कल्याणपुरा स्कूल में एक शिक्षिका के भरोसे आठ कक्षाएं

संस्कृत शिक्षा विभाग के स्कूल के हाल

कल्याणपुरा स्कूल में एक शिक्षिका के भरोसे आठ कक्षाएं

विद्यालय में छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

भण्डेड़ा। क्षेत्र के राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय कल्याणपुरा में लंबे समय से प्रधानाध्यापक सहित शालाध्यापकों की कमी चल रही है। कार्यरत स्टॉफ में से भी आवश्यक कार्य से छुट्टी पर जाने से यह विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे आठ कक्षाएं संचालित होती है। जो नौनिहालों का भी शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।  संस्कृत शिक्षा विभागीय जिम्मेदार अनदेखी कर रहे है। जिसका खामियाजा स्कूली बच्चे भुगत रहे है। जानकारी के अनुसार बांसी- कालानला मुख्य मार्ग पर कल्याणपुरा में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय लंबे समय से प्रधानाध्यापक की कमी से जुझ रहा है। वर्तमान में तीन शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाएं संचालित है। इनमें से एक निजी काम से छुट्टी पर व एक शिक्षक विभागीय प्रशिक्षण में चले जाने पर इस विद्यालय में एक शिक्षक के जिम्मे आठ कक्षाएं चलती है। जो विद्यालय में छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। शनिवार को इस विद्यालय में एक ही शालाध्यापिका के होने से छात्र-छात्राएं परिसर के घास में घुमते हुए नजर आए है। एक अध्यापिका के भरोसे नौनिहाल नजर आए है। जो समायोजित करके स्कूली गतिविधियां हुई है। विद्यालय में अधिकतर समय तीन में से दो अध्यापक ही मौजूद रहते है। एक विद्यालय के काम से व निजी काम में व्यस्त रहने से यहां के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। संबंधित विभागीय जिम्मेदार अधिकारी नौनिहालों के भविष्य को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे है। इस सत्र के तीन माह गुजर गए पर जिम्मेदारों की अनदेखी से शाला में अव्यवस्थाएं हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जननी भाषा संस्कृत उन्नति करें। इसके लिए संस्कृत विद्यालय स्थापित हुए थे। पर शाला में शिक्षकों का टोटा बना होने से स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ रहा है।

परिसर में लगा नलकूप बंद, पेयजल संकट 
विद्यालय के परिसर में लगा नलकूप चार रोज से बंद होने से यहां पर आसपास में पीने का पानी तक नही होने से पेयजल संकट पनपा हुआ है। एक अभिभावक पप्पूलाल भील ने बताया कि विद्यालय में पीने का पानी नही होने से बच्चों को पचास रुपए खर्च करके पानी के लिए बोतल उपलब्ध करवाई है। जो उसको भरकर ले जाते है। जब तक चलता है उस पानी को पीते है। बोतल का पानी खत्म होने पर मुख्य सड़क से गुजरते हुए सादेड़ा-बांसी के चौराहे पर आना पड़ता है। जो यहा की टंकी या नलकूप से पानी की बोतल भरकर ले जानी पड़ती है। जो छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर आवाजाही के समय भी खतरा बना रहता है। विद्यालय में जिम्मेदार नही होने से अव्यवस्थाओं का आलम हो रहा है। जिम्मेदार शाला परिवार की सुध लेवें।

इनका कहना हैं
वर्तमान में हम तीन शिक्षक विद्यालय में कार्यरत है। यहां पर आज एक शिक्षक ट्रेनिंग में नैनवां है। एक निजी काम से छुट्टी पर है। नलकूप मोटर को निकालने का प्रयास भी किया गया था। पर नलकूप की मोटर फंसी होने से निकल नही पाई है। 
- मनीषा शर्मा ,शालाध्यापिका, राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय कल्याणपुरा

विद्यालय में शिक्षकों की कमी होने पर शिक्षक इस तरह से छुट्टी नही लेते है। आवश्यक काम के चलते ली होगी। इसलिए समस्या हो गई होगी। शालाध्यापकों की कमी की पूर्ति नई भर्तियां होगी। तब ही नवीन शिक्षक लगेंगे। वर्तमान में सभी जगहों पर कमी चल रही है। विद्यालय में पानी की समस्या को लेकर बताया कि मैं कुछ समय पहले विद्यालय गया था। तत्कालीन समय तो नही थी। परिसर में एक टैंक था। इस समय समस्या हुई है, तो जलदाय विभाग को पत्र लिखेंगे। स्कूली बच्चों को पीने के पानी की व्यवस्था करवाएंगे। 
- गंगाधर मीणा, संभागीय शिक्षाधिकारी संस्कृत शिक्षा विभाग कोटा

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