटर बनाया जाए और अच्छे कोच के साथ स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट नियुक्त किया जाए।
दिल्ली और भोपाल जा रहे हैं राजस्थान के निशानेबाज
जयपुर में ट्रेनिंग की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने की वजह से रेंज का जिम्मा संभाल रही राजस्थान शूटिंग एसोसिएशन किसी विदेशी कोच या देश के किसी अच्छे कोच को यहां बुलाने में असमर्थ है। ऐसे में राजस्थान के खिलाड़ी एक्सपर्ट कोचिंग और ट्रेनिंग के लिए दिल्ली या भोपाल जा रहे हैं। भोपाल में अभी नई रेंज बनी है। पैरालंपिक के राजस्थान के खिलाड़ी भी भोपाल में ही ट्रेनिंग कर रहे हैं।
एमओयू नहीं होता तो रेंज की हालत भी तीरंदाजी जैसी होती
राजस्थान खेल परिषद ने जनवरी 2020 में राजस्थान शूटिंग एसोसिएशन के साथ एमओयू किया और तब से रेंज को वहीं संभाल रहे हैं। यदि रेंज खेल परिषद के भरोसे ही रहती तो इसकी हालत भी जगतपुरा में तीरन्दाजी रेंज जैसी होती। एसोसिएशन ने रेंज को मेंटेन रखा लेकिन परिषद इसे समय से अपग्रेड नहीं कर सकी।
इनका कहना है
सचिव राजस्थान शूटिंग संघ के शशांक कोरानी का कहना है कि जगतपुरा में शूटिंग रेंज करीब 16 साल पहले बनी। तब भी इसमें कुछ काम अधूरा रह गया था। समय के साथ ट्रेनिंग की तकनीक और उपकरणों में भारी बदलाव हुआ है लेकिन इस रेंज को अपग्रेड नहीं किया गया। हमने बार-बार पत्र लिखकर खेल परिषद के अधिकारियों को बताया, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब उम्मीद जगी है कि रेंज के दिन फिरेंगे। राज्य के नये खेलमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ खुद ओलंपियन निशानेबाज रह चुके हैं और सरकार ने बजट में रेंज के अपग्रेडेशन की घोषणा की है। अपग्रेडेशन के बाद हम यहां अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट करा सकेंगे। इससे प्रदेश के खिलाड़ियों को फायदा मिलेगा। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के लिए दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ेगा।
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