कार्यक्रमों में हर साल हजारों की तादाद में नए कलाकार होते हैं तैयार

जेकेके : 700 कलाकारों ने सीखी विभिन्न कलाओं की बारीकियां

कार्यक्रमों में हर साल हजारों की तादाद में नए कलाकार होते हैं तैयार

जनवरी 2024 से अब तक की बात करें तो केन्द्र की ओर से विभिन्न कार्यशालाओं, नाट्य और संगीत महोत्सव व प्रदर्शनी लगाई है

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में हर साल हजारों की तादाद में कलाकार अपना टैलेंट दिखाने के साथ कुछ नया सीखते है। केन्द्र कला के विभिन्न स्तंभों यथा रंगमंच, साहित्य, संगीत और दृश्य कला से जुड़े कार्यक्रम करता है। जनवरी 2024 से अब तक की बात करें तो केन्द्र की ओर से विभिन्न कार्यशालाओं, नाट्य और संगीत महोत्सव व प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें करीब 700 कलाकारों ने विभिन्न कलाओं की बारीकियां सीखी है।

एक नजर इस साल जेकेके के इवेंट्स पर

    6 से 13 फरवरी तक आयोजित म्यूजिक आफ  स्ट्रींग शास्त्रीय वर्कशॉप में पं. चंद्र मोहन भट्ट व पं. कृष्ण मोहन भट्ट के निर्देशन में 40 से अधिक प्रतिभागियों ने सितार की बारीकियां सीखी।
    12 से 15 फरवरी तक हुई कावड़ निर्माण कार्यशाला में राष्टपति पुरस्कार विजेता कलाकार बस्सी, चित्तौड़गढ़ निवासी द्वारिका प्रसाद सुथार के निर्देशन में 15 प्रतिभागियों ने लकड़ी की कावड़ बनाना सीखा।
    22 से 25 फरवरी तक हुई अजरख प्रिंट कार्यशाला में बाड़मेर के विशेषज्ञ राणामल खत्री ने 20 से अधिक प्रतिभागियों को 500 से 600 वर्ष पुरानी प्रिंट कला अजरख के इतिहास और तकनीकी पक्षों की जानकारी दी। 
    27 फरवरी से 2 मार्च तक रंगमंच के संदर्भ में रूप सज्जा कार्यशाला में राजस्थान के वरिष्ठ रूप सज्जाकार राधेलाल बांका और नेशनल स्कूल ऑफ  ड्रामा के प्रो. अरुण कुमार मलिक ने रंगमंच के संदर्भ में 16 प्रतिभागियों को रूप सज्जा की बारीकियां सिखाई।
    27 फरवरी से 1 मार्च तक मोलेला पॉटरी कार्यशाला में राजसमंद के अंबालाल कुम्हार ने प्रसिद्ध मोलेला पॉटरी का हुनर 15 से अधिक प्रतिभागियों को सिखाया।
    11 से 18 मार्च शास्त्रीय गायन कार्यशाला में प्रो. डॉ. सुमन यादव के निर्देशन में 40 से अधिक प्रतिभागियों ने शास्त्रीय संगीत से जुड़े तकनीकी पहलुओं की जानकारी ली।
    29 मार्च से 7 अप्रैल तक चली लोकनृत्य कार्यशाला में वरिष्ठ कलाकार डॉ. रूप सिंह शेखावत के सानिध्य में 30 प्रतिभागियों ने लोक नृत्य का प्रशिक्षण लिया।
    16 मई से 20 जून तक जूनियर समर कैम्प में थिएटर, गायन, गिटार, तबला, पियानो, वॉयलिन, लोक नृत्य, कथक, मोबाइल फिल्म मेकिंग, फोटोग्राफी, मोजेक आर्ट, आर्ट आफ एक्सप्रेशन, कंटेम्पररी डांस, कैलीग्राफी (देवनागरी-अंग्रेजी) और क्रिएटिव राइटिंग, कठपुतली मेकिंग एवं संचालन समेत 16 विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें 8 से 17 वर्ष के 500 से अधिक बच्चों ने कैम्प में हिस्सा लिया।
    28-30 जून तक हुए युवा नाट्य समारोह में युवा नाट्य निर्देशक अनुदान योजना के तहत चयनित तीन निर्देशकों देशराज गुर्जर, अनुराग सिंह राठौड़ और रोहित अग्रवाल ने गोरधन के जूते, कठपुतलियां व लट्ठा चाशनी नाटक मंचन कर अपनी उपयोगिता दर्शाई।

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