श्रीमोती डूंगरी गणेश मंदिर में जन्मोत्सव 7 सितम्बर को

गणेश चतुर्थी पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाएगा

श्रीमोती डूंगरी गणेश मंदिर में जन्मोत्सव 7 सितम्बर को

9 दिन चलने वाले इस उत्सव का आगाज 31 अगस्त को पुष्य नक्षत्र पर भगवान गणेश के पंचामृत अभिषेक के साथ होगा।

जयपुर। प्रथम पूज्य श्री मोती डूंगरी गणेश मंदिर में इस साल गणेश चतुर्थी पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी, शनिवार 7 सितम्बर को मनाया जाएगा। 9 दिन चलने वाले इस उत्सव का आगाज 31 अगस्त को पुष्य नक्षत्र पर भगवान गणेश के पंचामृत अभिषेक के साथ होगा। इस दिन भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा का 251 किलोग्राम दूध, 25 किलोग्राम बूरा, 50 किलोग्राम दही, 11 किलोग्राम शहद और 11 किलोग्राम घी से अभिषेक होगा।

-31 अगस्त को पुष्य नक्षत्र से होगा उत्सव का आगाज
-4 सितम्बर को सजेगी मोदकों की झांकी
-6 सितम्बर को सिंजारा और मेहंदी पूजन सिंजारे पर चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे, स्वर्ण मुकुट धारण करेंगे
-7 सितम्बर को जन्मोत्सव, 8 सितम्बर को भव्य शोभा यात्रा
-9 दिन चलने वाले इस उत्सव के लिए तैयारियां शुरू

इस मौके पर 501 महिलाएं कलश यात्रा लेकर मोती डूंगरी पहुंचेगी। इस उत्सव के अगले दिन यानी 1 सितम्बर की शाम 7 बजे मंदिर परिसर में ध्रुपद गायन कार्यक्रम होगा। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश को ध्रुपद गायन सबसे प्रिय है, जिसके कारण इस दिन भजन संध्या ध्रुपद गायन के साथ शुरू की जाएगी। वहीं अगले दो दिन यानी 2 और 3 सितम्बर की शाम को कत्थक नृत्य का कार्यक्रम होगा।

4 सितम्बर को सजेगी मोदकों की भव्य झांकी
4 सितम्बर बुधवार को मोदकों की भव्य झांकी मंदिर में भगवान श्री गणेश के समक्ष सजाई जाएगी। इस झांकी के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए सुबह 5 बजे से शुरू हो जाएंगे। इस दिन मंदिर परिसर में बाहर से आया प्रसाद नहीं चढ़ाया जाएगा। झांकी का मुख्य आकर्षण 251-251 किलोग्राम के दो विशाल मोदक होंगे। इन दोनों के अलावा 51-51 किलोग्राम के 5 मोदक, 21-21 किलोग्राम के 21 मोदक, 1.25-1.25 किलोग्राम के 1100 मोदक और हजारों की संख्या में अन्य छोटे मोदक रखे जाएंगे।
इस पूरी प्रसादी को बनाने में करीब 2500 किलोग्राम शुद्ध घी, 3 हजार किलोग्राम बेसन, 9 हजार किलोग्राम शक्कर और करीब 100 किलोग्राम सूखे मेवों का उपयोग किया जाएगा।

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6 सितम्बर को सिंजारा और मेहंदी पूजन
जन्मोत्सव के इस कार्यक्रम में 6 सितम्बर को प्रथम पूज्य का सिंजारा मनाया जाएगा। मोतीडूंगरी गणेश जी मंदिर के महंत कैलाश शर्मा के सानिध्य में इस दिन गणेश जी को 3100 किलो मेहंदी धारण कराई जाएगी। ये मेहंदी पाली के सोजत से मंगवाई जाएगी। मेहंदी धारण के बाद इसे श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा। मेंहदी प्रसाद वितरण की व्यवस्था मंदिर परिसर में पांच स्थानों पर होगी। मेहंदी वितरण पूजा के बाद रात्रि साढ़े 7 बजे से किया जाएगा। महिला एवं कन्याओं के लिए डोरा एवं मेहंदी की व्यवस्था अलग पंक्ति में होगी। मोती सूत्र महिलाएं एवं पुरुष मंदिर में बांध सकते हैं। इसी दिन भक्ति संध्या व रात्रि जागरण का आयोजन भी होगा। शयन आरती 10 बजे होगी।

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विराजेंगे चांदी के सिंहासन पर, धारण करेंगे स्वर्ण मुकुट
6 सितंबर को भगवान गणेश जी महाराज का विशेष श्रृंगार होगा। इसमें भगवान को स्वर्ण मुकुट भी धारण करवाया जाएगा। यह मुकुट साल में सिर्फ एक बार गणेश चतुर्थी के दिन ही भगवान को धारण कराया जाता है। भगवान को विशेष पोशाक धारण करवाई जाएगी। चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे। श्रृंगार के दौरान गणेश जी को नौलखा हार जिसमें मोती, सोना, पन्ना, माणक आदि के भाव स्वरूप दर्शाए गए हैं. धारण कराया जाएगा। यह नौलखा हार महंत परिवार ने तीन महीने में तैयार किया है।

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7 सितम्बर को जन्मोत्सव, 8 सितम्बर को भव्य शोभा यात्रा
इस उत्सव के मुख्य दिन यानी 7 सितम्बर को जन्मोत्सव के दिन मंदिर परिसर में दर्शन सुबह चार बजे मंगला आरती के साथ शुरू हो जाएंगे। इसके बाद विशेष पूजन सुबह 11.20 बजे, श्रृंगार आरती 11.30 बजे, भोग आरती दोपहर 2.15 बजे, संध्या आरती शाम 7 बजे और शयन आरती रात्री 11.30 बजे होगी।

8 सितंबर को भगवान श्रीगणेश शहर भ्रमण पर निकलेंगे। इस दौरान मोती डूंगरी गणेश मंदिर से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। ये शोभा यात्रा शाम को मोती डूंगरी मंदिर से निकलकर एमडी रोड, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, गणगौरी बाजार, नाहरगढ़ रोड होते हुए गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचेगी।

07 सितम्बर जन्मोत्सव पर आरती का समय

  • मंगला आरती-सुबह 4 बजे ।
  • श्रृंगार आरती-सुबह 11:30 बजे।
  • भोग आरती- दोपहर 2:15 बजे ।
  • भोग के लिए दोपहर 1.30 से 2:00 बजे तक पट मंगल रहेंगे।
  • संध्या आरती - शाम 7 बजे ।
  • शयन आरती - रात्रि 11.30 बजे

दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लिए लगाए नए कैमरे
सुरक्षा (कैमरे) एवं दर्शन व्यवस्था गणेश मन्दिर प्रन्यास प्रबन्धन की ओर से दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लिए 6 डी.एफ.एम.डी. एवं 6 एच.एस. एम.डी. की व्यवस्था मन्दिर द्वारा दर्शनार्थियों के लिए की गई है।
मन्दिर द्वारा लगाये गये 62 क्लोज सर्किट कैमरे से सभी गतिविधियों पर नज़र रखी जायेगी एवं 30 दिनों की रिकार्डिंग भी की जायेगी। सभी कैमरे नये लगाये गये हैं।

500 स्वयंसेवक लाइनोें की व्यवस्था संभालेंगे
दर्शन के लिए 6 लाईनें मन्दिर में आने की व 6 लाईनें मन्दिर से वापिस जाने की व्यवस्था की गई है। निशक्तजनों और वृद्धजनों के लिए विशेष रिक्शों की व्यवस्था की जायेगी। 500 स्वयंसेवक व्यवस्था के लिए लगाये जायेगें।

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